Pledge Share Meaning In Hindi

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Pledge Share Meaning In Hindi

pledge share meaning in hindi

Pledge एक ऐसा शब्द है जो वित्त और निवेश की दुनिया में बहुत अधिक महत्व रखता है यह सुरक्षा के रूप में स्टॉक या बॉन्ड जैसे संपार्श्विक प्रदान करके ऋण या निवेश को सुरक्षित करने के औपचारिक वादे को संदर्भित करता है “Stock Pledge” को हिंदी में, “शेयर गिरवी” के रूप में जाना जाता है और यह भारतीय शेयर बाजार की वित्तीय दुनिया में आमतौर पर इस्तेमाल किया जाने वाला शब्द है इस लेख (pledge share meaning in hindi) में, हम “गिरवी शेयर” के अर्थ और भारतीय वित्तीय बाजार में इसके महत्व के बारे में गहराई से जानेंगे

हेल्लो दोस्तों SEBI के द्वारा लाए गए नये नियमों में एक रूल स्टॉक प्लेज यानि शेयर को गिरवीं रखने का भी हैं, बाजार नियामक सेबी ने पूंजी बाजार के सभी स्तरों पर पारदर्शिता दर्ज करने के लिए कई दिशानिर्देश जारी किए हैं जिनमे से एक परिवर्तनों की श्रृंखला में नवीनतम स्टॉक मार्जिन गिरवी नियम है जिसे हम Share Pledge के नाम से जानते है इसका मुख्य उद्देश्य ग्राहक को अधिक स्पष्टता प्रदान करना है वैसे इन नये नियमों से स्टॉक मार्केट में काफी बदलाव देखने को मिला हैं 

Share Pledge क्या होता है ?

शेयरों को डीमैट खाते में गिरवी रखना निवेशकों द्वारा धन जुटाने यानि शेयरों को खरीदने के लिए मार्जिन का इस्तेमाल किया जाने वाला एक सामान्य तरीका है इस प्रक्रिया में, उधारकर्ता अपने डीमैट खाते में रखे अपने पुराने शेयरों के एक हिस्से को ऋण के लिए संपार्श्विक के रूप में अपने ब्रोकर के पास गिरवी रख देता है

शेयरों को गिरवी रखना ऋण के लिए संपार्श्विक के रूप में शेयरों का उपयोग करने के कार्य को संदर्भित करता है इस व्यवस्था में, ऋणदाता शेयरों को ऋण के लिए सुरक्षा के रूप में रखता है और यदि उधारकर्ता ऋण पर चूक करता है, तो ऋणदाता ऋण राशि की वसूली के लिए शेयरों को बेच सकता है

धन जुटाने के लिए शेयरों को गिरवी रखना एक आम बात है, लेकिन अगर शेयरों का मूल्य काफी गिर जाता है तो यह शेयरधारक के लिए जोखिम भी बढ़ा सकता है

एक बार जब ऋण पूरी तरह चुका दिया जाता है, तो ऋणदाता गिरवी रखे गए शेयरों को उधारकर्ता के डीमैट खाते में वापस कर देता है हालांकि, यदि उधारकर्ता ऋण पर चूक करता है, तो ऋणदाता को ऋण राशि की वसूली के लिए गिरवी रखे गए शेयरों को बेचने का अधिकार रखते है बिक्री आय का उपयोग बकाया ऋण का भुगतान करने के लिए किया जाता है और शेष राशि उधारकर्ता के ट्रेडिंग खाते में वापस जमा कर दी जाती है

यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि डीमैट खाते में शेयरों को गिरवी रखना सुरक्षित ऋण देने का एक रूप है और इसमें एक निश्चित स्तर का जोखिम होता है यदि गिरवी रखे गए शेयरों का मूल्य काफी गिर जाता है, तो ऋणदाता अपने जोखिम को कम करने के लिए अतिरिक्त संपार्श्विक की मांग कर सकता है या शेयरों को बेच सकता है दूसरी ओर, यदि गिरवी रखे गए शेयरों का मूल्य बढ़ता है, तो ऋण लेने वाले अपेक्षाकृत कम लागत पर धन प्राप्त करके लाभान्वित हो सकते हैं

SEBI के द्वारा इस नियम की घोषणा फ़रवरी में की गई थी जिसको 1 सितंबर, 2020 में शेयर बाजार में किये जाने वाले बदलाव यानि नए नियमों में शेयरों को प्लेज (गिरवी) पर रखना जिसे स्टॉक मार्जिन प्लेज भी कहा जाता हैं और साथ ही अपफ्रंट मार्जिन के नियमों को भी लागु किया गया था

सेबी के न्यू मार्जिन रूल्स को विस्तार से समझने के लिए आपको मेरा एक और आर्टिकल SEBI New Margin Rules In Hindi को पढ़ना पड़ेंगा जिसकी मदद से आप इसको और भी विस्तारपूर्वक समझ पाएंगे

सामान्य तौरपर यह स्टॉक प्लेज (शेयर प्रतिज्ञा) यानि गिरवीं रखवाने की प्रक्रिया इंट्राडे पोजीशन पर ट्रेड करनेवाला क्लाइंट्स एक लीवरेज प्राप्त करने के लिए उनके पास दो उपाय है या तो वह अपने ट्रेडिंग खाते में कैश के तौरपर पर मार्जिन जमा रखे या फिर अपने डीमैट खाते में पड़े शेयरों को अपने ब्रोकर के पास गिरवी रखे जिसके बाद से ही आपके ब्रोकर के द्वारा ट्रेड करने की अनुमति दी जाएँगी

सेबी के स्टॉक मार्केट के प्रति यह नियम को पूंजी बाजार का बड़ा बदलाव माना जाता हैं हालाकि, इस नए नियम से भारतीय शेयर बाजार को एक नया रूप मिला है और साथ ही दुनिया के इस टेक्नोलॉजी के सफ़र में भारतीय शेयर बाजार विकास के नए – नए शिखर को छुएगा

संक्षेप में, डीमैट खाते में शेयरों को गिरवी रखना निवेशकों के लिए मार्जिन के लिए संपार्श्विक के रूप में अपने स्टॉक होल्डिंग्स का उपयोग करने का एक सुविधाजनक और कुशल तरीका है, लेकिन इससे जुड़े जोखिमों को समझना और आगे बढ़ने से पहले ऋण समझौते की शर्तों पर सावधानीपूर्वक विचार करना महत्वपूर्ण हैं

शेयर प्लेसमेंट की तकनीकी प्रक्रिया

स्टॉक्स को गिरवी रखने की प्रक्रिया को स्टॉक मार्केट की भाषामे प्लेजमेंट कहा जाता है जिसे पूर्ण करने से उसे शेयर प्लेज या शेयर गिरवी रखा गया कहा जाता है

