Money Market In Hindi

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Money Market In Hindi

money market in hindi

हेल्लो दोस्तों, वैसे आपको इस टोपिक के Tital (money market in hindi) से समज गए होंगे की आज हम ‘Money Market’ के बारेंमे बात करनेवाले हैं, वैसे ‘मनी मार्केट’ और ‘कैपिटल मार्केट’ शेयर बाजार के सिक्के के दो पहलु के समान है यानि ‘मुद्रा बाजार’ भी स्टॉक मार्केट का ही एक भाग है, इस टोपिक में हम समजेंगे की ‘मुद्रा बाजार’ क्या हैं, स्टॉक मार्केट में इसका क्या महत्त्व है और इसके अलग – अलग प्रकारों के साथ विस्तार से जानेंगे तो चलिए शुरू करते हैं

Money Market क्या हैं :-

‘मनी मार्केट’ जिसे दूसरी भाषा में ‘मुद्रा बाजार’ भी कहा जाता है और साथ ही (money market in hindi) इसे साख बाजार भी कहा जाता है, इनसे एक बात तो पक्की है की इसमें केवल पैसो का ही कारोबार होता है

साथ ही पूरी तरह से टेक्नोलोजीकल तरीके से यह लेनदेन 1 साल तक की समय अवधि पर यानि 1 साल से कम के समय पीरियड पर किया जाता हैं, जिसे Short Term Transaction भी कहा जाता है क्योंकि इसमें आमतौर पर शोर्ट – टर्म प्रतिभूतियों का आदानप्रदान किया जाता हैं

‘मनी मार्केट’ में लिक्विडिटी का प्रमाण ज्यादा होने के कारन इसको आप कभी भी खरीद या बेच सकते हैं 

दुनिया का सबसे बड़ा Money Market का इन्वेस्टर “JP Morgan” हैं जिसका लगभग 100 बिलियन से अधिक का निवेश है

‘मनी मार्केट’ का इस्तेमाल बड़े – बड़े हाई लेवल के मनी ट्रांजेक्सन यानि पैसो के व्यवसाय के लिए होता है, दुसरे शब्दों में कहे तो मुद्रा बाजार बड़े पैमाने पर पैसो का उधार लेनदेन करने का जरिया है, इसमें केवल बड़े – बड़े उधोग, बैंकिंग, कंपनीयों के साथ – साथ RBI भी मोजूद हैं

भारतीय मुद्रा बाजार में रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया (RBI), वाणिज्य बैंकिंग, सहकारी बैंकिंग, अन्य वित्तीय संस्थाए और कंपनीयां आदि जैसी संस्थाए शामिल हैं, मनी मार्केट (मुद्रा बाजार) को रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया (RBI) मोनिटर करती है

मुद्रा बाजार का उपयोग कैसे और कौन करता है?

इसमें अल्पकालीन प्रतिभूतियों का लेनदेन होता है जैसे उधार लेने वाली संस्थाएं एवं उधार देने वाली संस्थाएं परस्पर आमने – सामने अपनी प्रतिभूतियों का आदानप्रदान करते है

यह अल्पकालीन प्रतिभूतियां अपनी तरल स्थिति में होती है और साथ ही इनके लेनदेन में किसी प्रकार के जोखिम की संभावना नहीं होती है

मुद्रा बाजार में लेनदेन (कारोबार) नकदी या मुद्रा स्वरूप में नहीं बल्कि, साख प्रलेखो के रूप में होता है, जैसे की; विनिमय पत्र, प्रतिज्ञा पत्र, वाणिज्यिक पत्र और ट्रेजरी बिल आदि जेसे साख प्रलेखों के उदाहरण हैं

भारतीय मुद्रा बाजार को संगठित और असंगठित क्षेत्रों में वर्गीकृत किया गया है, संगठित क्षेत्र में वाणिज्यिक बैंकिंग जिसमे निजी एवं सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को शामिल किया गया है और असंगठित क्षेत्र में देशी बैंकर्स, बड़े महाजनों और इंडस्ट्रीयल संस्थाए शामिल हैं

मुद्रा बाजार में लेनदेन किन दस्तावेजों से किया जाता है?

