Money Market And Capital Market Difference In Hindi

Money Market And Capital Market Difference In Hindi

money market and capital market difference in hindi

हेल्लो दोस्तों आज हम फिर मिले है स्टॉक मार्केट के दो अहम भागों को एक ही आर्टिकल (money market and capital market difference in hindi) में समेटने के लिए जिसे हम Money Market और Capital Market के नाम से जानते हैं वैसे आपने अभीतक इन दोनों विषयों (Topics) को व्यक्तिगत रूप से नहीं समझा है तो पहले आपको उसे समझना पड़ेंगा अन्यथा आप इस टोपिक को कंटीन्यू कर सकते हैं, इस आर्टिकल की मदद से हम दोनों मार्केट्स के बिच के अंतर को जानेंगे और उन दोनों बाजारों की तुलना एक दुसरे के साथ करेंगे जिनसे आपको इन दोनों की समानता और गैर-समानता के बारेंमे पता चल सकें तो चलिए इसको शुरू करते हैं

Money Market और Capital Market क्या होता हैं :-

‘मनी मार्केट’ और ‘कैपिटल मार्केट’ की तुलनात्मक रचना को समझने के लिए (money market and capital market difference in hindi) पहले हमें इन दोनों के बारेंमे इनकी सामान्य जानकारीयों को समझना अनिवार्य हो जाता हैं जिसके प्रश्चात ही हम इसको विस्तारपूर्वक समझ पाएंगें, वैसे यह दोनों मार्केट वित्तीय बाजार (Financial Market) के प्रकार हैं जोकि यह देश की अर्थव्यवस्था को चलाने और उसके विकास में एक महत्वपूर्ण भूमिका अदा करते है क्योंकि यह उन छोटी और बड़ी संस्थाओ के लिए फंड्स एकत्रित करने का एक सरल और सुलभ प्लेटफार्म प्रदान करता हैं तो चलिए पहले इनके अर्थ को व्याख्यायित करते हैं उसकेबाद इन दोनों के अंतर को समझेंगे

Money Market

‘मनी मार्केट’ को हिंदी अनुवाद में ‘मुद्रा बाजार’ के नाम से जाना जाता हैं और साथ ही कई तथ्यों के आधार पर इसे साख मार्केट भी कहा जाता हैं इसका भी एक रिज़न है क्योंकि आमतौर पर इस बाजार में केवल मुद्रा (पैसा) आधारित कारोबार होते हैं

वैसे यह तो पक्का है की इस बाजार की मदद से प्रतिभूतियों (पूंजी) का आदानप्रदान किसी दो पार्टीयों के समक्ष किया जाता है मगर इस कारोबार की एक समय सीमा होती है जो केवल 1 साल (अल्पकालिक) के लिए सीमीत होती है इसका यह मतलब होता है की जिस व्यक्ति (संस्था) को शॉर्ट – टर्म यानि लघु – अवधि के लिए पैसा उधार लेना है वह इस मनी मार्केट का इस्तेमाल करेंगा और अपने पैसो की जरुरत को पूर्ण करेंगा

मुद्रा बाजार में नकदी (लिक्विडिटी) का मात्रा ज्यादा होने से इसमें हम इसको बड़ी ही आसानी से खरीद और बेच सकते हैं और साथ ही इसमें किसी ब्रोकर की आवश्यकता नहीं पड़ती है क्योंकि इसमें हम खुदसे कारोबार कर सकते हैं तो इसी Money Lend and Borrow के प्लेटफार्म को Money Market (मुद्रा बाजार) कहते हैं

Capital Market

‘कैपिटल मार्केट’ को हिंदी अनुवाद में ‘पूंजी बाजार’ के नाम से जाना जाता हैं और साथ ही एक तथ्य के आधार पर यह स्टॉक मार्केट का एक भाग है इसकी भी एक वजह है क्योंकि इस प्लेटफार्म के जरिये छोटी – बड़ी कंपनीयां अपने शेयर होल्डिंग के हिस्से को बाजार में बेचती है ताकि निवेशकर्ता अपने निवेश को उन कंपनी में निवेश करे जिनसे उन्हें मार्केट मुवमेंट के अलावा Dividend जैसे अनेको प्रकारों के लाभ प्राप्त हो सके ताकि इस कारोबार (ट्रेडिंग) से उन दोनों के पूंजी सबंधित प्रश्नों का समाधान हो सकें और यह प्लेटफार्म वह दोनों पार्टीयां उद्यमी कर्जदारों और बचतकर्ताओं को एकजुट करता हैं