शेयर को प्लेज यानि गिरवी रखने का यह मतलब होता है की यदि किसी निवेशक कोई शेयर खरीदता है तब उसके तीसरे दिन यानि T+2 ट्रेड – डे के मुताबिक शेयर के सेटलमेंट के बाद जब सेबी स्टॉक एक्सचेंज के जरिये उस ख़रीदे गए शेयर की डिलीवरी ब्रोकर को देते है तब पक्के तौर पर ब्रोकर को उसे Client के Demat Account में जमा करना पड़ता है

यह पूरी प्रोसेसिंग सेबी के न्यू प्लेजमेंट रूल्स के मुताबिक ही होती है, इनसे पहले ब्रोकर्स अपने Clients के ख़रीदे गए शेयरों को अपने पास यानि Trading Account में रख सकते थे इनसे Clients को शेयर खरीदने के लिए किसी प्रकार के मार्जिन की आवश्यकता नहीं थी क्यूंकि आपने जो शेयर ख़रीदे है वो तो आपके Trading Account में पड़े है और वह Trading Account तो ब्रोकर्स के अंडर-कन्ट्रोल में है

मगर अब इसे न्यू मार्जिन रूल्स के मुताबिक Clients के शेयर्स तो Demat Account में जमा होते है अब आप कहेंगे की Demat Account भी तो ब्रोकर्स के पास ही है हा यह सही है

मगर Demat Account का पूरा कन्ट्रोल Client के पास होता है यह बात आप आगे समजेंगे जब में आपको शेयर प्लेजमेंट की पूरी प्रक्रिया को समजाऊंगा, फिलहाल अब जबकि शेयर्स Client के Demat Account में जमा है तो Client अपने नए सौदे के लिए अपने Demat Account में पड़े लॉन्गटर्म इन्वेस्टमेंट वाले शेयरों पर मार्जिन कैसे प्राप्त कर सकता है ?

Power of Attorney और उसका इस्तेमाल

पावर ऑफ अटॉर्नी (POA) एक कानूनी दस्तावेज है जो किसी और को विभिन्न स्थितियों में आपकी ओर से कार्य करने का अधिकार प्रदान करता हैं

पावर ऑफ अटॉर्नी (पीओए) प्रदान करने वाले व्यक्ति को “प्रिंसिपल” के रूप में जाना जाता है और उनकी ओर से कार्य करने के लिए नियुक्त व्यक्ति को “एजेंट” या “अटॉर्नी (वकील)-इन-फैक्ट” के रूप में जाना जाता है अटॉर्नी-इन-फैक्ट निर्णय ले सकता है और कार्रवाई कर सकता है

POA का उपयोग विभिन्न उद्देश्यों के लिए किया जा सकता है, जैसे की; वित्तीय मामलों का प्रबंधन, स्वास्थ्य संबंधी निर्णय लेना या अचल संपत्ति लेनदेन को संभालना

यह एक सामान्य पीओए हो सकता है, जो वास्तव में अटार्नी को व्यापक अधिकार देता है, या एक सीमित पीओए, जो विशिष्ट कार्यों को निर्दिष्ट करता है, जिसे करने के लिए वास्तव में अटार्नी अधिकृत है, पीओए किसी भी समय इसे देने वाले व्यक्ति द्वारा रद्द किया जा सकता है, जब तक कि उनके पास ऐसा करने की क्षमता है

यह नए स्टॉक प्लेज नियम के लागू होने से पहले क्लाइंट एवंम ब्रोकर को मूल बातोँ का विशलेषण करना होंगा, क्लाइंट्स के द्वारा रखे गए शेयरों को सीधे ब्रोकर के पास गिरवी रखने के लिए उन्हें Power of Attorney (पावर ऑफ अटॉर्नी) POA का उपयोग करके ब्रोकर के पूल खाते में स्थानांतरित कर दिया जाता था

यह नियम आज केवल उन क्लाइंट्स के लिए है जिसका डीमैट खाता ब्रोकर से अलग है जिसको जरुरी तौरपर पर अपने डिपोजिटरी पार्टीसिपेटरी (DP) की ‘पावर ऑफ अटॉर्नी’ अपने ब्रोकर को देनी पड़ती है जिसके बाद की प्रक्रिया में क्लाइंट्स के डीमैट खाते में पड़े वह शेयर उनके ट्रेडिंग खाते में आ जाएंगे वो भी प्लेज के टैग के साथ जिसको किसी भी समय बेचा जा सकता हैं

नए शेयर गिरवी रखने का नियम पीओए प्रणाली को खत्म कर देता हैं और शेयरों को गिरवी रखने के लिए एक नई व्यवस्था को संदर्भित करता है जिसको हम विस्तार से समझते हैं

सेबी के द्वारा लागु किए गए नए नियमों के चलते क्लाइंट्स के डीमैट खाते में पड़े शेयर्स गिरवी होने के बाद भी उसी में जमा रहेंगे सिर्फ शेयर प्लेज के टैग के साथ बाकि शेयरों की लिस्ट में दिखेंगे जिसको अनुमोदित करने के लिए अपने ब्रोकर से एक शेयर प्लेज करने की अनुरोध को अधिकृत करने की आवश्यकता होंगी जिसका इस्तेमाल ऑनलाइन मेसेज के तौरपर किया जाता हैं

Power of Attorney (POA) के मुख्य दो प्रकार हैं:-
  • General POA (सामान्य पीओए) – इस प्रकार का पीओए अटॉर्नी-इन-फैक्ट को प्रिंसिपल की ओर से कार्य करने का व्यापक अधिकार देता है इसमें वित्तीय लेन-देन करना, कानूनी दस्तावेज़ों पर हस्ताक्षर करना और चिकित्सीय निर्णय लेना, अन्य बातों के साथ-साथ शामिल हो सकते हैं
  • Limited POA (सीमित पीओए) – एक सीमित पीओए उन विशिष्ट कार्यों को निर्दिष्ट करता है जिन्हें करने के लिए वास्तव में अटार्नी अधिकृत होता है उदाहरण के लिए, एक सीमित पीओए अचल संपत्ति के एक विशिष्ट टुकड़े की बिक्री को संभालने या किसी विशेष बैंक खाते से संबंधित वित्तीय निर्णय लेने के लिए वास्तव में वकील को अधिकृत कर सकता है

पीओए या तो टिकाऊ या गैर-टिकाऊ हो सकता है प्रिंसिपल के अक्षम हो जाने पर भी टिकाऊ पीओए प्रभावी रहता है, जबकि गैर-टिकाऊ पीओए समाप्त हो जाता है अगर प्रिंसिपल अक्षम हो जाता है

पीओए का उपयोग अक्सर उन स्थितियों में किया जाता है जहां प्रिंसिपल अपने स्वयं के मामलों को संभालने में असमर्थ होता है, जैसे कि बीमारी या अक्षमता के मामले में, इसका उपयोग सुविधा के लिए भी किया जाता है, जैसे की; जब प्रिंसिपल अनुपलब्ध हो या किसी विशेष लेनदेन को संभालने के लिए उपस्थित होने में असमर्थ हो

जिस व्यक्ति को आप पीओए प्रदान करते हैं, उसके बारे में सावधानीपूर्वक विचार करना महत्वपूर्ण है, क्योंकि उनके पास आपकी ओर से महत्वपूर्ण निर्णय लेने का अधिकार होगा जब तक उनके पास ऐसा करने की क्षमता है, तब तक प्रिंसिपल द्वारा किसी भी समय पीओए को रद्द किया जा सकता है

शेयर प्लेसमेंट किस ट्रेडिंग पर किया जा सकता है ?

