Share Meaning In Hindi

Share Meaning In Hindi

share meaning in hindi

हेल्लो दोस्तों आजका हमारा टोपिक (share meaning in hindi) बेहद ख़ास होनेवाला हैं क्योंकि हम Stock यानि Share क्या होता हैं और उनसें जुड़े सभी तथ्यों को बारीकी से समजने वाले है इसमें हम शेयर्स के इतिहास को जानेंगे, स्टॉक के उदाहरण को समजेंगे और उसके सभी प्रकारों को जानेंगे यानि स्टॉक्स के बारेंमे पूर्ण विस्तार से चर्चा करेंगे तो चलिए शुरू करते हैं

Share क्या होता हैं :-

शेयर जिसे मार्केट की भाषामे ‘स्टॉक’ कहते है साथ ही इसे ‘अंश’ (वित) या ‘हिस्सा’ जैसे नामो से भी जाना जाता हैं, इसकी व्याख्या समजे तो कंपनी के कुल मुड़ी को लाखों, करोड़ों टुकडो में किसी निश्चित हिस्सों में बाटा जाता है उस हर एक छोटे – छोटे टुकड़े को शेयर (स्टॉक) या अंश कहा जाता हैं

जिस किसी व्यक्ति के पास एसे जितने ज्यादा शेयर्स होंगे वो उतना ही उस कंपनी का हिस्सेदार होंगा यानि उस कंपनी में उसकी हिस्सेदारी (Stake) या कोंन्ट्रीब्युसन का स्तर बढ़ता है

जिसे शेयरहोल्डर शेयर बाजार के समय के दौरान कभी भी खरीद और बेच सकते है इस प्रकार के सौदे को करने के लिए यानि शेयर बाजार में शेयरों की खरीद – बिक्री करने के लिए क़ानूनी तौर से SEBI के द्वारा स्टॉक एक्सचेंजीस का निर्माण हुआ है

भारत में मुख्य दो स्टॉक एक्सचेंजीस मोजूद है BSE – बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज और NSE – नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (BSE&NSE) जो की शेयर बाजार में मुख्य भूमिका निभाती हैं

वितीय शेयर बाज़ार में स्टॉक का महत्व

‘शेयर’ को समजने से पहले वितीय शेयर बाजार के बारेंमे जानना अनिवार्य हैं मेरे पुराने आर्टिकल about stock market in hindi में पुराने स्टॉक मार्केट के सिस्टम को जाना था और साथ ही आज के स्टॉक मार्केट को भी समजा था

तो पुराने समय में जब कम्प्यूटर और इंटरनेट का इतना दौर नहीं था तब शेयरों की खरीद – बिक्री मौखिक (बोलि लगा कर) की जाती थी

जिसके अनुसंधान पर कंपनी के शेयर की खरीदी के प्रमाण पत्र यानि शेयर सर्टिफिकेट मिलते थे जो की एक मात्र सबूत होता था की हम उस कंपनी के उतने प्रतिशत हिस्सेदार बने है

आज का शेयर बाजार न केवल सुरक्षित माना जाता है बल्कि नए – नए निवेशक इसकी ओर खिचे चले आते हैं उसका एक कारन यह भी है की आज का शेयर बाजार पूरी तरह से टेक्निकल हो गया है

जिनसे शेयर में निवेश करना बेहद सरल हो गया है, शेयर्स को खरीदने और बेचने के लिए एक Trading Account की आवश्यकता होती है

साथ ही उसे सुरक्षित रखने के लिए एक Demat Account की भी जरुरत होती है जो की आजके माहोलमे Accounts खुलवाना एकदम आसान हो गया है

तब के दौर में शेयर बाजार को कोई कार्य सिस्टेमैटिक नहीं था इसका अंदाज इस बात से लगा सकते है की शेयर के भाव में किसी प्रकार की कोई ऑफिसीयली मूवमेंट नहीं होती थी

उदाहरण

इसे एक उदाहरण के माध्यम से समजते हैं मान लीजिये एक शेयरहोल्डर है जिसके पास Reliance के 50 शेयर का सर्टिफिकेट है जिसे उसने Rs.500 के भाव से ख़रीदा हैं

