Capital Market In Hindi

Capital Market In Hindi

capital market in hindi

हेल्लो दोस्तों आज हम स्टॉक मार्केट के एक अहम मुद्दें पर बात करनेवाले है जिसको Capital Market के नाम से जाना जाता है साथ ही इसे हिंदी में ‘पूंजी बाजार’ से जाना जाता है, वैसे शेयर बाज़ार में मुख्य दो प्रकार से कर्ज़ लिया और उधार दिया (Borrow & Lend) जाता है जिसे हम ‘मनी मार्केट’ और ‘कैपिटल मार्केट’ के नाम से जानते हैं जिनमे से Money Market को तो हमनें पहले से ही एक अलग आर्टिकल के माध्यम से समजाया हैं और इस टोपिक के जरिये हम कैपिटल मार्केट को पूर्ण विस्तार से समजने वाले है तो चलिए शुरू करते हैं (capital market in hindi)

Capital Market क्या हैं :-

कैपिटल मार्केट (पूंजी बाजार) प्रतिभूतियों का एक वित्तीय बाज़ार हैं जहां पर उन सभी के प्रश्नों का निवारण होता है जिन्हें पूंजी (कैपिटल) से रिलेटेड क्वेरी होती है यानि आमतौर पर हम सभी जानतें है की ‘कैपिटल मार्केट’ में यातो किसी निवेशक को अपनी पूंजी (राशी) को निवेश करना होता है जिनमें खुदरा निवेशक (Retails), संस्थागत निवेशक (Institutional Investors) जैसे विभिन्न प्रकारों के इन्वेस्टर्स शामिल होते है और दूसरी तरफ वो है जिन्हें पूंजी को बड़ी मात्रा में एकत्रित करना होता है (capital market in hindi)

जब भी कभी किसी कंपनी को अपने व्यापार को बढ़ाने के लिये कैपिटल की आवश्यकता पड़ती है तब वह पूँजी बाजार में अपने जरूरतों के मुताबिक अपनी हिस्सेदारी को बेच कर पूंजी एकत्रित करते है जिनमें छोटे – बड़े उद्योगों/व्यवसायियों, सरकारें (केन्द्रीय सरकार एवं राज्य सरकार) और छोटे – बड़े निवेशक शामिल है इस प्रकार के फंड्स के आदानप्रदान करनेवाले प्लेटफार्म को पूंजी बाज़ार कहा जाता हैं     

पूंजी बाजार में आमतौर पर लंबी अवधि के ऋण का या इक्विटी – समर्थित प्रतिभूतियों का आदानप्रदान (खरीद-बिक्री) किया जाता हैं यानि आमतौर पर कैपिटल मार्केट का इस्तेमाल ज्यादातर दीर्घकालीन फंड्स की जरूरतों को पूर्ण करने के लिए किया जाता है जो 1 साल से ज्यादा की समय मर्यादा के आधीन होता है और यदि किसी को लघु अवधि यानि 1 साल से कम के लिए फंड्स को एकत्रित करना है तो उसे मुद्रा बाज़ार (मनी मार्केट) का सहारा लेना पड़ता हैं

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इसे दुसरे शब्दों से समझें तो एक ऐसा पूंजी बाज़ार जहां पर खरीदार और विक्रेता वित्तीय प्रतिभूतियों जैसे की; स्टॉक्स, बांड्स, कमोडिटीज़, करेंसी जैसे विभिन्न सिक्योरिटीज में निवेशकों (व्यक्तियों) और छोटी – बड़ी संस्थाओ के बिच एक दुसरे की फंड्स निवेश और प्राप्ति की जरूरतों को पूरा करते हैं, ज्यादातर बाज़ार न्यूयॉर्क, लंदन, सिंगापुर और हांगकांग सहित बड़े – बड़े वित्तीय केन्द्र में होते हैं, सबसे प्रसिद्ध पूंजी बाजारों में शेयर बाजार और बांड बाजार को शामिल किया गया हैं     

वित्तीय बाज़ार क्या हैं :-

आमतौर पर हम सभी यह बात जानतें है (capital market in hindi) की किसी भी प्रकार के व्यापार या अर्थव्यवस्था को चलाने के लिए पूंजी (कैपिटल) की आवश्यकता पड़ती हैं जिसकें लिए मुख्य दो प्रकार के लोग सामने आते हैं