वैसे यह तो क्लियर है की इस बाजार की मदद से भी प्रतिभूतियों (पूंजी) का आदानप्रदान किसी दो पार्टीयों के समक्ष किया जाता है जिसमे भी कारोबार की एक समय सीमा होती है मगर यह उस प्रकार की समय अवधि नहीं है यानि इसमें 1 साल से कम के लिए नहीं बल्कि 1 साल से अधिक समय अवधि के लिए (दीर्घकालिक) फंड्स की जरूरतों को पूरा करने के लिए कैपिटल मार्केट का इस्तेमाल किया जाता हैं

पूंजी बाजार में आमतौर पर एक ब्रोकर की आवश्यकता जरुरी होती है क्योंकि इसमें वाणिज्यिक और गैर-व्यावसायिक दोनों प्रकार के सौदा का समन्वय होता है और साथ ही इसे सरकारी नियम और विनियम के आधीन अपने कार्य करने होते हैं तो इस प्रकार के Capital Lend और Borrow के प्लेटफार्म को Capital Market (पूंजी बाजार) कहते हैं

Money Market और Capital Market की तुलना :-

तो अब हम आगये है हमारें अहम टोपिक पर जिसमे हम डिस्कसन करनेवाले है ‘मनी मार्केट’ और ‘कैपिटल मार्केट’ के बिच के अंतर को वैसे उपरोक्त दोनों पैराग्राफ को समझने के बाद इसकी एक जलक ही काफी होंगी आपको इन दोनों के बिच रहे इस अंतर को समझाने के लिए तो इसको समझने के लिए हम एक टेबल ऑफ कंटेंट की रचना से इन दोनों ‘मुद्रा बाजार’ और ‘पूंजी बाजार’ के बिच रहे सामान्य सामान्य अंतर को तुलनात्मक रचना से समझते हैं

क्रमांकतुलना का मुख्य आधार Money Market (मुद्रा बाजार) Capital Market (पूंजी बाजार)
1.बाजारों के अर्थमुद्रा बाजार यानि वह जगह जहां पर कम समय के लिए पैसो का आदानप्रदान दो पार्टीयों के समक्ष किया जाता हैं  पूंजी बाजार यानि वह जगह जहां पर ज्यादा समय अवधि के लिए पैसो का निवेश या उधार के तौर पर आदानप्रदान (खरीद-बिक्री) किया जाता हैं
2.समय अवधिमनी मार्केट की मदद से 1 साल के समय पीरियड (अल्पकालिक) के लिए फंड्स एकत्रित किया जा सकता हैं   कैपिटल मार्केट की मदद से 1 साल से अधिक समय पीरियड (दीर्घकालिक) के लिए फंड्स एकत्रित किया जा सकता हैं
3.प्रतिभागियोंमुद्रा बाजार में वित्तीय संस्थान, बैंक, सार्वजनिक और निजी कंपनियां ही भाग ले सकती हैं मगर इसमें विदेशी निवेशकों (NRI) और खुदरा निवेशकों (Retail) को शामिल नहीं किया जा सकता हैंपूंजी बाजार में वित्तीय संस्थान, बैंक, गैर-बैंकिंग संस्थान, बीमा कंपनियां, विदेशी निवेशकों (NRI), खुदरा निवेशकों (Retail), सार्वजनिक और निजी कंपनियां शामिल हो सकती हैं
4.निवेश उपकरणमुद्रा बाजार के अहम उपकरणों में ट्रेजरी बिल, वाणिज्यिक पत्र, जमा प्रमाणपत्र, व्यापार ऋण जैसे आदि प्रकारों के प्रतिभूतियों में कारोबार होता हैंपूंजी बाजार के अहम उपकरणों में Stocks, Debentures, Bonds, Commodity, Currency, Retired Earnings, Assets, जैसे अनेको प्रकारों की प्रतिभूतियों में ट्रेडिंग होता हैं  
5.लिक्विडिटी की मात्रामुद्रा बाजार में नकदी की मात्रा आमतौर पर ज्यादा देखने को मिलती हैंपूंजी बाजार में नकदी की मात्रा सामान्य तौरपर कम देखने को मिलती हैं
6.जोखिम के कारकमनी मार्केट में प्रतिभूतियों में कम समय अवधि के कारण इनमे जोखिम की मात्रा कम देखने को मिलती हैंकैपिटल मार्केट में जिन प्रतिभूतियों में निवेश किया जाता है वह पूर्णरूप से शेयर बाजार के आधीन होने से उनमे निवेश जोखिम भरा हो सकता हैं
7.फंड एकत्रीकरण के प्रकारमुद्रा बाजार की मदद से केवल कार्यशील पूंजी आवश्यकताओं को पूर्ण करने के लिए किया जाता हैंपूंजी बाजार की मदद से न केवल सुनिश्चित पूंजी की आवश्यकताओं को पूर्ण करता है बल्कि निवेशकों के संबंधित भी हैं
8.इन्वेस्टमेंट पर रिटर्नमुद्रा बाजार में कम समय अवधि के लिहाज से निवेश पर प्रतिफल कम देखने को मिलता हैंपूंजी बाजार में लम्बी समय अवधि होने से निवेश पर प्रतिफल के तौर पर ब्याज और लाभांश का नियमित भुगतान देखने को मिलता हैं   
9.बाजारों की प्रकृतिमुद्रा बाजार की प्रकृति अनौपचारिक प्रतीत होती हैपूंजी बाजार की प्रकृति औपचारिक प्रतीत होती है
10.शेयर बाजार से संबंधमुद्रा बाजार का शेयर बाजार से कोई लेना-देना नहीं हैपूंजी बाजार का सीधा संबंध शेयर बाजार से है

