About SEBI In Hindi

About SEBI In Hindi

about sebi in hindi

हेल्लो दोस्तों आज हम स्टॉक मार्केट के बेहद ही अहम टोपिक SEBI के बारेंमे बात करनेवाले हैं जिसमे सेबी क्या होता हैं, सेबी संगठन के मेंबर्स के नाम और होदा जानेंगे और स्टॉक मार्केट में सेबी का महत्व, कार्य और जिम्मेदारियां क्या हैं यानि शोर्ट में सेबी को पूर्ण विस्तार से समजेंगे तो चलिए शुरू करते हैं (about sebi in hindi)

SEBI क्या हैं :-

SEBI वह संस्था है जिसके जरिये Indian Stock Market आज पुरे विश्व में प्रसिद्ध है यही नहीं SEBI एक ऐसी संस्था है जो न केवल बड़ी – बड़ी स्टॉक एजेंसीयों को मोनिटर करता है बल्कि छोटे – छोटे स्टॉक इन्वेस्टरों पर भी पूरा ध्यान देता है

आसान शब्दों में कहे तो SEBI शेयर बाजार (स्टॉक मार्केट) का इकलोता हेडक्वार्टर है सेबी का पूरा नाम “भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड” (Securities and Exchange Board of India) है

इसकी स्थापना मुंबई, महाराष्ट्र में 12 अप्रैल 1988 में हुई थी इसको वैधानिक मान्यता 30 जनवरी 1992 को मिली थी, सेबी का मुख्य कार्य निवेशकों के स्टॉक के हितों का रक्षण करना और प्रतिभूति बाजार के विकास को वैग देना है

साथ ही स्टॉक एक्सचेंजो तथा किसी दुसरे प्रतिभूति बाजार के व्यवसाय का नियंत्रण करना है साथ ही स्टॉक ब्रोकर्स, शेयर ट्रांसफर एजंटस, सब – ब्रोकर्स, मर्चेंट ब्रोकर्स, पोर्टफोलियो मैनेजर आदि के कार्यो का नियमन करना एवं उन्हें पंजीकृत करना हैं

सेबी की सामान्य बातें

SEBI जिसको आप अक्सर स्टॉक मार्केट के कार्यो में सुनते आ रहे हो शेयर बाजार से रिलेटिव सभी कार्य सेबी के कन्ट्रोल में आते है

सबसे पहले हम SEBI को सरल भाषामे समजते है तो सेबी एक प्रतिभूति बाजार (Securities Market) और नियामक संस्था (Regulatory Board) हैं जो स्टॉक एक्सचेंजीस के जरिये शेयर मार्केट में लिस्टेड कंपनीयों के शेयर्स की खरीद – बिक्री का पूरा नियमन करता है

SEBI का मुख्य कार्यालय मुंबई के बांद्रा, कुर्ला के व्यावसायिक परिसर में है साथ ही इसके क्षेत्रीय कार्यालय भारत के चारो दिशाओं में फेला हुआ है जिसमे कोलकाता, नई दिल्ली, चेन्नई और अहमदाबाद जैसे शहेर शामिल है

इस संस्था के अस्तित्व से पहले यह एक पूंजी निगम नियंत्रण नियामक प्राधिकरण था, (Controller of Capital Issues) जिसे 1947 के केपिटल इश्यूज़ यानि पूंजी नियंत्रण नियामक एक्ट के तहत अधिकार दिया गया था

इसके शुरुआती समय में वह वैधानिक शक्ति वाला एक गैर वैधानिक निगम था जिसे 1995 में भारत सरकार के द्वारा प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड अधिनियम, 1992 एक्ट के तहत अतिरिक्त वैधानिक शक्ति प्रदान की गई थी

सेबी संगठन के अहम मेंबर्स के नाम (SEBI Organization Structure)

  • अजय त्यागी – अध्यक्ष, (Chairman) सेबी
  • जी. महालिंगम – पूर्णकालिक सदस्य, सेबी
  • ऐस. के. मोहंती – पूर्णकालिक सदस्य, सेबी
  • अनंता बरुआ – पूर्णकालिक सदस्य, सेबी
  • माधबी पूरी बुच – पूर्णकालिक सदस्य, सेबी       

