LIBOR And MIBOR Meaning In Hindi

LIBOR And MIBOR Meaning In Hindi

libor and mibor meaning in hindi

हेल्लो दोस्तों आज हम इस टोपिक (libor and mibor meaning in hindi) में MIBOR और LIBOR को विस्तार से समजने वालें हैं – MIBOR और LIBOR क्या है, RBI Policy में Repo Rate और Reverse Repo Rate से कैसे अलग हैं, इनके इतिहास की कुछ बातें, इन दोनों को किसके द्वारा जारी किया जाता है और साथ ही इन दोनों को कैलकुलेट कैसे किया जाता हैं और इन दोनों को उदाहरण के माध्यम से पूर्ण विस्तार से समजेंगे तो चलिए शुरू करते हैं

MIBOR और LIBOR का सामान्य अर्थ :-

तो MIBOR और LIBOR एक प्रकार के रेट्स होते है जो बैंकों के द्वारा हो रहे उधार लेनदेन में काम आते है अब जैसे की; Reserve Bank of India के द्वारा RBI Policy तय की जाती है जिसमे Repo Rate और Reverse Repo Rate नक्की किये जाते है जिसके जरिये भारत की सभी व्यावसायिक बैंकों को यदि RBI से पैसो को उधार लेना है तो उसमे उन रेट्स का इस्तेमाल होता है

मगर यदि किसी Commercial बैंक को RBI से नहीं किसी और बैंक से या किसी और फाइनेंसियल संस्था से पैसो को उधार लेना हो या इनको देश के बहार किसी और देश की बैंकों या फाइनेंसियल संस्थाओ से कैपिटल (पैसो) को उधार लेना हो तो वो किस Rate के आधार पर पैसो की उधार लेनदेन करेंगे ?

तो इन्ही MIBOR और LIBOR के Rates के आधार पर ही एक बैंक किसी दूसरी बैंक से पैसो के उधार लेनदेन को कर सकती हैं, आमतौर पर यह Money Market में हो रहे उधार लेनदेन में भी उपयोग हैं, इन दोनों के रेट्स रोजाना बदलते रहते है तो चलिए अब इन दोनों को विस्तार पूर्वक समजते हैं  

MIBOR

MIBOR का पूरा नाम Mumbai Inter – Bank Offer Rate (मुंबई इंटरबैंक ऑफर रेट) हैं तो हमने उपरोक्त माहिती से जाना की यह एक प्रकार का Rate of Interest है जो केवल बैंकों के आपस में होनेवाले उधार लेनदेन के लिए एक Rate प्रस्तुत करता है जिसके बिनाक पर उस रेट्स के आधार पर बैंकों और फाइनेंसियल संस्थाओ में उधार लेनदेन सरल बन जाता है

‘मुंबई इंटरबैंक ऑफर रेट’ यह रेट्स भारत में मोजूद सभी व्यावसायिक बैंकों के बिच आपस में हो रहे उधार लेनदेन के लिए ही उपयोगी हैं इस रेट के आधार पर भारत के बाहरी बैंकों में उधार लेनदेन संभव नहीं है इसके लिए LIBOR का इस्तेमाल होता हैं तो चलिए अब इसकी कुछ और बातोँ को जानते है

MIBID क्या हैं

MIBOR का इस्तेमाल ‘मुंबई इंटरबैंक बिड और फॉरवर्ड रेट्स’ (MIBID और MIFOR ) के संयोजन में भारत की केंद्रीयकृत बैंक के द्वारा अल्पकालिक नीतियों को निर्धारित करने के लिए किया जाता है जिसमे रेट का उपयोग ब्याज दर स्वैप, फॉरवर्ड रेट एग्रीमेंट, फ्लोटिंग रेट डिबेंचर और अवधि जमा के लिए किए गए अधिकांश सौदों के लिए बेंचमार्क रेट्स नक्की करने के लिए किया जाता है