निष्कर्ष :-

तो दोस्तों हमने इस आर्टिकल (money market and capital market difference in hindi) की मदद से क्या – क्या सिखा, पहले तो हमने मुद्रा बाजार और पूंजी बाजार की संपूर्ण सामान्य जानकारियों को समझा जिसमे हमनें मनी मार्केट क्या होता है और कैपिटल मार्केट क्या होता है यह जाना और आखिर में हमनें इसके अहम टोपिक यानि मनी मार्केट और कैपिटल मार्केट के बिच रहे अंतर की तुलना एक टेबल ऑफ कंटेंट की रचना से की जिसमे हमने उन दोनों के कुल 10 तुलनात्मक रचनाओं के बारेंमे समझा हैं तो फिलहाल हमारा यह टोपिक यही समाप्त होता हैं, धन्यवाद

कैपिटल मार्केट और मनी मार्केट में क्या अंतर है?

money market and capital market difference in hindi

‘कैपिटल मार्केट’ को हिंदी अनुवाद में ‘पूंजी बाजार’ के नाम से जाना जाता हैं, इसकी मदद से 1 साल से अधिक समय पीरियड (दीर्घकालिक) के लिए फंड्स को एकत्रित किया जा सकता हैं, पूंजी बाजार की प्रकृति औपचारिक प्रतीत होती है

‘मनी मार्केट’ को हिंदी अनुवाद में ‘मुद्रा बाजार’ के नाम से जाना जाता हैं, जबकि इसकी मदद से केवल 1 साल के समय पीरियड (अल्पकालिक) के लिए फंड्स एकत्रित किया जा सकता हैं, मुद्रा बाजार की प्रकृति अनौपचारिक प्रतीत होती है
  

मुद्रा बाजार और पूंजी बाजार में क्या समानताएं हैं?

मनी मार्केट और कैपिटल मार्केट के बिच की समानताओ की बात करें तो दोनों ही बाजारों का उपयोग फंड्स एकत्रीकरण के लिए किया जाता है जिसमे कुछ हदतक निवेशकों का भी लाभ शामिल हैं साथ ही दोनों मार्केट्स की मदद से निवेशकों को ऋण प्रतिभूतियों के आदानप्रदान में सरलता होती हैं

मुद्रा बाजार और पूंजी बाजार कैसे परस्पर संबंधित हैं?

मनी मार्केट और कैपिटल मार्केट दोनों ही आपस में सबंधित प्रतीत होते है क्योंकि दोनों बाजारों में कई प्रकार के निगमों और संस्थाओ के स्वरूप प्रतिभागियों की मौजूदगी देखने को मिलती हैं जिसमे वित्तीय संस्थान, बैंक, सार्वजनिक और निजी कंपनियां शामिल हैं

   

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