शेयर्स को अपने ब्रोकर के पास गिरवी रखने का ज्यादा लाभ उन ट्रेडर्स को होता है जो Intraday पोसीशन पर ट्रेडिंग करते है

डिलीवरी बेस ट्रेडिंग करने वाले ट्रेडर्स को इसका इतना लाभ नहीं मिल पाता है, चलिए इन दोनों पोसीशन को समजते है

Intraday Trading पर शेयर प्लेजमेंट

इंट्राडे बेस पोसीशन पर शेयर प्लेजमेंट करना इस लिए लाभदायक है क्यूंकि इसमें मार्केट दिन के शुरुआत से लेकर मार्केट खत्म होने तक के सभी सौदे स्क्वेरअप यानि सुलटालिये जाते है

इसका मतलब जब शाम को बिल बनते है तब केवल प्रोफिट – लोस के फिगर ही आते है अब यदि कोई Client इस प्रकार का ट्रेडिंग करता है तो उसे अपने Trading Account में पैसे जमा रखने के बजाय अपने Demat Account में पड़े बिना इस्तेमाल के शेयरों को अपने ब्रोकर के पास प्लेज (गिरवी) रखवा कर अपनी ट्रेडिंग जारी रख सकता है

क्लाइंट्स शेयर प्लेजमेंट यानि गिरवी रखे हुए शेयरों को कभी भी बेच सकता है और साथ ही उसे कभी भी Un – Pledge करवा सकते है

निवेशक अपने Demat Account में पड़े शेयरों मेसे अपनी मर्जी के मुताबिक शेयरों को Pledge करवा सकते है, अगर वो चाहे तो अपने शेयर्स को Pledge नहीं भी करवा सकते है क्योंकि Stock Pledge करवाना है या नहीं यह पूर्णरूप से क्लाइंट पर डिपेंड करता है की उसकी उसे आवश्यकता है या नहीं

Delivery Trading पर शेयर प्लेजमेंट

अब बात करते है डिलीवरी बेस पोसीशन की तो इसमें Client जो शेयर खरीदता है वह एक लंबीअवधि के निवेश हिसाबसे खरीदें गए शेयर्स होते है

जैसे की; तिन दिन, एक महिना, एक साल या उनसे भी अधिक समय के लिए इन्वेस्टमेंट करते है अब इसमें यदि शेयर प्लेजमेंट का उपयोग करे भी तो सेबी के रूल्स के मुताबिक शेयर खरीदी के (T+2 से T+5) तिसरे दिन से लेकर पांचवें दिन के अन्दर पूरा डेबिट क्लीयर कर देना पड़ेंगा इस वजह से इस प्रकार के ट्रेडिंग पोसीशन पर शेयर प्लेजमेंट करना समय की बरबादी है

शेयर प्लेज के नियम निवेशकों और ब्रोकरों को कैसे प्रभावित करते हैं ?

शेयर प्लेज नियम सेबी, स्टॉक एक्सचेंजों, सरकारों और अन्य नियामक निकायों द्वारा मार्जिन के लिए संपार्श्विक के रूप में शेयरों को गिरवी रखने के कार्य को नियंत्रित करने के लिए निर्धारित नियम हैं इन नियमों का उद्देश्य शेयर बाजार में पारदर्शिता और स्थिरता सुनिश्चित करना और निवेशकों के हितों की रक्षा करना है

आगे बढ़ने से पहले हम यह समज लेते है की आखिरकार निवेशकों और ब्रोकरों को सेबी के इस नए मार्जिन और शेयर प्लेजमेंट के नियमों से क्या फर्क पड़ा हैं

शेयर गिरवी रखने के नियम निवेशकों और दलालों को निम्नलिखित तरीकों से प्रभावित कर सकते हैं :-

Investors (निवेशक) – शेयर गिरवी रखने के नियम निवेशकों को उनके निवेश के मूल्य को प्रभावित कर सकते हैं यदि बड़ी संख्या में शेयरों को गिरवी रखा जाता है, तो ऋणदाता डिफ़ॉल्ट की स्थिति में ऋण चुकाने के लिए उन्हें बाजार में बेच सकता है, जिसके परिणामस्वरूप शेयर के बाजार मूल्य में गिरावट आ सकती है और निवेशक की होल्डिंग के मूल्य पर असर पड़ सकता है

इसके अतिरिक्त, यदि उधारकर्ता एक कंपनी के अंदरूनी सूत्र या एक प्रमुख शेयरधारक है, तो उनके शेयरों की गिरवी कंपनी के भविष्य के प्रदर्शन में विश्वास की कमी का संकेत दे सकती है, जो स्टॉक के मूल्य पर भी नकारात्मक प्रभाव डाल सकती हैं

Brokers (ब्रोकर्स) – शेयर गिरवी रखने के नियम किसी विशेष स्टॉक की बाजार की तरलता को प्रभावित करके ब्रोकरों को प्रभावित कर सकते हैं यदि बड़ी संख्या में शेयर गिरवी रखे जाते हैं, तो ऋणदाता उन्हें बाजार में बेच सकता है, संभावित रूप से स्टॉक की कीमत में गिरावट आ सकती है और बाजार की तरलता प्रभावित हो सकती है

इसके अतिरिक्त, यदि किसी कंपनी के अंदरूनी सूत्र या प्रमुख शेयरधारक द्वारा बड़ी संख्या में शेयर गिरवी रखे जाते हैं, तो यह कंपनी के भविष्य के प्रदर्शन में विश्वास की कमी का संकेत दे सकता है, जो स्टॉक की बाजार की तरलता पर भी नकारात्मक प्रभाव डाल सकता हैं