सेबी की संस्था में कुल नौ सदस्य कार्य करते है ये सभी सेबी के अलग – अलग संस्थाओं से जुड़े हुए होते है ताकि सेबी को विस्तृत रूप से विकसित किया जा सके इसमें सबसे पहले आते है – 

  • भारत सरकार द्वारा नियुक्त एक अधिकारी जिसे सेबी के अध्यक्ष की पदवी से जाना जाता है जो पूरी सेबी का संचालन करता हैं
  • उसके बाद भारतीय रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया (RBI) के द्वारा एक सदस्य की नियुक्ति होती है
  • इसके अलावा केन्द्रीय वित मंत्रालय से दो सदस्यों का चयन किया जाता है
  • आखिर में भारत के यूनियन सरकार के द्वारा पांच सदस्यों की पसंदगी की जाती है

SEBI (सेबी) के कार्य :-

सेबी को मुख्य रूप से एक्ट, 1992 के संविधानिक हक़ के कारन उसे कही प्रकार के कार्यो से सूचीबद्ध किया गया है यानि सेबी की मुख्य भूमिका भारत में सभी शेयरहोल्डरों (निवेशकों) और पूंजी एकत्रीकरण के रूप में कही सारे महत्वपूर्ण कार्यक्रम प्रदान किए गए हैं

जैसे की; सिक्योरिटीज, ट्रेडर्स (निवेशक) और मध्यस्थ पूंजी करता के रूप में देखा जाता है इसमें कही सारे अलग – अलग डिपार्टमेंट के हिसाबसे कार्य होते है जिसे हम वन बाय वन देखते और समजते हैं 

ट्रेडर्स (निवेशकों) के हितों की सुरक्षा करना –

सेबी निवेशकों को मुख्य रूप से सभी प्रकार की सुरक्षा प्रदान करते है यह ये सुनिश्चित करते है की कोई फ्रॉड कंपनी निवेशकों के निवेश का गैर उपयोग तो नहीं हो रहा है

इसी कारन, सेबी निश्चित समय पर अलग – अलग सेमिनारों का आयोजन करती है ताकि उनसे कंपनीयां और सभी निवेशक दोनों को शिक्षित किया जा सके क्योंकि सेबी का परम कर्तव्य है

निवेशकों के हितों की रक्षा करना निवेशक ही शेयर बाजार का अहम अंग है जिसकी हिफाज़त करना अनिवार्य है 

इनसाइडर ट्रेडिंग पर कन्ट्रोल रखना –

इनसाइडर ट्रेडिंग का मतलब यह है की मानलीजिए कोई कंपनी के शेयर के भाव में काफी उतार – चढ़ाव चल रहा है कंपनी के अंदर की न्यूज को बहार आने से पहले कंपनी के शेयर्स को ऑपरेटर के द्वारा कंपनी की सिक्योरिटीज को बेच या खरीद सकते है

इसके कारन निवेशकों को कभी – कभी पूर्ण रूप से नुकसानी जेलनी पड़ती है इस प्रकार के ट्रेडिंग में कंपनी अपने शेयर्स को ओपरेटिंग बेज़ मूवमेंट करते है यानि कंपनी अपने मुताबिक शेयर्स के भाव को बढ़ा या घटा सकते है इसे ट्रेडिंग को इनसाइडर ट्रेडिंग कहते है

सेबी ऐसी इनसाइडर ट्रेडिंग को रोकने के लिए उस पर्टिकुलर कंपनी के ट्रस्ट को ब्लोक कर देती है जिनसे उस कंपनी को खुदके शेयरों में ट्रेडिंग करने की परवानगी को सेबी के द्वारा स्थगित किया गया है

इसके कारन कंपनी अपने खुदके शेयर्स को खरीदने का हक़ गुमा चुकी है मगर वह कंपनी दूसरी कंपनी के सिक्योरिटीज को खरीद या बेच सकती है       