Money Market में Government Securities, PSU Bonds And Units जैसी चीजों में लेनदेन होता है, इन मुद्रा बाजार के सभी  ट्रांजेक्शन में कुछ महत्वपूर्ण डॉक्यूमेंट की आवश्यकता पड़ती है

जैसे की; SGL Notes, SGL यानि Subsidiary General Ledger जो Reserve Bank of India के द्वारा जारी किया जाने वाला एक सिक्योरिटीज नोट होता है इसे दुसरे शब्दों में BR यानि Bank Receipt भी कहा जाता हैं जिसे RBI के PDO यानि Public Debt Office में डिपोजिट किया जाता है

मुद्रा बाजार उदाहरण

मनी मार्केट को उदाहरण के माध्यम से समजते है तो मानलीजिये की कोई एक कंपनी है जो दूसरी कंपनी से उधार लेती है यानि सामने वाली कंपनी उसे उधार देती है इस प्रक्रिया को Debt Investment कहा जाता है

इसमें कम जोखिम लेकर ज्यादा प्रॉफिट कमाया जा सकता है इसमें रातो रात से लेकर 1 साल तक के समयावधि पर कारोबार किया जाता है

ज्यादातर इस प्रकार के ट्रांजेक्सन बड़ी – बड़ी संस्थाए, इंडस्ट्रीज, व्यापारियों के बिच उद्योग को बढ़ाने के लिए बड़े पैमाने पर किया जाता है

साथ ही छोटे लेवल पर इंडिविजुअल इन्वेस्टरो के द्वारा ख़रीदे गए मनी मार्केट म्यूच्यूअल फंड्स और बैंक ग्राहकों द्वारा खोले गए मनी मार्केट खाते भी शामिल है

Money Market के मुख्य दो प्रकार :-

आमतौर पर मनी मार्केट दो प्रकार के होते है एक तो ‘मुद्रा बाजार खाता’ और दूसरा ‘मुद्रा बाजार निधि’, इन दोनों को वन बाय वन समजते है

मनी मार्केट अकाउंट (मुद्रा बाजार खाता)

पहले हम ‘मनी मार्केट अकाउंट’ को समजते है यह एक प्रकार के डिपोजिट अकाउंट की तरह होता है जिसे बैंक या किसी भी फाइनेंसियल संस्थान के द्वारा खोला जा सकता है

यह सामान्यतः Saving Account की माफक होता है जिसे चालू रखने के लिए एक मिनिमम बैलेंस की आवश्यकता होती है, इस प्रकार का निवेश एक बेहद ही सुरक्षित निवेश माना जाता है

अब यदि उस बैंक ने सिक्योरिटीज में इन्वेस्ट किया और आपके पैसे डूब गए तो FDIC (Federal Deposit Insurance Corporation) नाम की संस्था आपकी जमा राशी को वसूल करने में मदद करेंगी और आपको प्रोटेक्शन प्रदान करेंगी 

मनी मार्केट फंड (मुद्रा बाजार निधि)

अब बात करते है ‘मनी मार्केट फंड’ की तो मनी मार्केट फंड एक तरह से म्यूच्यूअल फंड्स के समान होता है निवेशक अपने पोर्टफोलियों के जोखिम को कम करने के लिए इसमें निवेश करते है

‘मनी मार्केट अकाउंट’ और ‘मनी मार्केट फंड’ ये दोनों भले ही एक समान लगते हो मगर फिरभी इन दोनों में काफी अंतर देखने को मिलता है

‘मनी मार्केट अकाउंट’ का इस्तेमाल ज्यादातर निवेश पर सिर्फ ब्याज कमाने के लिए किया जाता है और इसमें मूलधन के नुकसान की भरपाई हो सकती है