  • एक तो वे लोग जिनके पास अतिरिक्त मुड़ी होती है जिनको वे किसी ऐसे प्लेटफार्म पर इन्वेस्टमेंट करना चाहते है जिसमे उनकी कैपिटल सुरक्षित रहे और उनके प्रति ब्याज के स्वरूप उनको लाभ मिलता रहे
  • दुसरे वे लोग या संस्थाए जिसको कुछ बड़ा करने यानि अपने व्यापार को बढ़ाने के लिए अत्यधिक पूंजी की जरुरत पड़ती हैं

अब इन दोनों प्रकार के समूहों (पार्टी) को उनके अनुरूप पूंजीकरण की प्रक्रिया में पूंजी के आदानप्रदान (खरीद – बिक्री) करने के लिए जिस प्लेटफार्म स्वरूप बाज़ार प्रदान किया जाता है उसे वित्तीय बाज़ार (Financial Market) कहा जाता हैं

वित्तीय बाज़ार को मुख्य दो प्रकारों में वर्गीकृत किया गया हैं जिसमे पहले नंबर पर ‘मुद्रा बाज़ार’ (Money Market) आता है और दुसरे नंबर पर  ‘पूंजी बाज़ार’ (Capital Market) है जिसकें बारेंमे हम इस आर्टिकल में समझ रहे हैं तो चलिए फिलहाल इस टोपिक को आगे बढ़ाटे है और पूंजी बाज़ार के प्रकारों के बारेंमे समझते हैं

पूंजी बाज़ार के प्रकार :-

तो चलिए पूंजी बाज़ार के प्रकारों को उनके अलग – अलग वर्गीकरण से समझते हैं, कैपिटल मार्केट लंबी अवधि के निवेश के वित्तपोषण के लिए निवेशकों के बचत के स्वरूप पड़े इन्वेस्टमेंट जुटाने में मदद करता है इसके अलावा यह स्टॉक्स और डिबेंचर्स के त्वरित मूल्यांकन की सुविधा को भी पूर्ण करने में मदद करता है, इसमें सबसे सामान्य पूंजी बाज़ार, स्टॉक मार्केट और बांड मार्केट हैं तो चलिए अब समय है कैपिटल मार्केट के मुख्य दो प्रकार जिसमे 1. Primary Market जिसे प्राथमिक (मुख्य) बाज़ार कहा जाता है और 2. Secondary Market जिसे द्वितीयक बाज़ार कहा जाता है तो चलिए इन दोनों को वन बाय वन डिटेल्स के साथ समझते हैं

1. Primary Market (प्राथमिक बाज़ार)

प्राइमरी मार्केट उसे कहा जाता हैं जहां नई सिक्योरिटीज जारी की जाती हैं और बेची जाती हैं, इसका यह मतलब होता है की जबभी किसी कंपनी को फंड्स की आवश्यकता पड़ती है तो वो सबसे पहले अपनी हिस्सेदारी को बेचने का प्रस्ताव आईपीओ के जरिये रखती है जिसके लिए उसे वित्तीय बाज़ार जिसे शेयर बाज़ार भी कहा जाता है जिसके लिए वह उसका इस्तेमाल करते हैं अब जब तक आईपीओ की प्रक्रिया शुरू है और उनके जरिये जो फंड्स एकत्रित किया जाता है उस प्लेटफार्म को प्राथमिक बाज़ार यानि प्राइमरी मार्केट कहा जाता हैं 

इसे थोड़े और विस्तार से समझते है, इस प्रकार के प्राइमरी मार्केट में जारी किए गए कंपनीयों के स्टॉक या बांड्स के जरिये संस्थाए, सरकारें (केंद्र और राज्य सरकार) और सार्वजनिक क्षेत्र की छोटी – बड़ी कंपनीयां इसकी मदद से फंड्स एकत्रित कर सकती हैं प्राथमिक कैपिटल मार्केट में ऐसे निगम शामिल होते है जो प्रारंभिक सार्वजनिक पेशकश (IPO) के माध्यम से कंपनी के प्रमोटर की हिस्सेदारी को नए शेयरों में परिवर्तन कर के उनसे पूंजी एकत्रित करते हैं जिस प्रक्रिया में विशिष्ट निवेशक (सार्वजनिक व्यक्ति) प्रतिभूतियां सीधे जारी करने वाली कंपनी से आईपीओ के तौर पर खरीदते हैं तो चलिए अब इसके दुसरे सिरे को समझते हैं