यहां कुछ खास तरीके दिए गए हैं जिनसे शेयर गिरवी रखने के नियम निवेशकों और ब्रोकरों को प्रभावित कर सकते हैं :-
  1. पारदर्शिता (Transparency) – शेयर गिरवी रखने के नियमों में अक्सर उधारकर्ता द्वारा शेयरों की गिरवी के सार्वजनिक प्रकटीकरण की आवश्यकता होती है यह जानकारी तब निवेशकों को उपलब्ध कराई जाती है, जिससे उन्हें सूचित निवेश निर्णय लेने की अनुमति मिलती है यह बढ़ी हुई पारदर्शिता बाजार में हेरफेर और अंदरूनी व्यापार की संभावना को कम करने में मदद करती है
  2. गिरवी रखने पर सीमाएं (Limitations on Pledge) – शेयर प्लेज नियम किसी कंपनी के शेयरों के प्रतिशत को सीमित कर सकते हैं जिन्हें गिरवी रखा जा सकता है, जो स्वामित्व की एकाग्रता को रोकने और बाजार की स्थिरता सुनिश्चित करने में मदद करता है इसके अतिरिक्त, शेयर गिरवी रखने के नियम गिरवी रखे गए शेयरों की बिक्री को प्रतिबंधित कर सकते हैं, जो तेजी से बिक्री और बाजार की अस्थिरता को रोकने में मदद करता है
  3. निवेशकों की सुरक्षा (Protecting Investors) – शेयर प्लेज नियम निवेशकों को यह सुनिश्चित करने में मदद कर सकते हैं कि ऋणदाता बाजार में बड़ी संख्या में शेयर नहीं बेचते हैं, जो शेयर की कीमत पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है इसके अतिरिक्त, शेयर गिरवी रखने के नियम इनसाइडर ट्रेडिंग और बाजार में हेरफेर को रोकने में मदद कर सकते हैं, जो निवेशकों के हितों की रक्षा कर सकते हैं
  4. ब्रोकर की जिम्मेदारियां (Broker Responsibilities) – शेयर गिरवी रखने के नियम डिफॉल्ट होने की स्थिति में ब्रोकर्स की जिम्मेदारियों को भी निर्दिष्ट कर सकते हैं उदाहरण के लिए, दलालों को गिरवी रखे गए शेयरों से संबंधित किसी भी संदिग्ध व्यापारिक गतिविधियों की रिपोर्ट करने की आवश्यकता हो सकती है और उन्हें चूक की स्थिति में कुछ प्रक्रियाओं का पालन करने की आवश्यकता हो सकती है, जैसे की; गिरवी रखे गए शेयरों के हस्तांतरण को रोकना
  5. लाभांश आय (Dividend Income) – शेयर प्रतिज्ञा नियम उधारकर्ता के गिरवी रखे शेयरों पर लाभांश प्राप्त करने के अधिकारों को निर्दिष्ट कर सकते हैं उदाहरण के लिए, नियमों में उधारकर्ता को ऋण चुकाने के लिए लाभांश आय का उपयोग करने की आवश्यकता हो सकती है, या वे उधारकर्ता की लाभांश प्राप्त करने की क्षमता को तब तक सीमित कर सकते हैं जब तक कि ऋण पूरी तरह से चुकाया नहीं जाता

शुरू में जब सेबीने इन नियमों को लागु किया गया तब निवेशकों और ब्रोकरों को इन सेबी के नियमो को समजने की कोसिश में थे की आखिरकार सेबी ने भारतीय स्टॉक मार्केट में आयी इस कोरोना की मंदी के समय में जब बाजार इतना निचे गिर रहा है

तब इतने कठोर नियमों को लागु करवाने का क्यू सुजा, मगर इतने समय के बाद आखिरकार हम इस नए नियमों के आधीन खुदको ढाल ही लिया साथ हमें धीरे – धीरे इन नये नियमों की एहमियत भी समजमें आगयी

अंत में, शेयर गिरवी रखने के नियम शेयर बाजार की स्थिरता और पारदर्शिता बनाए रखने और निवेशकों के हितों की रक्षा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं निवेशकों और दलालों के लिए इन नियमों से अवगत होना और निवेश निर्णय लेते समय उनके संभावित प्रभाव पर विचार करना महत्वपूर्ण है

शेयरों को गिरवी रखने के लिए सेबी के दिशानिर्देश

“भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड” (सेबी) ने सूचीबद्ध कंपनियों के प्रवर्तकों और अन्य प्रमुख शेयरधारकों के द्वारा शेयरों को गिरवी रखने के लिए दिशानिर्देश जारी किए हैं इन दिशानिर्देशों का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि शेयरों को गिरवी रखना पारदर्शी और जिम्मेदारी के तरीके से किया जाता है और अल्पसंख्यक शेयरधारकों के हितों की रक्षा की जाती है, शेयरों को गिरवी रखने के लिए सेबी के कुछ प्रमुख दिशानिर्देश यहाँ दिए गए हैं :-

  1. प्रकटीकरण – अपने शेयर गिरवी रखने वाले प्रमोटरों और अन्य प्रमुख शेयरधारकों को स्टॉक एक्सचेंजों और कंपनी को ऐसे गिरवी रखे गए विवरणों का खुलासा करना चाहिए इसमें गिरवी रखे गए शेयरों की संख्या, गिरवी रखने का उद्देश्य और गिरवी समझौते के नियम और शर्तें शामिल होते हैं
  2. थ्रेसहोल्ड लिमिट – सेबी ने प्रमोटर शेयरहोल्डिंग के लिए 25% की थ्रेशोल्ड लिमिट तय की है जिसे गिरवी रखा जा सकता है इसका यह मतलब है कि प्रमोटर कंपनी में अपनी 25 फीसदी से ज्यादा की हिस्सेदारी को गिरवी नहीं रख सकते हैं यदि गिरवी इस सीमा को पार कर जाती है, तो इसे नियंत्रण में परिवर्तन माना जाता है और एक खुली पेशकश को ट्रिगर करता है
  3. न्यूनतम प्रमोटर शेयरहोल्डिंग का रखरखाव – सेबी ने यह अनिवार्य किया है कि प्रमोटरों को हर समय कंपनी में न्यूनतम 20% शेयरहोल्डिंग बनाए रखनी चाहिए यदि गिरवी रखे गए शेयरों को डिफॉल्ट के कारण बाजार में बेच दिया जाता है और प्रमोटर की शेयरधारिता इस सीमा से कम हो जाती है, तो उन्हें इसे एक निर्दिष्ट अवधि के भीतर 20% तक वापस लाना होंगा
  4. वार्षिक रिपोर्ट में प्रकटीकरण – कंपनियों को अपनी वार्षिक रिपोर्ट में गिरवी रखे गए शेयरों के विवरण का खुलासा करना चाहिए, जिसमें गिरवी रखे गए शेयरों की संख्या, गिरवी रखी गई शेयरधारिता का प्रतिशत और वर्ष के दौरान गिरवी में कोई भी बदलाव शामिल है
  5. शेयरों का मूल्यांकन – गिरवी रखे जा रहे शेयरों का मूल्य पूर्ववर्ती 26 सप्ताह के दौरान शेयरों के औसत बाजार मूल्य के आधार पर निर्धारित किया जाना चाहिए यह शेयरों के ओवरवैल्यूएशन को रोकने और अल्पसंख्यक शेयरधारकों के हितों की रक्षा के लिए जरुरी हैं

इन दिशानिर्देशों का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि शेयरों को गिरवी रखना पारदर्शी और जिम्मेदार तरीके से किया जाता है और अल्पसंख्यक शेयरधारकों के हितों की रक्षा की जाती हैं