जबकि ‘मनी मार्केट फंड’ में ज्यादा प्रोफिट कमाने के लिए निवेश किया जाता है जिसमे नुकसानी की स्थिति में मूलधन प्राप्ति की कोई गारंटी नहीं होती हैं

“चलिए अब Money Market (मुद्रा बाज़ार) को पुरे डिटेल्स के साथ समजते है यानि मुद्रा बाज़ार की मदद से बैंकों और इंडस्ट्रियल संस्थाए कैसे और किस प्रकार से अपनें पैसो की आवश्यकताओं को पूर्ण करती हैं”  

1. When Bank’s Need Money From RBI (जब बैंकों को RBI से पैसो की जरूरत पड़ती है)

जब कभी RBI से किसी कोमर्सियल बैंक को पैसो की जरूरत होती है उस समय जो रेट लागु होता है उसे Repo Rate, Bank Rate और MSF (Marginal Standing Facility) कहा जाता हैं, इस कैश में जब कभी कोई बैंक रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया (RBI) से पूंजी उधार लेती है यानि RBI बैंक को lend पर पैसे देती है तब ऊपर के तिन रेट्स के हिसाबसे ट्रांजेक्सन होते है

  • Repo Rate :- इसमें ज्यादा से ज्यादा (Maximum) 90 दिनों की समय मर्यादा होती है
  • Bank Rate :- इसकी समय अवधि 90 दिनों से लेकर 1 साल तक की होती है
  • MSF :- इसमें 1 दिन या उनसे भी कम समय यानि Overnight जितनी कम समय की पूंजी आवश्यकता के लिए उधार लिया या दिया जाता है

उपरोक्त तीनो प्रकार के रेट्स मोनिटरी पॉलिसी में बदलते रहते है, मगर दो – दो महीनों के लिए फ़िक्स रहते हैं

2. When One Bank Need Money From Other Banks (जब एक बैंक को दूसरे बैंकों से पैसो की जरूरत होती है)

अब इस कैश में देखे तो बैंक ने ऑलरेडी RBI से पैसे उधार ले लिए (To Borrow) है, मगर अभी उसे पैसो की और ज्यादा आवश्यकता है इस कैश में वह बैंक किसी दूसरी बैंक से उधार लेंगी यानि कोई एक बैंक दूसरी बैंक को पैसे Lend पर देंगी, इस प्रकार के ट्रांजेक्सन में जो रेट की चार्जशीट होंगी उसमे Call Money, Notice Money और Term Money के रेट्स लागु होंगे

  • Call Money :- इस प्रकार के Rate में मानलीजिये SBI ने PNB से सिर्फ 1 दिन के लिए Rs.50 करोड़ उधार लिये इस कैश में Call Money का रेट चार्ज लागु किया जायेंगा
  • Notice Money :- इस प्रकार के रेट में यदि दो बैंकों के बिच 2 दिन से लेकर 14 दिनों के लिए उधार लेनादेना हुआ तो उस कैश में Notice Money का रेट चार्ज लागु किया जायेंगा
  • Term Money :- इस प्रकार के रेट में यदि दो बैंकों के बिच 15 दिन से लेकर 1 साल के लिए उधार लेनादेना हुआ तो उस कैश में Term Money का रेट चार्ज लागु किया जायेंगा

इसमें एक बात गोर करने वाली यह है की उपरोक्त दिए गए तिन रेट्स Repo Rate, Bank Rate और MSF के रेट तकरीबन फिक्स रहते है जबकि दुसरे रेट्स Call Money, Notice Money और Term Money के रेट में चेंजिस देखने को मिलता है

