Margin Trading In Hindi

Margin Trading In Hindi

margin trading in hindi

‘मार्जिन ट्रेडिंग’ यह कोई विशेष प्रकार की ट्रेडिंग स्ट्रेटेजि या ट्रेडिंग का प्लेटफार्म नहीं बल्कि यह मार्जिन के द्वारा की जानेवाली ट्रेडिंग हैं जिसको हम इस टोपिक (margin trading in hindi) में विस्तार से समजेंगे साथ ही स्टॉक मार्केट में इसका क्या प्रयोग है और इसके जरिये ट्रेडिंग कैसे कि जाती है, इन सभी सवालों के जवाब देखेंगे तो चलिए शुरू करते हैं

Margin Trading क्या होती हैं :-

मार्जिन ट्रेडिंग का मतलब इस प्रकार होता है की स्टॉक मार्केट में निवेश करने वाले सभी ट्रेडर्स को इनसे जुडी एक प्रकार की सुविधा मुहैया की जाती है जिसमे ब्रोकर्स अपने क्लाइंट्स को उनके मुताबिक के शेयरों की खरीदी करने के लिए मार्जिन प्रदान किया जाता है इस प्रकार के ट्रेडिंग को मार्जिन ट्रेडिंग कहा जाता हैं

इस सुविधा के लाभ के प्रति ट्रेडर्स ज्यादा से ज्यादा सिक्योरिटीज (स्टॉक्स) को खरीदने में सक्षम बनता है और साथ ही इसका इस्तेमाल मार्केट समय के दौरान किसी भी समय स्टॉक्स में सौदे करने के लिए किया जा सकता है

तो मार्जिन उसे कहते है जिसके आधार पर हम नये शेयरों को खरीदने में सक्षम बनते है यानि फिर चाहे वह मार्जिन हमारे Trading Account में पड़ी जमा राशी हो या हमारे Demat Account में पड़े पुराने शेयर्स हो या फिर हमारे ब्रोकर के द्वारा दी गई लिमिट हो, इन सभी चीजों का अर्थ हमारे पास रही मार्जिन लिवरेज के आधार पर सौदे (ट्रेडिंग) करने की क्षमता पर है, जिन मार्जिन के बलबूते पर हम शेयरों पर ट्रेडिंग कर सकते हैं

मार्जिन ट्रेडिंग की सामान्य बातें

इसे दुसरे शब्दों में समजे तो शेयर बाजार में निवेश करनेवाले निवेशकों को उनके ब्रोकर्स के जरिये स्टॉक्स पर लिवरेज प्रदान किया जाता है जिसकी मदद से ट्रेडर्स शेयरों की खरीद – बिक्री कर सकतें हैं

हालांकि इनमे ज्यादा प्रॉफिट के साथ – साथ लोस की भी संभावना अधिक होती है, मार्जिन ट्रेडिंग में अधिक रिस्क होने के कारन इनको SEBI और Stock Exchange के द्वारा नियंत्रित किया जाता है, मार्जिन ट्रेडिंग को शुरू करने से पहले हमें उनके सभी नियमों को समज के उनका पालन करना अनिवार्य हो जाता है       

मार्जिन ट्रेडिंग करने के लिए हमें हमारी क्रेडिट के हिसाबसे हमारे ही ब्रोकर के द्वारा कुछ उधार राशी प्रदान की जाती है जिसे हम हमारे ट्रेडिंग मार्जिन के तौरपर पर इस्तेमाल कर सकते है

Margin Trading के अलग – अलग प्रकार :-

मार्जिन ट्रेडिंग को ऊपर दी गई जानकारी के अलावा भी कुछ और तारण के साथ समजा जा सकता है, मेरे Point of View से शेयरों पर किन – किन प्रकारों से मार्जिन ट्रेडिंग किया जा सकता है उन सभी मार्जिन ट्रेडिंग के टाइप्स के बारेंमे विस्तार से चर्चा करते है

पहले तो स्टॉक मार्केट में लिस्टेड सभी शेयरों पर मार्जिन परसेंटेज (%) अलग – अलग होते है और वो भी रोजाना बदलते (चेंज) रहते है