शेयर प्लेजमेंट की शर्तें –

  • ब्रोकर के द्वारा स्टॉक प्लेज को करने से पहले अपने क्लाइंट के डीमैट खाते का ‘पावर ऑफ अटॉर्नी’ होना जरुरी हैं जिसके प्रश्चात ही एक ब्रोकर अपने क्लाइंट के डीमैट खाते में पड़े शेयरों को गिरवी रखने की रिक्वेस्ट भेज सकता हैं
  • शेयर प्लेजमेंट करवाने की एक अहम शर्त यह है की जिस किसी Clients को अपने Demat Account में पड़े शेयरों को अपने ब्रोकर्स के पास गिरवी रखवाना है उस शेयर पर रोजाना कारोबार यानि Volume होना इसकी अहम शर्त है अगर किसी Clients के पास ऐसे शेयर्स है जिस पर रोजाना कोई सौदे नहीं होते है यानि एक तरह से डीलिस्टेड स्टॉक्स को प्लेज पर नहीं रखवा सकते है
  • वह स्टॉक सेबी के किसी प्रकार के बंधन में नहीं होना चाहिए यानि वह स्टॉक ASM/GSM Category में शामिल नहीं होना चाहिए ऐसा इस लिए क्योंकि उन केटेगरी में मोजूद शेयरों पर सेबी ने कुछ स्ट्रिक्ट कदम उठाएं हुए होते है जिनकीं वजह से उन शेयरों में 100% या उनसे ज्यादा का मार्जिन लागु किया हुआ होता है तो जब पहलेसे ही पूर्व मार्जिन ब्लॉक होंगा तो वैसे भी हमारा ब्रोकर उन शेयरों को प्लेज नहीं करेंगा और यदि प्लेज कर भी लिए तो उन स्टॉक्स पर हमें थोडा भी बेनिफिट नहीं मिलेंगा
  • हम जिस शेयर को प्लेज पर रखते है उसपर हमें उस शेयर के बाजार वेल्यूएशन के मुताबिक मार्जिन नहीं मिलता बल्कि उस शेयर पर लगे मार्जिन की वेल्यु Hair Cut के तौर पर बाद हो जाती है उसके बादकी रकम पर ही हमें हमारे खाते में मार्जिन इस्तेमाल करने को मिलता है

अब जबकि हमने प्लेजमेंट की सामान्य जानकारी प्राप्त की और साथ ही हमने इसकी अहम शर्त के बारेंमे भी बात की तो अब हमें शेयर प्लेजमेंट यानि शेयर को गिरवी रखवाने की पूरी प्रक्रिया के बारेंमे चर्चा करने की आवश्यकता हैं

शेयर गिरवी रखने की पूर्ण प्रक्रिया

शेयरों को प्लेज करवाने से लेकर शेयर्स को अनप्लेज करवाने की पूरी मेथड को निवेशकों (ट्रेडर्स) और ब्रोकर्स इन दोनों के आधार पर विस्तार से समझेंगे इनसे पहले उनसे जुड़े कुछ अहम मुद्दों पर चर्चा करते हैं

शेयरों को गिरवी रखने की प्रक्रिया में आमतौर पर निम्नलिखित चरण शामिल होते हैं :-
  1. मार्जिन आवश्यकता की पहचान करना – ऋण लेने वाले को पहले ऋण की आवश्यकता का निर्धारण करना चाहिए, जैसे कि किसी व्यवसाय के अवसर को वित्तपोषित करना, कोई बड़ी खरीदारी करना या अप्रत्याशित खर्चों को पूरा करना, उधारकर्ता को ब्याज, चुकौती अवधि और ऋण संबंधी अन्य खर्चों को ध्यान में रखते हुए आवश्यक धन की राशि भी निर्धारित करनी चाहिए
  2. ऋणदाता का चयन – उधारकर्ता एक बैंक, वित्तीय संस्थान (ब्रोकरों) या अन्य उधारदाताओं को चुन सकता है जो गिरवी रखे गए शेयरों के बदले ऋण प्रदान करता है, उधारकर्ता को सबसे अच्छा विकल्प निर्धारित करने के लिए विभिन्न उधारदाताओं और उनकी ऋण शर्तों, ब्याज दरों और अन्य शुल्कों की तुलना करनी चाहिए
  3. शेयरों को गिरवी रखना – उधारकर्ता अपने डीमैट खाते में रखे गए शेयरों के एक हिस्से को मार्जिन (ऋण) के लिए संपार्श्विक के रूप में गिरवी रखते हैं, ऋणदाता गिरवी रखे गए शेयरों की प्रामाणिकता और मूल्य की पुष्टि करता है और एक मार्जिन आवश्यकता निर्धारित कर सकता है, जो कि गिरवी रखे गए शेयरों द्वारा कवर की जाने वाली ऋण राशि का प्रतिशत है, ऋणदाता और बाजार की स्थितियों के आधार पर मार्जिन आवश्यकता 50% से 90% तक हो सकती है
  4. ऋण समझौता – उधारकर्ता और ऋणदाता एक ऋण समझौते में प्रवेश करते हैं जो ब्याज दर, पुनर्भुगतान अवधि और दोनों पक्षों के अधिकारों और जिम्मेदारियों सहित ऋण के नियमों और शर्तों को रेखांकित करता है, ऋण समझौते की सावधानी से समीक्षा की जानी चाहिए ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि उधारकर्ता शर्तों और संबंधित जोखिमों को समझता है
  5. ऋण संवितरण – एक बार ऋण समझौते पर हस्ताक्षर हो जाने के बाद, ऋणदाता ऋण राशि को उधारकर्ता के खाते में वितरित कर देता है, ऋणदाता और ऋण समझौते के आधार पर ऋण राशि एकमुश्त या किश्तों में वितरित की जा सकती है या क्लाइंट्स को सीखे उनके ट्रेडिंग खाते में मार्जिन बढ़ोतरी मिल जाती है जिन्हें वो शेयरों में ट्रेडिंग के स्वरूप इस्तेमाल कर सकते हैं
  6. ऋण चुकाना – ऋण समझौते के अनुसार उधारकर्ता निर्दिष्ट समय अवधि में ब्याज सहित ऋण चुकाता है, चुकौती अनुसूची को सावधानीपूर्वक प्रबंधित किया जाना चाहिए ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि ऋण समय पर पूरी तरह चुकाया गया है
  7. गिरवी रखे गए शेयरों को वापस लेना – एक बार जब ऋण पूरी तरह से चुका दिया जाता है या हमारे ट्रेडिंग उद्देश्यों को पूर्ण कर लिया जाता है तो ऋणदाता (ब्रोकर) गिरवी रखे गए शेयरों को उधारकर्ता के डीमैट खाते में वापस कर देता है, उधारकर्ता तब उन शेयरों को बेच या धारण कर सकता है हालांकि, प्लेज किए गए शेयरों को उसी अवस्था में भी बेचा जा सकता है जब तक उसको मार्जिन के तौरपर पर इस्तेमाल ना किया गया हों
  8. डिफॉल्ट और गिरवी रखे गए शेयरों की बिक्री – यदि उधारकर्ता ऋण पर चूक करता है तो ऋणदाता के पास ऋण राशि की वसूली के लिए गिरवी रखे गए शेयरों को बेचने का अधिकार होता है, बिक्री आय का उपयोग बकाया ऋण का भुगतान करने के लिए किया जाता है और शेष राशि उधारकर्ता को वापस कर दी जाती है, गिरवी रखे गए शेयरों की बिक्री से उधारकर्ता की वित्तीय स्थिति और क्रेडिट स्कोर पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है, इसलिए समय पर ऋण चुकाना महत्वपूर्ण होता हैं
  9. क्रेडिट स्कोर – ऋण प्राप्त करने के लिए शेयरों को गिरवी रखना उधारकर्ता के क्रेडिट स्कोर को प्रभावित कर सकता है, ऋण पर डिफ़ॉल्ट के परिणामस्वरूप क्रेडिट स्कोर पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है, जिससे भविष्य में ऋण या क्रेडिट प्राप्त करना अधिक कठिन हो सकता है
  10. बाजार की स्थिति – गिरवी रखे गए शेयरों के बाजार मूल्य में उतार-चढ़ाव हो सकता है, जो कर्जदार की कर्ज चुकाने की क्षमता को प्रभावित कर सकता है, ऋणदाता समय-समय पर गिरवी रखे गए शेयरों के मूल्य का पुनर्मूल्यांकन कर सकता है और तदनुसार मार्जिन आवश्यकता को समायोजित कर सकता है, जिसके परिणामस्वरूप मार्जिन कॉल हो सकती है, मार्जिन कॉल मार्जिन आवश्यकता को पूरा करने के लिए गिरवी रखी जाने वाली अतिरिक्त संपार्श्विक की मांग है जिसको शेयर मूल्यों के आधार पर बढ़ाया – घटाया जाता हैं
  11. तरलता – शेयर गिरवी रखने से उधारकर्ता की तरलता कम हो सकती है, क्योंकि हो सकता है कि वे गिरवी रखे गए शेयरों को तब तक बेचने में सक्षम न हों जब तक कि मार्जिन पूरी तरह से चुकाया नहीं जाता, उधारकर्ता को अपनी तरलता की ज़रूरतों पर विचार करना चाहिए और किसी भी अप्रत्याशित व्यय को पूरा करने के लिए एक योजना बनानी चाहिए
  12. संपार्श्विक – शेयरों के अलावा, अन्य संपत्तियां, जैसे बांड, म्यूचुअल फंड या रियल एस्टेट को भी ऋण के लिए संपार्श्विक के रूप में गिरवी रखा जा सकता है उधारकर्ता को विभिन्न संपार्श्विक विकल्पों के पक्ष और विपक्ष पर विचार करना चाहिए और अपनी आवश्यकताओं के लिए सबसे अच्छा विकल्प चुनना चाहिए