साथ ही इसे दुसरे नजरिये से देखे तो यह रेट्स MIBOR पर डिपेंड करते हैं मगर ज्यादातर मनी मार्केट में यह रेट्स FIMMDA यानि ‘Fixed Income Money Market & Derivatives Association of India’ पर निर्भर करते है साथ ही यह रेट चेंज होते रहते हैं

3. Banks Borrow From Big Industries, Corporates Borrow From Other Large Corporates (बैंक बड़े उद्योगों से उधार लेते हैं, कॉरपोरेट अन्य बड़े कॉरपोरेट्स से उधार लेते हैं)

जैसे की हमने आगे जाना जिसमे एक बैंक ने ऑलरेडी RBI और दूसरी बैंक से पैसे उधार ले चुकी है, इसके बावजूद भी अगर उसे और पैसो की जरूरत पड़ी तो वो किसके पास जायेंगा ?

इस कैश में वह बैंक कॉरपोरेट्स को अप्रोच करेंगा या किसी बड़ी इंडस्ट्रीयल फर्म को, अब कोई एक बैंक किसी बड़ी कॉर्पोरेट संस्था या किसी इंडस्ट्रीज से पैसे उधार लेता है, तो उस कैश में डोक्युमेंट की प्रोसेसिंग Certificate of Deposit (CD) को Issue करना होता हैं

Certificate of Deposit क्या हैं

Certificate of Deposit के थोड़े बेसिक पॉइंट्स को डिस्कस करते है तो CD संस्था का इन प्रोडक्सन सन 1989 में हुआ था, साथ ही कोई भी Scheduled Commercial Banks इसे Issue कर सकता है मगर RRB’S यानि ‘Regional Rural Banks’ इस CD को Issue नहीं कर सकता है

एक खास बात और की वो या तो Rs.1 लाख का या फिर Rs.1 लाख के मल्टीप्ल में ही CD को Issue किया जा सकता है और अगर इसकी मेचोरिटी की बात करे तो बैंक की समयावधि मिनिमम 7 दिन और मैक्सिमम 1 साल की होती है

साथ ही इसका एक एक्सेप्शन (अपवाद) भी है, अब एक पल के लिए मानलेते है की CD को बैंक तो Issue कर ही सकती है साथ ही फाइनेंसियल इन्स्टीट्यूट भी Issue कर सकती है जिसकी मेचोरिटी मिनिमम 1 साल और मैक्सिमम 3 साल की होती है

Certificate of Deposit को उदाहरण से समजें

अब Certificate of Deposit को एक उदाहरण के माध्यम से समजते है, मानलीजिये SBI ने TCS के लिए CD को Issue किया है यानि SBI को Rs.50 करोड़ की आवश्यकता है

जिसके लिए वो TCS से उधार लेंगी जिसके लिए SBI TCS को CD जारी करेंगा जिसके आधार पर TCS SBI को Rs.50 करोड़ उधार देंगी

इस कैश में Certificate of Deposit यानि CD को एक तरह से प्रोमिसरी नोट माना जायेंगा यानि उस डोक्युमेंट पर इस ट्रांजेक्सन की पूरी डिटेल्स दी गयी होंगी

जैसे की; SBI ने इस डेट पर इनसे इतने पैसे उधार लिए है और इस समय मर्यादा में वह रकम उसे वापिस करेंगा इस प्रकार का प्रोमिसरी दस्तावेज़ होता है