शेयर बाजार में लिस्टेड सभी कंपनीयों को अपनी सिक्योरिटीज यानि शेयरों की लिस्ट सेबी को देनी पड़ती है जिसके अनुसार कुल शेयर्स के 51 % तक के शेयर्स कंपनी के पास होने चाहिए वरना वो अपने शेयर्स पर के हक़ को गुमा सकते है इसका यह मतलब है की कंपनी के कुल शेयरों में से सिर्फ 49 % ही शेयर्स बाजार में ट्रैड हो रहे है यह सिर्फ एक नियम है

सभी कंपनी की सिक्योरिटीज को अलग – अलग प्रकार से मेंटेन किया जाता है इसके अलावा कंपनी ने और किन – किन कंपनीयों में निवेश किया है उसकी पूरी रिपोर्ट सेबी को देनी पड़ती है साथ ही इन रिपोर्टस को समय – समय पर अपडेट किया जाता है 

स्टॉक्स की कीमतों में हेराफेरी को सिमीत करना –

सेबी पहलेसे ही सभी कंपनीयों के लिस्टेड शेयर्स को निश्चित लिमिट प्रदान कर देती है ताकि शेयर बाजार के समय के दौरान उसमे सिर्फ उतनाही उतार – चढ़ाव हो सके, जिसे शेयर बाजार की भाषामे सर्किट कहते है

हालाकी कुछ कंपनीयों के शेयर्स में 20 % से भी ज्यादा की सर्किट की लिमिट होती है और अगर सेबी को किसी कंपनी के शेयर पर डाउटफुल होता है तो वो उसकी सर्किट की लिमिट 10 % या 5 % भी कर सकती है

यानि Buyer सर्किट या Seller सर्किट लग जानेके बाद सिर्फ सर्किट भाव से ही सौदे किए जा सकते है सेबी कंपनीयों के शेयर्स के प्राइस पर होने वाली खतरनाक मूवमेंटस की घटनाओं को रोकने की हर मुमकिन कोसिश करती है

मार्केट दिन के शुरुआत से ही सभी कंपनीयों के शेयर्स की क्लोजिंग प्राइस से उसकी सर्किट नक्की हो जाती है सर्किट जिसे दुसरे शब्द में ‘थ्रेशोल्ड’ भी कहा जाता हैं

भारतीय शेयर बाजार के विकास के कार्यक्रम –

भारतीय स्टॉक मार्केट को सेबी के द्वारा एक अलग ही ढांचे में ढाला गया है इसीके कारन शेयर बाजार रोजाना एक अलग ही स्तर को छूता जा रहा है सेबी के द्वारा ही आज भारतीय वितीय बाजार एक नए स्वरूप में साथ ही इसे रचनात्मक बनाया गया है 

  1. पुराने दौर की वो मुहजबानी सौदे जिसमे शेयर सर्टिफिकेट मिलते थे उसके बजाय आज सेबी के कारन हमें एक इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग सिस्टम का प्लेटफार्म मिला है
  2. सेबी ने निवेशकों की सिक्योरिटी (सुरक्षा) के लिए DP (Depository Participant) की रचना की जिसके जरिये Demat शाखा का मैनेजमेंट किया जा सके
  3. शेयरहोल्डरों के शेयरों की सुरक्षा के लिए सेबी ने Demat विभाग की रचना की जिसमे सभी शेयर धारकों को खुदका Demat Account दिया गया जिसके जरिये उनके शेयरों को अपनी निगरानी में सुरक्षित रखा जा सके
  4. साथ ही सेबी ने पुराने निवेशक (ट्रेडर्स) के लिए नए शेयर बाजार को समजने के लिए प्रशिक्षण प्रदान करने की योजनायें बनाई जिसके जरिये पुरानी जीवनशैली से उभर के नई टेक्नोलॉजी को अपनाया है
  5. नयी कंपनीयों को IPO के जरिये शेयर बाजार में लिस्टेड करने के लिए अनुमति देना जिसके जरिये उन कंपनीयों को आगे बढ़ाने की प्रेना मिलती है जिनसे देश के विकास में मदद मिलती है क्युकी जिस देश में उद्योगों का विकास होता है वहा देश का अपने आप विकास होने लगता है