संक्षेप में, शेयरों को गिरवी रखना एक जटिल प्रक्रिया है जिसमें कई कारक और जोखिम शामिल होते हैं, इसलिए आगे बढ़ने से पहले सभी विवरणों को समझना महत्वपूर्ण है एक प्रतिष्ठित ऋणदाता का चयन करना, ऋण समझौते की सावधानीपूर्वक समीक्षा करना और समय पर ऋण चुकाने के लिए एक योजना बनाना भी महत्वपूर्ण है

शेयर किसके द्वारा गिरवी रखे जाते हैं ?

शेयर (स्टॉक) को आमतौर पर प्रमोटर या किसी कंपनी के प्रमुख शेयरधारक के द्वारा गिरवी रखे जाते हैं कुछ मामलों में, संपूर्ण प्रवर्तक समूह ऋण के लिए संपार्श्विक के रूप में अपने शेयर गिरवी रख सकता है, शेयरों को गिरवी रखने का निर्णय आमतौर पर प्रमोटर या शेयरधारक के द्वारा लिया जाता है, जो शेयरों के मालिक होते है और कंपनी के लिए या व्यक्तिगत कारणों से धन जुटाने की आवश्यकता होती है

शेयरों की प्रतिज्ञा उधारकर्ता (प्रमोटर या शेयरधारक) और ऋणदाता के बीच एक औपचारिक समझौते के माध्यम से की जाती है समझौते में ऋण के नियमों और शर्तों, गिरवी रखे जाने वाले शेयरों की संख्या, गिरवी रखने की अवधि और डिफ़ॉल्ट के मामले में परिणामों की रूपरेखा होती है

यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि शेयरों को गिरवी रखने से शेयरों का स्वामित्व ऋणदाता को स्थानांतरित नहीं होता है उधारकर्ता शेयरों को धारण करना जारी रखता है और लाभांश प्राप्त करने और शेयरधारक बैठकों में भाग लेने का हकदार होता है हालांकि, ऋणदाता के पास शेयरों पर ग्रहणाधिकार होता है और डिफ़ॉल्ट के मामले में ऋण राशि की वसूली के लिए उन्हें बाजार में बेच सकता है

निवेशकों के लिए शेयर प्लेज की प्रक्रिया

शेयर प्लेजमेंट की प्रक्रिया पूरी तरह से ऑनलाइन होती है जिस वजह से हमें सबसे पहले हमारे ब्रोकर के पास हमारा चालू मोबाइल नंबर रजिस्टर होना चाहिए

उसके बाद Client को पर्सनली अपने ब्रोकर को सूचित करना पड़ेंगा की उनके इस Trading Account के Code पर रजिस्टर Demat Account में पड़े जमा शेयरों की लिस्ट में इन – इन शेयरों पर प्लेजिंग रिक्वेस्ट डलवानी है या सभी शेयरों पर प्लेजिंग रिक्वेस्ट भेजनी है

ब्रोकर के द्वारा रिक्वेस्ट भेजने के बाद का कार्य Clients का खुदका होता है जिसमे उसके रजिस्टर मोबाइल नंबर और ईमेल-आईडी के जरिये रिक्वेस्ट आती है जिसमे Client को उस रिक्वेस्ट के मेसेज पर आई लिंक को किसी भी ब्राउज़र पर ओपन कर लेनी है

उस लिंक को ओपन करते ही आपको अपना Pan Number लिखाई देंगा उसके आगे की प्रोसेस में आपके रजिस्टर मोबाइल नंबर पर एक OTP आयेंगा जिसे आपको उसी पेज पर अप्लाई करना होंगा उसके बाद के पेज पर उन सभी शेयरों की लिस्ट ओपन होंगी जिसे आप अपने ब्रोकर के पास प्लेजिंग करवाना चाहते है

उसमे सभी शेयरों के नाम के आगे टिकमार्क का ओपसन होंगा आपको उन सभी टिकमार्क को राईट मार्क कर देना है और आखिरमें सबमिट पर क्लीक करते ही आपकी रिक्वेस्ट स्वीकार्य हो जाती है