Certificate of Deposit की कुछ अतिरिक्त माहिती       

अब CD के कुछ और पॉइंट्स को डिस्कस करते है – 

  • पहला पॉइंट – “CD are issued on discount to the face value”, यानि CD को हमेशा उसके फेस वैल्यू के आधार पर ही इशू किया जाता है यानि मानलीजिये आपके बैंक खाते में Rs.100 जमा है जिसका रेट ऑफ़ इन्टरेस 5% है जिसके मुताबिक आपको 1 साल बाद 5% रेट के हिसाबसे Rs.105 मिलेंगे लेकिन, CD के कैश में थोडा अलग कैलकुलेशन है इसमें Rs.100 के बदले सिर्फ Rs.95 रखने होंगे क्योंकि 5% रेट इन्टरेस के हिसाबसे 1 साल के बाद Rs.100 मेचोरिटी पर मिल जायेंग
  • दुसरा पॉइंट – “Loan against CD is not permitted”, यानि SBI जो TCS को CD Issue किया हुआ है जिसकी समय मर्यादा 6 महीने की है मगर 3 महीने के बाद TCS को पैसो की आवश्यकता पड़ी तो इस कैश में TCS इस CD को दूसरी बैंक के पास as a collateral रख के इसके अगेंस्ट Loan नहीं ले सकता हैं

Commercial Paper क्या हैं

इस कैश में बैंक का इन्वोल्मेंट होता है, इस प्रकार के व्यवहार में किसी बड़ी कॉर्पोरेट कंपनी को पैसो की जरूरत है जिसके लिए वो किसी दूसरी बड़ी कॉर्पोरेट कंपनी से पैसे उधार ले सकती है जैसे की; TCS को पैसो की आवस्यकता पड़ी जिसके लिए वो Reliance से पैसे उधार लेंगी, इस प्रकार के ट्रांजेक्सन में Commercial Paper (CP) का प्रयोग होता है

Commercial Paper की सामान्य बातें

चलिए अब Commercial Paper यानि CP की सामान्य जानकारी लेते है तो इसका इंट्रोडक्शन सन 1990 में हुआ था और अगर इसकी Maturity (समय मुदत) की बात करे तो इसकी समय मर्यादा 7 दिनों से लेकर 1 साल तक की होती है, इस दस्तावेज़ को इशू करने की रकम मिनिमम Rs.5 लाख और इसके मल्टीप्ल में ही इसे इशू किया जा सकता है

Commercial Paper को उदाहरण से समजें

यहाँ पर TCS को पैसो की आवश्यकता है और वो Reliance से पैसे उधार लेती है, इस कैश में TCS एक Commercial Bank को हायर करती है

अब मानलीजिये TCS ने SBI को हायर किया यानि दोनों कंपनीयों के बिच SBI एक ब्रोकर की तरह काम करेंगी, अब जबकि हमें पता है की कोई भी कंपनी खुदसे CD को इशू नहीं कर सकती है वैसे ही CP को भी इशू नहीं किया जा सकता है जिस वजह से दोनों कंपनीयों के बिच एक बैंक को रहना पड़ता है

अब SBI TCS के द्वारा Reliance को CP Issue करेंगा जिनसे Reliance SBI को पैसे दे देंगी, अब जबकि SBI यहाँ पर एक ब्रोकर की तरह है तो वो अपनी ब्रोकरेज चार्ज करेंगा ही यानि उन्ही पैसो में वो अपनी ब्रोकरेज चार्ज कट करके बाकीके पैसे TCS को ट्रांसफ़र कर देंगी

CP भी कुछ हदतक CD की तहर है, CP में बस एक डिफरेंस है और वो ये की जब दो बड़ी – बड़ी कॉर्पोरेट कंपनीयों के बिच पैसो का उधार लेनदेन होता है तब उस कैश में CP को इशू किया जाता हैं

4. Government Borrowing

इस प्रकार के ट्रांजेक्शन में जब सरकार को पैसो की आवश्यकता पड़ती है, उस कैश में कोन – कोन से डोक्युमेंट की आवश्यकता पड़ती है उसके बारेंमे जानते है, इसमें WMA यानि ‘Way and Mean Advances’, T – Bill यानि ‘Treasury Bills’ इसका इस्तेमाल एक प्रोमिसरी नोट के तौर पर किया जाता है और CMB यानि ‘Cash Management Bill’.