  • पहले तो हमारे Trading Account में जितनी भी जमा राशी है उन्हें हमारे Accounts का मार्जिन कह सकते है तो उस मार्जिन के वैल्यूएशन के आधार पर हम नये शेयरों को खरीद सकते है उसके बाद हमारी जरूरत के मुताबिक हमारे बैंक खाते से हमारे Trading Account में पैसो को ट्रान्सफर करके मार्जिन प्राप्त कर सकते है 
  • हमारे Demat Account में पड़े पुराने शेयरों पर हम दो तरीको से मार्जिन प्राप्त कर सकते है एक तो उन शेयरों को Pledge यानि गिरवी रख कर और दूसरा उन शेयरों मेसे कुछ शेयर्स को बेच कर उनके ऊपर मिले मार्जिन को इस्तेमाल कर सकते है तो हम हमारे स्टॉक मार्केट खाते में इतने प्रकार से ‘मार्जिन ट्रेडिंग’ कर सकते है
मार्जिन ट्रेडिंग के दो मुख्य प्रकार हैं :-

इक्विटी मार्जिन ट्रेडिंग

इक्विटी मार्जिन ट्रेडिंग निवेशकों को मार्जिन पर स्टॉक खरीदने की अनुमति देता है, जिसका अर्थ है कि वे सिक्योरिटीज खरीदने के लिए अपने ब्रोकर से पैसा उधार ले सकते हैं

निवेशक को प्रारंभिक मार्जिन जमा करने की आवश्यकता होती है और मार्जिन कॉल से बचने के लिए उन्हें अपने खाते में इक्विटी का एक निश्चित स्तर बनाए रखना चाहिए

यदि खाते में रखी गई प्रतिभूतियों का मूल्य रखरखाव मार्जिन आवश्यकता से कम हो जाता है, तो निवेशक को कमी को पूरा करने के लिए अतिरिक्त धनराशि जमा करने की आवश्यकता हो सकती है

इक्विटी मार्जिन ट्रेडिंग लाभ और हानि दोनों को बढ़ा सकती है, क्योंकि निवेशक अपने स्वयं के फंड से अधिक प्रतिभूतियों को खरीदने में सक्षम होता है

यदि प्रतिभूतियों का मूल्य बढ़ता है, तो निवेशक उन्हें बेच सकता है और लाभ को बनाए रखते हुए उधार ली गई धनराशि का भुगतान करने के लिए आय का उपयोग कर सकता है

हालांकि, यदि प्रतिभूतियों का मूल्य गिर जाता है, तो निवेशक को अतिरिक्त धनराशि जमा करने की आवश्यकता हो सकती है या कमी को पूरा करने के लिए उनकी प्रतिभूतियों को बेचने का जोखिम हो सकता है

फ्यूचर्स मार्जिन ट्रेडिंग

फ्यूचर्स मार्जिन ट्रेडिंग निवेशकों को मार्जिन पर वायदा अनुबंध खरीदने की अनुमति देता है, जिसका अर्थ है कि वे भविष्य की तारीख में एक पूर्व निर्धारित मूल्य पर एक वस्तु या वित्तीय साधन के लिए एक अनुबंध खरीद सकते हैं

निवेशक को प्रारंभिक मार्जिन जमा करने की आवश्यकता होती है और मार्जिन कॉल से बचने के लिए उन्हें अपने खाते में इक्विटी का एक निश्चित स्तर बनाए रखना चाहिए

यदि वायदा अनुबंध का मूल्य रखरखाव मार्जिन आवश्यकता से कम हो जाता है, तो निवेशक को कमी को पूरा करने के लिए अतिरिक्त धनराशि जमा करने की आवश्यकता हो सकती है

फ़्यूचर्स मार्जिन ट्रेडिंग भी लाभ और हानि दोनों को बढ़ा सकता है, क्योंकि निवेशक अपने स्वयं के धन के मुकाबले अधिक वायदा अनुबंध खरीद सकते हैं

यदि वायदा अनुबंध का मूल्य बढ़ता है, तो निवेशक अनुबंध को बेच सकता है और लाभ को बनाए रखते हुए उधार ली गई धनराशि का भुगतान करने के लिए आय का उपयोग कर सकता है

हालांकि, यदि वायदा अनुबंध का मूल्य गिरता है, तो निवेशक को अतिरिक्त धनराशि जमा करने की आवश्यकता हो सकती है या कमी को पूरा करने के लिए उनके अनुबंध को बेचने का जोखिम हो सकता है