SEBI (सेबी) की ज़िम्मेदारीयां (शक्तियां) :-

तो चलिए दोस्तों आज हम इस टोपिक में जानेंगे की आखिरकार स्टॉक मार्केट के प्रति सेबी की क्या – क्या जिम्मेदारियां होती हैं जिसके स्वरूप उन्हें अहम शक्तियां प्रदान की गई हैं

स्टॉक एक्सचेंजों का कन्ट्रोल

सेबी को जब Stock Exchange की बात आती है, तब सेबी के पास स्टॉक एक्सचेंजों में कार्यो से सबंधित किसी भी कानून को नियमित करने और उसे अनुमति देने की शक्ति सेबी के पास होती है

इसे सभी स्टॉक एक्सचेंजों के रिकोर्ड और खातो की पुस्तकें प्राप्त करने की ज़िम्मेदारीयां होती है इसकी मदद से सेबी स्टॉक एक्सचेंजों के कामकाजों की जाँच और उसके आधार पर निरीक्षण कर सकता है

अगर सेबी को किसी भी स्टॉक एक्सचेंज में कोई गडबडी लगती है तो वो उस पर ऑडिट लगा सकती है साथ ही जरुरी कार्यवाही भी कर सकती है और उस पर लगे गुनाह साबित होने पर उस पर थोस निर्णय भी के सकती हैं

सूचीबद्ध सभी कंपनीयों का कन्ट्रोल

उसी तरह सेबी को किसी कंपनी या उसके लिस्टेड शेयर पर कोई गडबड लगती है तो वो स्टॉक एक्सचेंज के जरिये उस कंपनी पर जरुरी जाँच करने के आदेश दे सकती है

अगर उस जाँच में उस पर लगे आरोप सिंध होते है तो उस कंपनी पर जुरमाना लगा सकती है अगर उसकी गलती ज्यादा है तो उसे शेयर बाजार से डीलिस्टेड भी करवा सकती है

मगर उनसे पहले उसे आदेश दिया जाता है की उनसे जुड़े सभी शेयरहोल्डरों को सूचित किया जाये ताकि समय पर निवेशक अपनी सुरक्षा कर सके

यदि सेबी को किसी अंदरूनी व्यापार से जुडी खबर लगे तो पहले वो सभी पहलुओं को पूरी तरह से विनियमित करने और किसी कंपनी को अनैतिक काम करते हुए पकडे जाने पर उचित दंड और निष्कासित करने की घोषणा करने की शक्ति होती हैं       

सेबी किसी भी कंपनी के शेयर्स को एक से ज्यादा स्टॉक एक्सचेंज में लिस्टेड करवा सकते है यदि वह कंपनी निवेशकों के लिए फायदेमंद है

साथ ही सेबी के पास निवेशकों की सिक्योरिटी (सुरक्षा) को सुनिश्चित करने के लिए कानूनी नियमो का मसौदा तैयार करने की शक्ति होती है जिसके जरिये सेबी सामान्य निवेशकों के हक़ में फेसले कर सकता है

शेयर बाजार में सेबी की भूमिका :-

भारतीय स्टॉक मार्केट में सेबी का एक अलग ही दर्जा है, वितीय बाजारो के द्वारा पूंजी बाजार एक हिस्सा है, जो लम्बी अवधि (Long – Term) के लिए पूंजी जुटाने के लिए किया जाता है

इसके आधार पर शेयर मार्केट के दो प्रकार निकलते है; प्राथमिक बाजार (Primary Market) और माध्यमिक बाजार (Secondary Market).