‘मुंबई इंटरबैंक बिड रेट’ (MIBID) यह वो ब्याजदर होता है जो दर उन लोगों को दी जाने वाली ब्याजदर से कम होगी जो पैसो को उधार लेना चाहते हो, MIBID आमतौर पर MIBOR से कम होता है क्योंकि बैंक उधार लेने के बाद कम ब्याज देने की कोशिश करेंगी और जब बैंक उधार देंगी तब ज्यादा ब्याज लेने की कोशिश करेंगी, यह दोनों रेट्स भारतीय में उपस्थित छोटी अवधि यानि ओवरनाइट उधार देने के रेट्स के लिए एक बिड – ऑफ़र स्प्रेड तैयार करते हैं

मिबोर का इतिहास

MIBOR की शुरुआत ऋण बाजार के विकास और रातोंरात दर (Over Night Rate) के रूप में ‘नेशनल स्टॉक एक्सचेंज’ (NSE) के द्वारा 15 जून 1998 में हुई थी और साथ ही ‘मुंबई इंटरबैंक बिड रेट’ (MIBID) को भी प्रस्तुत किया गया था, NSE के द्वारा 10 नवंबर 1998 को 14 – दिवसीय MIBOR और 1 दिसंबर 1998 को 1 महीने और 3 महिनों की लंबी अवधि के लिए मुद्रा बाजार के बेंचमार्क रेट्स की शुरुआत की और NSE ने ‘फिक्स्ड इनकम मनी मार्केट एंड डेरिवेटिव एसोसिएशन ऑफ इंडिया’ (FIMMDA) की शुरुआत की थी

MIBOR को किसके द्वारा और कैसे कैलकुलेट किया जाता हैं

तो MIBOR को ‘नेशनल स्टॉक एक्सचेंज’ (NSE) के द्वारा कैलकुलेशन किया जाता है, अब यह कैलकुलेट कैसे किया जाता है तो देश में मोजूद सभी बैंकों (निजी क्षेत्र, सार्वजनिक क्षेत्र या विदेशी बैंक) मेसे अहम 30 बैंकों और प्राथमिक डीलरों से एक रेट लिया जाता है जिस रेट के मुताबिक वह सभी बैंक लोन देने के लिए तैयार हो, उन सभी रेट्स मेसे सबसे High और Low Rates को निकालने के बाद जो रेट्स बचती है उन सभी रेट्स की एवरेज निकाली जाती है और जो रेट सामने आएँगी वह रेट्स MIBOR होंगी जिसे रोजाना सुबह 9 से 10 बजे तक NSE के द्वारा जारी कर दिया जाता हैं

MIBOR Maturities
  • एक दिन
  • 14 दिन
  • 1 महिना
  • 3 महीने

LIBOR

LIBOR का पूरा नाम London Inter – Bank Offer Rate (लंदन इंटरबैंक ऑफर रेट) हैं, ‘लंदन इंटरबैंक ऑफर रेट’ यह रेट्स दुनिया के अलग – अलग देशो में मोजूद सभी व्यावसायिक बैंकों के बिच आपस में हो रहे उधार लेनदेन के लिए इस्तेमाल में लिया जाता है, इस रेट के आधार पर भारत या किसी और देश की आंतरिक बैंकों में हो रहे उधार लेनदेन के लिए नहीं किया जा सकता हैं उसके लिए MIBOR का इस्तेमाल होता हैं

लिबोर का इतिहास

‘लंदन इंटरबैंक ऑफर रेट’ वर्ष 1970 के दशक में यूरोपीय बाजार में डॉलर के लेनदेन के लिए ब्याजदर के रूप में सामने आया, वर्ष 1984 में यह स्पष्ट हो गया कि बैंकों की बढ़ती संख्या और अपेक्षाकृत नए बाजार उपकरणों की एक वर्ग में सक्रिय रूप से व्यापार कर रहे थे, अक्टूबर 1984 में ‘ब्रिटिश बैंकर्स एसोसिएशन’ (BBA) किसी अन्य संस्थाओ के साथ कार्य कर रहे थे जैसे की; बैंक ऑफ इंग्लैंड

2 सितंबर 1985 से BBAIRS शर्तें मानक बाजार अभ्यास बन गईं थी, BBA फिक्सिंग आधिकारिक तौर पर 1 जनवरी 1986 से पहले शुरू नहीं हुई थी हालांकि, उस तारीख से पहले, दिसंबर 1984 में शुरू होने वाली परीक्षण अवधि के लिए कुछ दरें तय की गई थी