  • WMA :- इस कैश में जब Government RBI से पैसे उधार लेती है जिसकी समय मर्यादा मैक्सिमम 90 दिनों की होती हैं
  • T – Bill :- इस कैश में Government बड़ी – बड़ी कॉर्पोरेट कंपनीयों से पैसे उधार पर लेती है, इस दस्तावेज़ की बात करे तो T – Bill का इंट्रोडक्शन 1917 में हुआ था, इस डॉक्यूमेंट को सरकार के द्वारा RBI के जरिये जारी किया जाता है, इसको Rs.25,000 के मल्टीप्ल में ही जारी किया जाता है, इसकी Maturity यानि समय मर्यादा 91 दिन, 182 दिन और 364 दिनों की होती हैं
  • CMB :- यह डॉक्यूमेंट कुछ हदतक T – Bill की ही तरह होता है, इसकी समय मुदत कम से कम 91 दिनों की होती हैं

निष्कर्ष :-

तो दोस्तों आपको यह आर्टिकल (money market in hindi) कैसा लगा कमेन्ट में जरुर कहे, हमने इस टोपिक में ‘मनी मार्केट’ से जुड़े तमाम सवालों के जवाब को देने की कोशिश की हैं तो आज बस इतनाही फिर मिलेंगे ऐसे ही शेयर बाज़ार के एक और टोपिक के साथ तब तक आप सभी का धन्यवाद

मनी मार्केट क्या होता है?

मनी मार्केट जिसे दूसरी भाषा में ‘मुद्रा बाजार’ भी कहा जाता है और साथ ही इसे साख बाजार भी कहा जाता है, इनसे एक बात तो पक्की है की इसमें केवल पैसो का ही कारोबार होता है

साथ ही पूरी तरह से टेक्नोलोजीकल तरीके से यह लेनदेन 1 साल तक की समय अवधि पर यानि 1 साल से कम के समय पीरियड पर किया जाता हैं

जिसे Short Term Transaction भी कहा जाता है क्योंकि इसमें आमतौर पर शोर्ट – टर्म प्रतिभूतियों का आदानप्रदान किया जाता हैं

‘मनी मार्केट’ में लिक्विडिटी का प्रमाण ज्यादा होने के कारन इसको आप कभी भी खरीद या बेच सकते हैं 

मनी मार्केट फंड कैसे काम करता है?

अब बात करते है ‘मनी मार्केट फंड’ की तो मनी मार्केट फंड एक तरह से म्यूच्यूअल फंड्स के समान होता है निवेशक अपने पोर्टफोलियों के जोखिम को कम करने के लिए इसमें निवेश करते है

‘मनी मार्केट फंड’ में ज्यादा प्रोफिट कमाने के लिए निवेश किया जाता है जिसमे नुकसानी की स्थिति में मूलधन प्राप्ति की कोई गारंटी नहीं होती हैं

मुद्रा बाजार के मुख्य दो प्रकार

मनी मार्केट दो प्रकार के होते है एक तो मुद्रा बाजार खाता और दूसरा मुद्रा बाजार निधि

मनी मार्केट अकाउंट

यह एक प्रकार के डिपोजिट अकाउंट की तरह होता है जिसे बैंक या किसी भी फाइनेंसियल संस्थान के द्वारा खोला जा सकता है

यह सामान्यतः Saving Account की माफक होता है जिसे चालू रखने के लिए एक मिनिमम बैलेंस की आवश्यकता होती है, इस प्रकार का निवेश एक बेहद ही सुरक्षित निवेश माना जाता है

मनी मार्केट फंड –

यह एक तरह से म्यूच्यूअल फंड्स के समान होता है निवेशक अपने पोर्टफोलियों के जोखिम को कम करने के लिए मुद्रा बाजार निधि यानि मनी मार्केट फंड में निवेश करते है

‘मनी मार्केट अकाउंट’ और ‘मनी मार्केट फंड’ ये दोनों भले ही एक समान लगते हो मगर फिरभी इन दोनों में काफी अंतर देखने को मिलता है

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