  • प्राथमिक बाजार (Primary Market) का महत्व अधिकतर सरकार, कॉर्पोरेट और बैंको के लिए लंबी अवधि से फंड को एकत्रित करने हेतु होता है
  • माध्यमिक बाजार (Secondary Market) का सबंध सिक्योरिटीज के रुण, इक्विटी उपकरणों की तरलता और क्षमता को सुविधाजनक बनाना है यह पूंजी बाजार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता हैं

इंडियन स्टॉक मार्केट में सेबी की प्रमुख भूमिकाएं –

  1. सभी स्टॉक एक्सचेंजों को सही कार्य के लिए नियंत्रित करना जिसमे सभी स्टॉक एक्सचेंजों पर बेहतर नियंत्रण के लिए जरूरत के मुताबिक वो नए नियमों का गठन कर सकती हैं
  2. सेबी स्टॉक एक्सचेंज के जरिये डीलरों और ब्रोकरों को सभी जाँच करने के बाद ही उसे लाइसेंस प्रदान किया जाता है
  3. सेबी शेयर बाजार में आयेदिन होने वाली धोखाधड़ी और फ्रॉड को रोकने का महत्वपूर्ण कार्य करती है, सेबी उन सभी कंपनीयां या ब्रोकर्स के ट्रेड पर प्रतिबंध लगा सकती है जो कोई भी धोखाधड़ी में शामिल है या अनुचित ट्रेड प्रेक्टिस में शामिल है
  4. ICAI के साथ सबंध बनाना, जो ऑथोरिटी कंपनीयों के नए ऑडिट बनाता है
  5. विलय, टेकओवर और अधिग्रहण को नियंत्रण में रखना जेसे की स्टॉक एक्सचेंज के साथ बड़ी फर्म का विलय विकास के उदेश्य से है यानि पूंजी बाजार को जो नुकसान पहुचाते है उसके खिलाफ यह जरुरी कार्यवाही करता है
  6. सभी स्टॉक एक्सचेंजों का ऑडिट करता है जिनसे शेयर बाजार में कामकाज में पारदर्शिता बनी रहे

SEBI (सेबी) अधिनियम 1992 क्या है ? :-

भारतीय बाजार में बदलती जरूरतों और प्रतिभूति बाजार में होने वाले विकास के प्रति प्रतिक्रिया व्यक्त करने के लिए सभी आवश्यकताऔ को पूरा करने के लिए 1995, 1999 और 2002 में भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड अधिनियम 1992 को जारी किया गया था

सेबी का मुख्य लक्ष्य भारत को दुनीया का एक बेहतरीन प्रतिभूति बाज़ार और ‘सेबी’ को दुनिया का एक सबसे सम्मानित नियामक बनाना हैं

  • एक एक्ट 1992 के द्वारा सेबी को असंवैधानिक से संवैधानिक होने का दर्जा मिला
  • Mutual Fund का पंजीकरण और विनिमय करना
  • धोखाधड़ी और फ्रॉड जेसी गलत गतिविधियों को रोकना
  • प्रतिभूति बाजार के सभी स्टॉक एक्सचेंज, ब्रोकर्स और स्व – नियामक के संगठनो को ओडिट करना
  • कैपिटल इश्यु एक्ट, 1947 और सिक्योरिटीज कंट्रोलर (रेग्यूलेशन) अधिनियम, 1956 के प्रावधान में उल्लेखित सभी कार्यो को पूर्ण करना

निष्कर्ष :-

SEBI क्या होता हैं उसको हमने इस आर्टिकल (about sebi in hindi) के माध्यम से समजा जिसमे सेबी का Organization Structure, स्टॉक मार्केट के उनके कार्य, मार्केट के प्रति उनकी जिम्मेदारियां जिसमे स्टॉक एक्सचेंजों और निवेशकों पर पुरता ध्यान और उनकी सुरक्षा को बनाएं रखना और आखिर में सेबी अधिनियम 1992 की सामान्य बातें जानी तो इसी के साथ यह टोपिक यही समाप्त होता हैं फिर मिलेंगे स्टॉक मार्केट के ऐसे ही महत्वपूर्ण आर्टिकल के साथ, धन्यवाद

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Hello friends, currently I am working in the stock market operating as well as blogging through this wonderful website.

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