LIBOR को किसके द्वारा और कैसे कैलकुलेट किया जाता हैं

तो LIBOR को ‘इंटरकांटिनेंटल एक्सचेंज’ (ICE) के द्वारा कैलकुलेशन किया जाता है, अब यह कैलकुलेट कैसे किया जाता है तो दुनिया में सभी देशो के बैंकों (निजी क्षेत्र, सार्वजनिक क्षेत्र या विदेशी बैंक) मेसे अहम 18 बैंकों से एक रेट लिया जाता है जिस रेट के बेस पर वह सभी बैंक लोन देने के लिए तैयार हो, उन सभी रेट्स मेसे सबसे High और Low Rates को निकालने के बाद जो रेट्स बचती है उन सभी रेट्स की एवरेज निकाली जाती है और जो रेट सामने आएँगी वह रेट्स LIBOR होंगी जिसे London समय के मुताबिक रोजाना सुबह 11:30 बजे तक Intercontinental Exchange के द्वारा जारी कर दिया जाता हैं

रिफाइनिटिव’ यह एक प्रकार का सूचकांक है जो लंदन वित्तीय बाजारों में या लंदन स्थित प्रतिपक्षों के साथ काम करने वाले बड़े वैश्विक बैंकों के लिए धन की लागत को मापता है जिसको इसके द्वारा प्रकाशित किया जाता है

लिबोर वास्तव में अनुक्रमणिका का एक पूरा सेट होता है जिसमे अलग – अलग देशो के कुल 5 मुद्राओं में से प्रत्येक के लिए सात अलग – अलग Maturities यानि कर्ज चुकाने की समय मर्यादा के लिए अलग – अलग LIBOR रेट्स बनाई गई हैं उनमेसे सबसे छोटी परिपक्वता रात भर की होती है और सबसे लंबी परिपक्वता एक वर्ष की होती है

LIBOR Currencies

LIBOR की मुद्रा श्रेणी वर्ष 1986 में यानि शुरुआती समय में 3 मुद्राओं के लिए दरें तय कीं जाती थी जिसमे अमेरिकी डॉलर, ब्रिटिश पाउंड स्टर्लिंग और ड्यूश मार्क शामिल थे, जेसे – जेसे समय प्रसारित होआ गया यह 16 मुद्राओं तक पहुच गया था, वर्ष 2000 में इन मुद्राओं के यूरो में विलय होने से इसकी सख्या 10 मुद्राओं की हो गई थी, वर्ष 2013 के बाद 5 मुद्राओं के लिए LIBOR रेट्स की गणना की जाने लगी

LIBOR Maturities

LIBOR की परिपक्वता वर्ष 1998 तक सबसे कम अवधि के रेट जो एक महीने तक के थे, जिसके बाद एक सप्ताह के लिए रेट जोड़ दिए गए थे, वर्ष 2001 में एक दिन और दो सप्ताह के लिए रेट्स को पेश किया गया था, वर्ष 2013 के सुधारों के बाद LIBOR रेट्स की गणना कुल 7 परिपक्वताओं के लिए की जाने लगी

  • एक दिन
  • 1 सप्ताह
  • 1 महीना
  • 2 महीने
  • 3 महीने
  • 6 महीने
  • 12 महीने (1 साल)

निष्कर्ष :-

हेल्लो दोस्तों आज हमने इस आर्टिकल (libor and mibor meaning in hindi) में MIBOR और LIBOR को पुरे विस्तार से समजा जिसमे हमने इन दोनों का सामान्य अर्थ जाना की यह RBI Policy में Repo Rate और Reverse Repo Rate से कैसे अलग हैं, MIBOR में MIBID क्या हैं, इसका इतिहास क्या है, इसको किसके द्वारा और कैसे कैलकुलेट किया जाता है और इसकी परिपक्वता मुद्दत कितनी हैं और LIBOR में इसका इतिहास क्या है, इसको किसके द्वारा और कैसे कैलकुलेट किया जाता है, इसकी मुद्रा और परिपक्वता मुद्दत कितनी हैं यह सभी इनफोर्मेसन प्राप्त की हैं

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