निवेशकों के लिए यह महत्वपूर्ण है कि वे इसमें शामिल होने से पहले मार्जिन ट्रेडिंग के जोखिमों और लाभों पर सावधानीपूर्वक विचार करें, और अपने चुने हुए ब्रोकर की विशिष्ट मार्जिन आवश्यकताओं और नीतियों को समझें, मार्जिन ट्रेडिंग अनुभवी निवेशकों के लिए एक उपयोगी उपकरण हो सकता है जो अपने संभावित लाभ को अधिकतम करना चाहते हैं, लेकिन यह जोखिम भरा भी हो सकता है और यदि ठीक से प्रबंधित नहीं किया गया तो महत्वपूर्ण नुकसान हो सकता है

पुराने मार्जिन ट्रेडिंग नियमों की बातें :-

मार्जिन ट्रेडिंग का सामान्य मतलब मार्जिन के आधार पर स्टॉक्स की खरीद – बिक्री करना, पहले के समयमे जब सेबी ने इन मार्जिन नियमों को लागु नहीं किया था तब शेयरों में ट्रेडिंग करना आजके मुकाबले इतना सिस्टेमेटिक नहीं था यानि एकतरह से यु भी कह सकते है की तब ब्रोकर्स के मुताबिक ट्रेडिंग नियमों का पालन किया जाता था जैसे की – 

  • सभी ब्रोकरों के मुताबिक उनके क्लाइंट्स को ट्रेडिंग लिमिट प्रोवाइड की जाती थी
  • ब्रोकर्स चाहे उतने दिनों तक अपने क्लाइंट्स को डेबिट पर सौदे करने की अनुमति दी जाती थी
  • ब्रोकर्स जब तक चाहे तब तक अपने क्लाइंट्स के ख़रीदे हुए शेयरों को उनके Trading Account में जमा रख सकते थे
  • इन जैसे और कही सारे रूल्स को खुद ही कन्ट्रोल करते थे

Margin Trading करने की दो अलग – अलग परिस्थितियां :-

वैसे तो हमने ‘मार्जिन ट्रेडिंग’ की सामान्य जानकारियां प्राप्त कर ली है मगर फिरभी हम इसे कुछ और तथ्यों से समजने की कोशिश करते है, इसके लिए हमें मार्जिन ट्रेडिंग को दो सिचुएशन में समजना पड़ेंगा, एक तो हमारा Full Service Brokers Account और दूसरा हमारा ब्रोकिंग + Demat Account इन दोनों को समजते है

फुल – सर्विसेज ब्रोकर्स खाता

हमारा स्टॉक मार्केट का खाता फुल्ली ब्रोकिंग टाइप का है यानि आपका Trading and Demat Accounts एक ही संस्था (ब्रोकर) के पास है

फुल सर्विस ब्रोकिंग Account इसमें स्टॉक ट्रेडिंग पर मार्जिन रखना अनिवार्य है साथ ही इसमें आपको बहोत सारी सुविधाएं भी मिलती है जैसे की; मार्जिन जमा करवाने के सभी तरीको का इस्तेमाल कर सकते है जिसमे बैंक चेक के द्वारा, ऑनलाइन के सभी ट्रांजेक्सन प्लेटफार्म (Online Banking, BHIM App, Other Mobile Apps) के जरिये अपने बैंक खाते से ब्रोकिंग संस्था के बैंक खाते में ट्रान्सफर कर सकते है 

शेयर प्लेजमेंट यानि Demat Account में पड़े शेयरों को अपने ब्रोकर के पास गिरवी रख के अपने खाते में मार्जिन प्राप्त कर सकते है

ब्रोकिंग + डिमेट खाता

हमारा स्टॉक मार्केट का खाता ब्रोकिग और डिमेट के टाइप का है यानि आपका Trading and Demat Accounts दोनों अलग – अलग संस्था से जुड़े हुए है जिसमे आपका Trading Account किसी ब्रोकर के पास है और Demat Account किसी बैंकिंग संस्था में है

ब्रोकिंग + Demat Account इसमें हमारे दोनों खाते अलग – अलग होने से हमें कुछ दिक्कतें भी आ सकती है और साथ ही उनके मुकाबले इनमे काफी कम सेवाओं का लाभ मिलता है

इसमें भी नये शेयरों को खरीदने के पूर्ण मार्जिन रखना जरुरी है और साथ ही सिर्फ खरीदी के समय ही नहीं बल्कि शेयरों की बिकवाली से पहले भी मार्जिन जमा होना जरुरी है

ऐसा इस लिए है क्योंकि इसमें हमारे दोनों Accounts अलग – अलग संस्थाओ में है जिस वजह से ब्रोकर्स हमें सिर्फ Trading Account की ही सुविधा मुहैया करा पाते है

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Hello friends, currently I am working in the stock market operating as well as blogging through this wonderful website.

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