Difference Between Liquidity And Volatility In Hindi

Difference Between Liquidity And Volatility In Hindi

difference between liquidity and volatility in hindi

तो दोस्तों आजके हमारे इस आर्टिकल (difference between liquidity and volatility in hindi) में हम लिक्विडिटी और वोलैटिलिटी के बिच रहे सामान्य अंतर को समझनेवाले हैं, जिनसे पहले हम इन दोनों के अर्थ को साजा करेंगे की आखिरकार Liquidity क्या होती हैं उसकी सामान्य व्याख्या क्या हैं और Volatility क्या होती हैं उसकी सामान्य व्याख्या क्या हैं, वैसे यह दोनों ही स्टॉक मार्केट के अहम पासो के समान हैं जिसके आधारपर मार्केट मुवमेंट की स्थिति को समझां और तौला जाता है तो चलिए इधर – उधर की बातें छोडकर इस टोपिक को विस्तारपूर्वक समझते हैं

Liquidity क्या होती हैं :-

लिक्विडिटी जिसे तरलता के नाम से भी जाना जाता हैं (difference between liquidity and volatility in hindi) तो आखिरकार यह तरलता क्या है ? तो बाजार की किसी भी चीज में तरलता यानि लिक्विडिटी होना उसकी विशेषता मानी जाती हैं क्योंकि उन्ही के अनुरूप कोई व्यक्ति या संस्था उस परिसंपत्ति या सिक्योरिटीज की कीमत में किसी बड़े बदलाव के बिना ही उस संपति को तुरंत ख़रीदा या बेचा (कारोबार) सकता हैं जिसके अनुरूप लिक्विडिटी को मापने के लिए वर्तमान यानि उसी वख्त, त्वरित यानि जल्दी से और नकद अनुपात यानि Cash Ratio के इस्तेमाल से सबसे अधिक प्रयोग किया जाता हैं

सबसे अधिक तरल वस्तु में नकदी यानि पैसे (Money) को गिना जाता हैं क्योंकि इसके लिए किसी भी चीज या सेवा को लिया या दिया जा सकता हैं, किसी भी चीज को जितनी जल्दी और उनकी दो कीमतों की कम रेंज (खरीदार और विक्रेता की एक कीमत) में व्यापार होने से उनमे लिक्विडिटी का प्रमाण निकाला जा सकता हैं

संपत्ति के तौरपर नकदी को सबसे अधिक तरल माना जाता है क्योंकि यह एक तरह से मांग और आपूर्ति के नियम को दोहराता है जिसके चलते यदि किसी परिसंपत्ति या स्टॉक में किसी प्रकार की मांग ना होने के कारन भी उसमे तरलता नहीं देखने को मिलेंगी जिसको मृत सामान के माफिक समझा जाता हैं, इस सिचुएशन के मुताबिक तरलता के मुख्य दो प्रकार निकलते है एकतो बाजार की तरलता और दूसरा लेखांकन तरलता शामिल हैं

तरलता के उदाहरण

तो चलिए अब इस लिक्विडिटी को कुछ Example के साथ समझते हैं, इसके लिए हम स्टॉक मार्केट से सबंधित दो उदाहरणों का इस्तेमाल करेंगे तो चलिए इसे समझते हैं

उदाहरण 1

स्टॉक मार्केट में लिक्विडिटी का एक बेहद ही महत्पूर्ण सबंध होता हैं जिसके चलते शेयर बाजार के दो अहम स्टॉक एक्सचेंजीस BSE और NSE को लेकर तरलता के उदाहरण को समझते हैं

हम सभी यह जानते ही है की इन्वेस्टमेंट के संदर्भ में स्टॉक मार्केट का इक्विटी सबसे अधिक तरल संपतियों मेसे एक है वही जब हम स्टॉक एक्सचेंजों की बात करते है तो उनमे भी हमें अलग – अलग लिक्विडिटी का एहसास होता हैं जैसे की; ‘बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज’ की तुलना में ‘नेशनल स्टॉक एक्सचेंज’ में ज्यादा तरलता होना