अब आगे चलते उसे किसी कारणवश पैसों की आवश्यकता पड़ी तब Reliance के शेयर का भाव Rs.600 चल रहा था मगर उसे पैसों की इतनी जरूरत थी की वो उस शेयर सर्टिफिकेट को Rs.550 के भावसे जो भी पहला ग्राहक मिले उसे दे देना चाहता है जिन्हें Reliance के मार्केट भाव से कोई लेनादेना नहीं है जो शेयर मार्केट में बेहद ही नेगेटिव पॉइंट था

तो चलिए अब जबकि शेयर्स की पुरानी और हालकी स्थिति को देख चुके है तो चलते है उनसे भी पुराने दौर में यानि शेयर के इतिहास को समजते है

Share का पूरा इतिहास :-

शेयर बाजार का सबसे पुराना इतिहास रोमन काल के दौरान हुए लोकल नामक निजी समूहों में हुए सौदों को माना जाता हैं तब के दौर में शेयरों को ‘सोकाई’ (बड़े – बड़े सहकारी समिति के लिए) और ‘पर्टिकुले’ कहा जाता था जो तबके ज़माने में छोटी कंपनीयों के शेयरों के अनुरूप थे       

इसके बाद बेल्जियम में पहली बार शेयर मार्केट की शुरुआत हुई और इसे बेउरजन कहा गया तब के दौर में बेउरजन, सेट–अप में भी स्टॉक सूचीबद्ध नहीं हुए थे, जबकि आज के शेयर बाजार की सिंगल एटोमिक यूनिट है     

मध्य युग की समाप्ति के बाद शेयर बाजार के शेयरों को जारी करने वाली पहली “डच ईस्ट इंडिया कंपनी” सन 1606 में स्थापना हुई थी संयुक्त – स्टॉक निगम के अंगीकरण से पहले व्यापर जहाज का निर्माण हुआ जिसमे एक महगा उधम का बिडे का लाभ केवल अमीर व्यक्तियों या परिवारों के द्वारा उठाया जा सकता था     

पुराने दौर के जो आर्थिक इतिहासकार थे वो 1600 के दशक में डच शेयर बाजार को विशेष रूप से अलग मानते थे क्यूंकि इसमें स्टॉक वायदा, सौदों का प्रयोग, स्टॉक विकल्प, मंदड़िया बिक्री, शेयरों की खरीदी के लिए ऋण का प्रयोग, 1965 की सट्टेबाजी का बंध होना और फेशन में परिवर्तन आया इन सभी बातो की वजह से “डच ईस्ट इंडिया कंपनी” इतनी मशहूर हुई थी       

इस प्रकार शेयर बाजार का उध्भव हुआ जिसमे शेयर का महत्व क्या है यह आप सभी अच्छी तरह से जानते है जेसे – जेसे समय बदलता गया इसमें काफी परिवर्तन आये मगर एक चीज जो पहले से लेकर आज तक शामिल है वह सिर्फ शेयर यानि स्टॉक है इसकी को वेग देने के लिए स्टॉक मार्केट्स, स्टॉक एक्सचेंजीस, रिस्क फेक्टर्स आदि जेसी संस्थाओ का विकास हुआ

Stock के उदाहरण को समझें :-

शेयर (स्टॉक) के उदाहरण को कंपनी के पुरे स्ट्रक्चर से समजते हैं

एक इंडस्ट्रीयल कंपनी अपने शेयर को बाजार में कैसे लिस्टेड करवा सकती है साथ ही वो अपने शेयर को बाजार में किस प्रकार से विस्तृत कर सकती है

अगर आपने मेरा IPO वाला आर्टिकल पढ़ा है तो आप इसे आसानी से समाज जायेंगे, शेयर के इस उदाहरण को हम हालही में आने वाले फेमस IPO SBI Cards And Payment Services Ltd से समजते हैं

यह आईपीओ State Bank Of India (SBI) के द्वारा जारी किया गया था जोकि देश की नंबर वन बैंकिंग सेक्टर में से हैं और उसे भी फंड्स की आवश्यकता पड़ती है