अंत में, शेयरों को गिरवी रखना उन निवेशकों के लिए एक उपयोगी उपकरण हो सकता है जो अतिरिक्त मार्जिन प्राप्त करना चाहते हैं, लेकिन इसका उपयोग सावधानी के साथ और संबंधित जोखिमों और लाभों पर सावधानीपूर्वक विचार करने के बाद किया जाना चाहिए

ब्रोकरों के लिए शेयर प्लेज की प्रक्रिया

ब्रोकरों के लिए, अपने क्लाइंट्स के डीमैट खाते में पड़े शेयरों को गिरवी रखना स्टॉक एक्सचेंजों या नियामक प्राधिकरणों द्वारा निर्धारित आवश्यकताओ को पूर्ण करना हो सकती है दलालों को अपनी वित्तीय स्थिरता प्रदर्शित करने और अपने क्लाइंट्स के मार्जिन आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए संपार्श्विक के रूप में अपने स्वयं के क्लाइंट्स के शेयरों को अपने पास सेबी के अनुरूप निश्चित प्रतिशत पर गिरवी रखने की और उसके आधार पर अपने क्लाइंट्स को मार्जिन प्रदान करने की सेवाएँ देना आवश्यकता हैं

उसके बाद का कार्य ब्रोकर्स का होता है जिसमे ब्रोकर अपने Client के रजिस्टर मोबाइल नंबर पर उनके Demat Account में पड़े शेयरों की SMS के माध्यम में रिक्वेस्ट भेजते है जो सीधे NSDL or CDSL के डिपोजिटरी संस्था के द्वारा Client का जिस किसी में भी Demat Account हो उनके थ्रू (द्वारा) रिक्वेस्ट प्राप्त होती है यह रिक्वेस्ट न केवल मोबाइल नंबर के द्वारा बल्कि ईमेल-आईडी के जरिये भी रिक्वेस्ट भेजी जाती है

क्लाइंट के द्वारा रिक्वेस्ट को पूर्णरूप सबमिट करने के बाद ब्रोकर उस सबमीटेड रिक्वेस्ट को चेक करके NSDL या CDSL दोनोमे से किसी एक वैलिड संस्था को वह रिक्वेस्ट भेजती है फिर वह अप्रूवल देने के बाद यानि Client के रिक्वेस्ट सबमिट करने के तिन से चार घंटे के बाद वह शेयर्स प्लेज हो जाते है

जिसमे वह शेयर्स Client के Demat Account से निकल कर उनके Trading Account में क्रेडिट (जमा) हो जाते है साथ ही उन प्लेज शेयरों को भी बेच सकते हो और ब्रोकर्स को उन प्लेज शेयरों को अनप्लेज करने का ओपसन मिलता है

ब्रोकर्स के अपने शेयरों को गिरवी रखने की प्रक्रिया

ब्रोकरों को शेयर गिरवी रखने की आवश्यकता का उद्देश्य ग्राहकों के धन की रक्षा करना और यह सुनिश्चित करना है कि ब्रोकरों के पास अपने दायित्वों को पूरा करने के लिए आवश्यक वित्तीय संसाधन हों सकता है, यदि कोई ब्रोकर अपने दायित्वों को पूरा करने में असमर्थ है, जैसे कि ग्राहकों के धन का भुगतान करना या ट्रेडों का सम्मान करना, तो गिरवी रखे गए शेयरों को कमी को पूरा करने के लिए बेचा जा सकता है

जिन ब्रोकरों को शेयर गिरवी रखने की आवश्यकता होती है, उन्हें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि मार्जिन आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए उनके पास पर्याप्त संख्या में शेयर हैं और यह कि गिरवी रखे गए शेयरों का मूल्य उनके दायित्वों को पूरा करने के लिए पर्याप्त है उन्हें गिरवी रखे गए शेयरों के बाजार मूल्य की नियमित रूप से निगरानी करनी चाहिए और मार्जिन आवश्यकताओं में किसी भी बदलाव को पूरा करने के लिए आवश्यक संपार्श्विक को समायोजित करना चाहिए

संक्षेप में, शेयरों को गिरवी रखना दलालों के लिए एक सामान्य आवश्यकता है और यह शेयर बाजार की स्थिरता और सुरक्षा सुनिश्चित करने का एक प्रमुख पहलू है शेयरों को गिरवी रखकर, दलाल अपनी वित्तीय स्थिरता प्रदर्शित कर सकते हैं और अपने ग्राहक के धन की रक्षा कर सकते हैं

कंपनी प्रमोटर के द्वारा शेयरों को गिरवी रखना

किसी कंपनी के प्रवर्तक के द्वारा शेयरों को गिरवी रखना कॉर्पोरेट वित्त में एक सामान्य प्रथा है यह किसी कंपनी के प्रमोटर के द्वारा रखे गए शेयरों को ऋण के लिए संपार्श्विक सुरक्षा के रूप में गिरवी रखने या गिरवी रखने के कार्य को संदर्भित करता है, शेयरों को ऋणदाता को संपार्श्विक के रूप में तब तक हस्तांतरित किया जाता है जब तक कि उधारकर्ता ऋण चुका नहीं देता

प्रमोटर आमतौर पर कंपनी के लिए पूंजी जुटाने या व्यक्तिगत ऋण प्राप्त करने के लिए अपने शेयर गिरवी रखते हैं यह उन्हें सुरक्षा के अन्य रूपों को प्रदान करने के बजाय संपार्श्विक के रूप में अपने शेयरों का उपयोग करने की अनुमति देता है यह प्रमोटर के लिए कंपनी की भविष्य की संभावनाओं में अपना विश्वास प्रदर्शित करने का भी एक तरीका है

हालाँकि, शेयरों को गिरवी रखने के कुछ नकारात्मक प्रभाव भी हो सकते हैं यदि उधारकर्ता ऋण पर चूक करता है, तो ऋणदाता ऋण राशि की वसूली के लिए गिरवी रखे गए शेयरों को बाजार में बेच सकता है इससे शेयर की कीमत में गिरावट आ सकती है, जिसका कंपनी के समग्र मूल्यांकन और निवेशकों के विश्वास पर प्रभाव पड़ सकता है

इसलिए, ऋणदाता और उधारकर्ता दोनों के लिए यह महत्वपूर्ण है कि वे शेयरों को गिरवी रखने के निहितार्थों पर सावधानी से विचार करें और यह सुनिश्चित करें कि लेन-देन इस तरह से संरचित है जो इसमें शामिल सभी पक्षों के लिए जोखिम को कम करता है

शेयर को ब्रोकर के पास गिरवी रखना अच्छा है या बुरा ?