इसको थोडा डीप में समझें तो यदि किसी निवेशक को किसी ऐसे स्टॉक को Buy या Sell करना है जिसका Volume काफी कम हैं तो उसको बीएसई और एनएसई की तुलना में अपनी लिमिट को NSE में सबमिट करना पड़ेंगा क्योंकि इन दोनों की Comparison में ‘नेशनल स्टॉक एक्सचेंज’ के शेयरों में सबसे ज्यादा कारोबार देखने को मिलता हैं जिनसे बीएसई में कम और एनएसई में ज्यादा लिक्विडिटी है ऐसा समझ सकते हैं

उदाहरण 2

तरलता को दुसरे उदाहरण से समझे तो जैसे एक्सचेंजों के लिक्विडिटी में विविधता देखने को मिलती है ठीक उसी तरह उनमे लिस्टेड शेयरों में भी तरलता के मापदंड अलग – अलग होते हैं

इस मुद्दे को हम Nifty 50 के अहम 5 High Market Cap Stocks को देखकर समझते हैं क्योंकि इन शेयरों की बाजार पूंजीकरण बहुत अधिक होने के कारण उन शेयरों की कीमतें स्थिर रहने के साथ – साथ उनमे तरलता का प्रमाण भी अधिक देखने को मिलता हैं

तो सबसे पहले इन पांच शेयरों की लिस्ट को देख लेते हैं – 1. Reliance, 2. TCS, 3. HDFC Bank, 4. Infosys and 5. HUL    

हाल निफ्टी के इन 5 शेयरों में सबसे ज्यादा कारोबार (Volume) देखने को मिलता हैं जिसके आधार पर हम यह कह सकते हैं की इन शेयरों में दूसरे शेयरों की तुलना में अधिक तरलता हैं

Volatility क्या होती है :-

वोलैटिलिटी यानि अस्थिरता को हम विस्तार से समझने जा रहे हैं (difference between liquidity and volatility in hindi) तो आखिरकार यह वोलैटिलिटी होती क्या है और स्टॉक मार्केट में इसे किस नजरिये से देखा जाता हैं तो अस्थिरता का मतलब तो सीधा समजमे आता है की किसी व्यापार (कारोबार) की स्थिति को अस्थिरता के स्वरूप देखना जिनसे यह किसी के दिए गए सुरक्षा या Market Index के लिए रिटर्न के प्रसार का एक सांख्यिकीय उपाय दर्शाता हैं

यदि हम अस्थिरता की परिभाषा को समझें तो यह किसी चीज या प्रतिभूतियों में अनिश्चितता के जोखिम की मात्रा या प्रमाण को संदर्भित करता है, जो की अक्सर उनकी सुरक्षा के मूल्य को प्रभावित करता है

सिक्योरिटीज में अस्थिरता का प्रमाण जितना ज्यादा देखने को मिलेंगा उनमे सुरक्षा की गारंटी उतनी ही कम मिलेंगी, स्टॉक मार्केट में वोलैटिलिटी अक्सर किसी दिशा में बढ़ते बड़े उतार – चढ़ाव से सबंधित होती हैं जिसके चलते अक्सर उन परिसंपत्तियों को दूसरी परिसंपत्तियों की तुलना में ज्यादा जोखमी माना जाता हैं    

वोलैटिलिटी को कैलकुलेट करने के कई तरीके मोजूद हैं, जैसे की; बीटा गुणांक (Beta Coefficient), ‘विकल्प मूल्य निर्धारण मॉडल’ (Option Pricing Model) और ‘रिटर्न का मानक विचलन’ (Standard Deviation of Return) शामिल हैं

अस्थिरता के उदाहरण

तो चलिए अब इस वोलैटिलिटी को कुछ Example के साथ समझते हैं, इसके लिए हम शेयर बाजार से सबंधित दो उदाहरणों का ही इस्तेमाल करेंगे तो चलिए इसे समझते हैं

उदाहरण 1

जैसे स्टॉक मार्केट का कनेक्शन लिक्विडिटी के साथ है वैसे ही वोलैटिलिटी के साथ भी हैं, स्टॉक मार्केट में यदि हमें अस्थिरता को किसी उदाहारण के साथ समझना है तो Index में चल रही गतिविधियों (मूवमेंट) से बेस्ट ऑप्शन शायद ही कोई होंगा