जेसे की SBI को अपने कार्ड्स की नए स्कीम के लिए Rs.10,354 करोड़ की आवश्यकता है जिसे वो IPO के माध्यम से इकट्ठा करने का विचार किया है

जिसके लिए वो उसकी Rs.10 फेस वेल्यु के हिसाबसे Rs.755 के भाव से बाजार में अपने नए शेयर को लिस्टेड करवाता है यानि उस Rs.10,354 करोड़ के छोटे – छोटे टुकडो में बाटा जाता है यानि एक शेयर की क़ीमत Rs.755 की होती है जिसे हम शेयर के नाम से जानते है

Stocks के अलग – अलग प्रकार :-

शेयर (अंश) को विभिन्न श्रेणियों में बाटा गया हैं मुख्यरूप से शेयर दो प्रकार के होते है एकतो साधारण (कॉमन) शेयर और दुसरे वरीय (प्रेफरेंस) शेयर –

साधारण (कॉमन) शेयर

साधारण शेयर को ‘ऑर्डिनरी शेयर’ भी कहा जाता है इस प्रकार के शेयर औधोगिक उपक्रम में निवेशक की आंशिक हिस्सेदारी का प्रतिनिधित्व करते है

ऑर्डिनरी शेयर खरीदने वाले शेयरहोल्डर को उस कंपनी के शेयर्स पर डिविडेंड की जोगवाही होती है यदि कंपनी किसी कारणवश घाटे में जाती है और अंत में कंपनी नादारी जाहिर करती है

कंपनी बंध हो जाये तो सबसे पहले कंपनी के कर्मचारी, सरकार, कर्जदाता, प्रेफरेंस शेयरहोल्डरों को भुगतान किया जाता है और आखिर में कंपनी के पास कुछ बचता है तो उसपर सिर्फ ऑर्डिनरी शेयर धारकों का हक़ होता हैं

प्रेफरेंस (वरीय) शेयर

प्रेफरेंस शेयर में निवेशकों को ऑर्डिनरी शेयर धारकों से अधिक दर्जा मिलता है यानि प्रेफरेंस शेयर धारक कंपनी की प्राथमिकता में आता है

इस सिचुएशन में अगर कंपनी अपनी नादारी जाहेर करती है यानि कंपनी बंध का ऐलान करती है तो सबसे पहला भुगतान खुद प्रेफरेंस शेयर धारकों का होता है

शेयरों के प्रकार उसके प्रॉफिट की हिस्सेदारी और उसके सेट – अप के आधार पर किया गया है

I. ग्रोथ स्टॉक   II. इनकम स्टॉक   III. वेल्यूएशन स्टॉक   IV. डिविडेंड स्टॉक

शेयरों के प्रकारों को कंपनी के बाजार के कुल पूंजीकरण के आधार पर वर्गीकृत किया गया है

I. स्मोल – कैप स्टॉक   II. लार्ज – कैप स्टॉक   III. मिड – कैप स्टॉक

शेयरों के प्रकारों को उनके आंतरिक मूल्य यानि इंट्रीम वेल्यूएशन के आधार पर वर्गीकृत किया गया है

I. पैनी स्टॉक   II. अंडरवैल्यू स्टॉक   III. ओवरवैल्यू स्टॉक

निष्कर्ष :-

इसी के साथ यह आर्टिकल (share meaning in hindi) यही समाप्त होता है इसमें हमनें जाना की स्टॉक क्या होता हैं, पुरानें और हालके स्टॉक मार्केट में शेयर का क्या महत्व हैं, शेयर का इतिहास और उदाहरण को समजा और आखिर में शेयरों के सभी प्रकार और उनके पेटा प्रकारों को भी जाना, मुझे यकीन है की इस टोपिक के माध्यम से शेयर यानि स्टॉक जिसे अंश भी कहा जाता है इसके बारेंमे आपने कुछ अतिरिक्त जानकारी ली होंगी फिर मिलेंगे ऐसे ही दुसरे शेयर बाजार के टोपिक के साथ तब तक आप सभी का धन्यवाद

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Hello friends, currently I am working in the stock market operating as well as blogging through this wonderful website.

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