2. Secondary Market (द्वीतीयक बाज़ार)

सेकेंडरी मार्केट उसे कहा जाता हैं जहां पहले से ही जारी सिक्योरिटीज को निवेशकों के बीच ट्रेड करने को जारी किया हुआ होता हैं इसका यह मतलब होता है की प्राइमरी मार्केट में जो कंपनीयां आईपीओ या किसी और प्लेटफार्म के जरिये शेयर बाज़ार में सूचीबद्ध हुई है उन शेयरों या बांड्स जैसी सिक्योरिटीज में ओपन मार्केट में ट्रेड होने के लिए सभी के लिए अवेलेबल कर दिया जाता है जिसके बाद से उनमे केवल सामान्य निवेशकों के द्वारा खरीद – बिक्री की जाती है जिस प्लेटफार्म को द्वीतीयक बाज़ार यानि सेकंडरी मार्केट कहा जाता हैं    

तो चलिए इसे थोड़े और विस्तार से समझने की कोशिश करते है, द्वितीयक कैपिटल मार्केट की बात करे तो यह शेयर बाज़ार ही तो है जिसमे बड़ी – बड़ी संस्थाओ के साथ – साथ छोटे – छोटे ट्रेडर्स स्टॉक मार्केट में वित्तीय सामग्री जैसे की; स्टॉक, बांड, कमोडिटीज़, करेंसी जैसे विभिन्न प्रकारों की सिक्योरिटीज में उनकें अलग – अलग प्लेटफार्म जैसे –

  • Cash Market जिसमे नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) और बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) शामिल है
  • Future and Option Trading (F&O) की जाती है
  • Currency Market में न्यूयॉर्क स्टॉक एक्सचेंज और नैस्डैक जेसे दुनियाभर के विभिन्न एक्सचेंजों के साथ करेंसी ट्रेडिंग की जाती है
  • Commodity Market में विभिन्न वस्तुओं में ट्रेडिंग की जाती है

तो इन सभी प्लेटफार्म के द्वारा सीधे स्टॉक मार्केट के जरिये निवेशकों (ट्रेडर्स) आपस में ट्रेडिंग करते है जिसे सामान्य तौर पर हम एक द्वितीयक पूंजी बाजार के नाम से जानते हैं इसकी मुख्य पहचान यह है की इसके जरिये मौजूदा या पहले से जारी किए गए प्रतिभूतियों का आदान – प्रदान और कारोबार होता हैं

निष्कर्ष :-

तो दोस्तों हमनें इस आर्टिकल (capital market in hindi) के माध्यम से क्या – क्या सिखा तो कैपिटल मार्केट यानि पूंजी बाज़ार क्या होता है इसको हमनें बड़ी सरल भाषा में समझा आगें हमनें वित्तीय बाज़ार को पूर्ण विस्तार से समझा की यह क्या होता है साथ ही मुद्रा बाज़ार और पूंजी बाज़ार के साथ इसका क्या सबंध हैं और आखिर में हमने जाना पूंजी बाज़ार के मुख्य दो प्रकारों के बारेंमे जिसमे प्राथमिक बाज़ार और द्वितीयक बाज़ार शामिल है जिसको हमने इसके पूर्ण डिटेल्स के साथ समझा तो फिलहाल हमारा यह टोपिक यही समाप्त होता हैं, धन्यवाद

पूंजी बाजार क्या है और इसका महत्व क्या है?

‘कैपिटल मार्केट’ में किसी निवेशक को अपनी पूंजी (राशी) को निवेश करना होता है और दूसरी तरफ उन पूंजी को एकत्रित करके उन्हें अपने व्यापार/बिजनेस में लगाने के लिए उद्योगों/व्यवसायियों और सरकार उन्हें अपने विकास में इस्तेमाल करती हैं इसके लिए जो प्लेटफार्म उपयोग में आता है उसे पूंजी बाजार कहा जाता हैं

पूंजी बाजार का लाभ उन दोनों पक्षों (पार्टियो) को मिलता है जो इसमें अपना अमूल्य निवेश करता है उन्हें लाभ के प्रति डिविडेंड और मार्केट तेजी जैसे अनेको लाभ प्रदान होते है और पूंजी प्राप्त करता को तो कैपिटल का लाभ मिल ही रहा है जिसका इस्तेमाल वह अपने व्यापार को विकसित करने में लगा सकता हैं

पूंजी बाजार कितने प्रकार के होते हैं?

कैपिटल मार्केट (पूंजी बाजार) के मुख्य दो प्रकार जिसमे 1. Primary Market जिसे प्राथमिक (मुख्य) बाज़ार कहा जाता है और 2. Secondary Market जिसे द्वितीयक बाज़ार कहा जाता है

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