तो हम सभी जानतें ही है की मार्केट इंडेक्स में शामिल Sensex, Nifty और Bank Nifty में सेंसेक्स को छोडके रोजाना कई Lots की खरीद – बिक्री होती हैं अब इतने ज्यादा कारोबार (Volume) के साथ वोलैटिलिटी होना स्वाभाविक हैं

उदाहरण 2

अस्थिरता को दुसरे उदाहरण से समझे तो जैसे Indices में वोलैटिलिटी को देखा जाता हैं ठीक उसी प्रकार उनमे शामिल शेयरों में भी अस्थिरता को देखा जाता हैं

इस मुद्दे को भी हम Nifty 50 के अहम 5 Low Market Cap Stocks को देखकर समझते हैं क्योंकि इन शेयरों की बाजार पूंजीकरण बेहद कम होने के कारण उन शेयरों की कीमतों में काफी मूवमेंट वाली स्थिति बनी रहती हैं जिसके चलते कई बार Circuit ब्रेकर्स आ जाते हैं

तो प्रथम इन पांच शेयरों की लिस्ट को देख लेते हैं – 1. IndusInd Bank, 2. Tata Steel, 3. Adani Ports 4. UltraTechCement and 5. ONGC

निष्कर्ष :-

तो दोस्तों हमने इस आर्टिकल (difference between liquidity and volatility in hindi) के माध्यम से क्या – क्या सिखा तो सबसे पहले लिक्विडिटी (तरलता) क्या हैं यह समझां जिसमे लिक्विडिटी के स्टॉक मार्केट आधारित दो Example को समझा जिसके बाद इसका दूसरा सिरा यानि वोलैटिलिटी (अस्थिरता) क्या हैं यह समझां जिसमे भी हमने वोलैटिलिटी के शेयर बाजार के अनुरूप दो Example को समझा इसी के साथ हमारा यह टोपिक यही समाप्त होता हैं, धन्यवाद

लिक्विडिटी क्या है ?

लिक्विडिटी जिसे तरलता के नाम से भी जाना जाता हैं, बाजार की किसी भी चीज में लिक्विडिटी होना उसकी विशेषता मानी जाती हैं क्योंकि उन्ही के आधार पर कोई व्यक्ति या संस्था उस परिसंपत्ति या सिक्योरिटीज की कीमत में किसी बड़े बदलाव के बिना ही उस संपति को तुरंत ख़रीदा या बेचा (कारोबार) सकता हैं

वोलैटिलिटी क्या है ?

वोलैटिलिटी जिसे अस्थिरता के नाम से भी जाना जाता हैं, यदि हम अस्थिरता की परिभाषा को समझें तो यह किसी चीज या प्रतिभूतियों में अनिश्चितता के जोखिम की मात्रा या प्रमाण को संदर्भित करता है, जो की अक्सर उनकी सुरक्षा के मूल्य को प्रभावित करता है

तरलता का उपयोग कैसे किया जाता है ?

तो लिक्विडिटी शब्द अपने आप में ही एक गुणवत्ता को प्रस्तुत करता हैं जिसका मतलब जीस किसी परिसंपत्तियों में तरलता होंगी उसे उसकी कीमतों में बिना किसी अधिक मूवमेंट में कारोबार किया जा सकता हैं यानि खरीदी पर कम कीमतों में और बिकवाली में ज्यादा कीमतों के साथ ट्रेड किया जा सकता हैं तो एक तरीके से यही इसका सही उपयोग हैं

वोलैटिलिटी का उपयोग कैसे किया जाता है ?

तो अस्थिरता शब्द से ही जोखिम के संकेत मिलते हैं जिसका मतलब एकदम सिम्पल है वोलैटिलिटी वाली सिक्योरिटीज में केवल वही निवेशक ट्रेडिंग करते है जो ज्यादा जोखिम के साथ अधिक प्रॉफिट बनाना चाहते है इसके उदाहरण स्वरूप में Intraday Trading को लिया जा सकता हैं तो एक तरीके से यही इसका सही उपयोग हैं

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