किसी ब्रोकर के पास शेयरों को गिरवी (Pledge) रखने का निर्णय कई कारकों पर निर्भर करता है, जिसमें Pledge का उद्देश्य, समझौते के नियम और शर्तें एवंम जोखिम शामिल हैं सामान्य तौरपर, किसी ब्रोकर के पास शेयर गिरवी रखने के फायदे और नुकसान दोनों हो सकते हैं

Advantages (लाभ) –

  • फंडिंग तक पहुंच: किसी ब्रोकर के पास शेयर गिरवी रखने से कार्यशील पूंजी, निवेश या व्यक्तिगत खर्चों जैसे विभिन्न उद्देश्यों के लिए फंडिंग की सुविधा मिल सकती है
  • कम ब्याज दरें: शेयरों के बदले ऋण पर ब्याज दरें आमतौर पर असुरक्षित ऋणों की तुलना में कम होती हैं, जो उन्हें उधारकर्ताओं के लिए एक आकर्षक विकल्प बनाती हैं
  • स्वामित्व बनाए रखना: ब्रोकर के पास शेयर गिरवी रखने से शेयरों का स्वामित्व स्थानांतरित नहीं होता है, उधारकर्ता स्वामित्व रखता है और लाभांश प्राप्त करने और शेयरधारक बैठकों में भाग लेने का हकदार है
  • कर लाभ: कुछ मामलों में, शेयरों पर दिए गए ऋण पर चुकाया गया ब्याज कर-कटौती योग्य हो सकता है, जिससे उधार लेने की कुल लागत कम हो जाती है
  • शेयरों को बेचने की कोई आवश्यकता नहीं: शेयर गिरवी रखने से उधारकर्ता को शेयरों का स्वामित्व बनाए रखने और धन जुटाने के लिए उन्हें बेचने की आवश्यकता से बचने की अनुमति मिलती है, यह विशेष रूप से फायदेमंद हो सकता है अगर उधारकर्ता का मानना ​​है कि शेयर की कीमत भविष्य में बढ़ेगी

Disadvantages (नुकसान) –

  • मार्जिन कॉल्स का जोखिम: यदि गिरवी रखे गए शेयरों का मूल्य एक निश्चित स्तर से नीचे आता है, तो ब्रोकर मार्जिन कॉल जारी कर सकता है और अतिरिक्त संपार्श्विक की मांग कर सकता है या ऋण राशि की वसूली के लिए शेयरों को बेच सकता है यदि शेयर कम कीमत पर बेचे जाते हैं तो इससे उधारकर्ता को नुकसान हो सकता है
  • शेयर की कीमत पर नकारात्मक प्रभाव: बड़ी संख्या में शेयरों को गिरवी रखना बाजार को संकेत दे सकता है कि प्रमोटर या शेयरधारक को कंपनी की भविष्य की संभावनाओं पर भरोसा नहीं है इससे शेयर की कीमत में गिरावट आ सकती है, जो कंपनी और उसके हितधारकों के लिए हानिकारक हो सकती है
  • सीमित लचीलापन: गिरवी समझौते के नियम और शर्तें गिरवी रखे गए शेयरों को बेचने या स्थानांतरित करने की उधारकर्ता की क्षमता को सीमित कर सकती हैं यह एक नुकसान हो सकता है यदि उधारकर्ता को किसी भी कारण से शेयरों का परिसमापन करने की आवश्यकता हो
  • धोखाधड़ी की संभावना: कुछ मामलों में, दलाल अनधिकृत उद्देश्यों के लिए गिरवी रखे गए शेयरों का उपयोग कर सकते हैं, जैसे की; उन्हें अन्य पार्टियों को उधार देना या बाजार में उनका व्यापार करना, इससे धोखाधड़ी हो सकती है और उधारकर्ता को नुकसान हो सकता है

अंत में, किसी ब्रोकर के पास शेयरों को गिरवी रखने का निर्णय इसमें शामिल जोखिमों और लाभों पर सावधानीपूर्वक विचार करने के बाद लिया जाना चाहिए, उधारकर्ताओं को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि वे समझौते के नियमों और शर्तों को पूरी तरह से समझते हैं और प्रतिज्ञा से जुड़े जोखिमों को प्रबंधित करने के लिए एक योजना है

निष्कर्ष

अंत में, एक गिरवी शेयर वित्तीय संस्थानों से ऋण या ऋण प्राप्त करने के लिए कंपनियों और उनके शेयरधारकों द्वारा उपयोग किया जाने वाला एक वित्तपोषण उपकरण है जबकि यह जल्दी से पूंजी जुटाने का एक प्रभावी तरीका हो सकता है, इसमें जोखिम और संभावित गिरावट भी होती है, शेयरधारक जो अपने शेयरों को संपार्श्विक के रूप में गिरवी रखते हैं, यदि वे ऋण दायित्वों को पूरा करने में विफल रहते हैं, तो कंपनी में अपने स्वामित्व का नियंत्रण खो देते हैं और यदि गिरवी रखे गए शेयरों का मूल्य काफी गिर जाता है, तो कंपनियों को प्रतिष्ठा की क्षति हो सकती है जैसा की किसी भी वित्तीय निर्णय के साथ होता है

यह महत्वपूर्ण है कि प्रतिज्ञा शेयरों के पेशेवरों और विपक्षों का सावधानीपूर्वक मूल्यांकन किया जाए और निर्णय लेने से पहले उन्हें अन्य वित्तपोषण विकल्पों के विरुद्ध तौला जाए ऐसा करके, कंपनियां और उनके शेयरधारक सूचित निर्णय ले सकते हैं जो उनके दीर्घकालिक वित्तीय स्वास्थ्य और सफलता का समर्थन करते हैं

लेख से रिलेटेड प्रश्नों के उत्तर

शेयरों को गिरवी रखना क्या होता है ?

शेयरों को गिरवी रखना मार्जिन के लिए संपार्श्विक के रूप में शेयरों के स्वामित्व का उपयोग करने के कार्य को संदर्भित करता है दूसरे शब्दों में, एक शेयरधारक अपने स्टॉक होल्डिंग्स के कुछ शेयरों को अपने ब्रोकर को मार्जिन प्राप्त करने के लिए गिरवी रखता है

क्या शेयरों को गिरवी रखना (Pledge) सही है ?

शेयरों को गिरवी रखने का निर्णय व्यक्तिगत होता है और यह विभिन्न कारकों पर निर्भर करता है जैसे कि व्यक्ति के वित्तीय लक्ष्य, जोखिम सहिष्णुता और समग्र वित्तीय स्थिति

शेयरों को गिरवी रखना त्वरित और लचीले वित्तपोषण तक पहुंच प्रदान कर सकता है, जो व्यक्तिगत या व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए पूंजी जुटाने के इच्छुक व्यक्तियों के लिए फायदेमंद हो सकता है खासकर उन ट्रेडर्स के लिए जो इंट्राडे बेस ट्रेडिंग करते हैं

शेयर गिरवी रखना अच्छा है या बुरा ?

किसी ब्रोकर के पास शेयरों को गिरवी (Pledge) रखने का निर्णय कई कारकों पर निर्भर करता है, जिसमें Pledge का उद्देश्य, समझौते के नियम और शर्तें एवंम जोखिम शामिल हैं सामान्य तौरपर, किसी ब्रोकर के पास शेयर गिरवी रखने के फायदे और नुकसान दोनों हो सकते हैं

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