Freak Trade Meaning In Hindi

Freak Trade Meaning In Hindi

freak trade meaning in hindi

हेल्लो दोस्तों यदि हम इन्वेस्टमेंट की दृष्टि से देखे तो हमारी पहली नज़र स्टॉक मार्केट पर ही पड़ेंगी और ऐसा हो भी क्यों ना भारतीय शेयर बाजार की बात करे तो पिछलें कुछ सालो में अनगिनत नये एकाउंट्स खुले हैं फिर भले ही वह IPO के आकर्षण का कारन हो और साथ ही स्टॉक मार्केट में कम लागत वाले निवेशक भी निवेश कर सकते हैं जिसके पीछे स्टॉक मार्केट के नए ट्रेडिंग प्लेटफार्म एक अहम कारन हो सकता हैं अब इतने प्रचलित मार्केट में भी गलतियां होती हैं जिन अजीब कारणों की वजह से हुए ट्रेड (कारोबार) को Freak Trade के नाम से जाना जाता हैं (freak trade meaning in hindi) तो चलिए इस महत्वपूर्ण टोपिक को विस्तारपूर्वक समझते हैं

Freak Trade क्या होता हैं :-

‘फ्रीक ट्रेड’ का हिंदी अनुवाद ‘सनकी व्यापार’ होता हैं जिसे (freak trade meaning in hindi) दुसरे शब्द में ‘Fat – Finger Trade’ भी कहा जाता हैं, जानबूझकर या गलती की वजह से हुए ट्रेड को Freak Trade कहा जाता हैं, इस ट्रेड में मूल्य (Price) या मात्रा (Quantity) के संदर्भ में हुए गलत मूल्य दर्ज करना या गलत तरीके से निष्पादित कार्रवाई जैसे कि; सिक्योरिटीज की खरीदारी करना या उनकी बिकवाली करना शामिल हो सकता हैं

आमतौर पर ऐसे ट्रेड BSE/NSE टर्मिनलों में हुई टेक्निकल गड़बड़ी या ट्रेड की गलत एंट्री की वजह से होते हैं, वैसे इन ट्रेड की असर ज्यादा देर तक नहीं दिखती है ज्यादा से ज्यादा 2-3 सेकंड के लिए ही इसकी असर दिखती हैं मगर फिरभी इनसे एक ही झटके में शेयरों के प्राइस बढ़ते और घटते हैं जिसकी वजह से कई ट्रेडर्स के Stop Loss ट्रिगर हो जाते हैं

जैसे ही फ्रीक ट्रेड का ऑर्डर सबमिट होता हैं वैसे ही उनकी कीमतों में एक अगल ही खिचाव की स्थिति दिखती है जिसके चलते केवल 1 सेकंड के अंश की अवधि के लिए उसकी कीमते असामान्य स्तर तक पहुँच जाती हैं और फिर जब उसकी असर कम होने लगती है तब वह फिरसे उस स्तर पर वापिस आ जाती है जहाँ इसे वास्तव में होना चाहिए

‘फ्रीक ट्रेड’ होने का एक सामान्य संकेत देखे तो मार्केट समय अवधि के दौरान यदि किसी स्टॉक्स या किसी इंडेक्स की कीमतों में अचानक वृद्धि या गिरावट की स्थिति उत्पन्न हो तो वैसे तो स्टॉक मार्केट के Up या Down पोजीशन के कई कारण हो सकते हैं मगर उनमेसे एक कारण फ्रीक ट्रेड भी हैं

Stock Exchange के द्वारा निवेशकों की सुरक्षा हेतु आए दिन नए – नए सर्कुलर आते रहते हैं उन्ही मेसे एक Securities in Ban For Trade का रूल चल रहा हैं जिसका मतलब प्रतिभूतियों में ट्रेडिंग के लिए प्रतिबंध होता है, इस रूल के चलते रोजाना कुछ ऐसे शेयरों को पसंद किया जाता है जिनमे ‘फ्रीक ट्रेड’ की अधिक संख्या देखने को मिलती है इनके कुछ शेयरों को देखे तो 1. DELTACORP, 2. IBULHSGFIN, 3. SAIL, 4. RBLBANK and 5. IDEA

फ्रीक ट्रेड होने के क्या कारण हैं ? :-  

तो चलिए हमारे इस अहम टोपिक के जड़ तक पहुचते हैं और समझते है की आखिरकार किन – किन कारणों की वजह से ‘फ्रीक ट्रेड’ होते हैं वैसे तो फ्रीक ट्रेड होने के बहोत से कारन सामने निकल के आते हैं मगर आज हम केवल उन्ही अहम कारणों के बारेंमे चर्चा करेंगे जो केवल स्टॉक मार्केट से जुड़े हों तो चलिए इसे वन बाय वन अलग – अलग मुद्दों के माध्यम से समझते हैं

NSE Scam के कारण हुए फ्रीक ट्रेड

तो हमारे देश की बड़ी और सबसे अहम माने जानेवाली एक्सचेंज NSE (नेशनल स्टॉक एक्सचेंज) में हुए घोटाले के चलते भी कई फ्रीक ट्रेड सामने आए थे, इस घोटाले में NSE में निवेश करनेवाले निवेशकों के लगभग 10 ट्रिलियन रुपये की संपतियों का नुकसान हुआ था, इस घटना में वैसे तो कई लोग शामिल थे मगर उनमे अहम दो अधिकारियों के नाम टॉप पर है या यु भी कह सकते हैं की यह Scam उन्हीं की देन हैं (यदि आपको इस विषय NSE Scam पर अधिक जानकारी चाहिए तो आपको हमारे उस आर्टिकल को विजिट करना पड़ेंगा)     

नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) के डेरिवेटिव मार्केट में पिछले कुछ सप्ताह के बाद Nifty50 के Option सेगमेंट में कुछ ऐसा ही एक अजीब व्यापार देखने को मिला था जिसके परिणामस्वरूप निवेशकों को लगभग 200 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ था

इन जैसे अजीब कारोबार (ट्रेड) केवल एक-दो बार के उदाहरणों तक सीमीत नहीं हैं बल्कि ऐसे अजीबोगरीब सौदेबाजी न केवल NSE में बल्कि दुसरे कई सेगमेंटों में भी देखने को मिली हैं, इन जैसे फ्रीक ट्रेड किसी गड़बड़ी के कारण या मानवीय भूल के कारण होते आ रहे हैं उन्हें फैट-फिंगर ट्रेड भी कहा जाता हैं

वायदा बाजार में होनेवाले फ्रीक ट्रेड

यदि हम Future and Option Market की बात करे तो इक्विटी मार्केट की तुलना में इसमें कई ज्यादा फ्रीक ट्रेड की सख्या देखने को मिलेंगी

NSE के मुख्य Index Nifty50 (16,450 स्ट्राइक प्राइस) के लिए अगस्त की समाप्ति के लिए Call Option अनुबंध Rs.100-800 से 800% बढ़ गया था इसी प्रकार Bank Nifty के इंडेक्स में तकरीबन 37,000 के स्ट्राइक प्राइस के लिए Put Option के कॉन्ट्रैक्ट को 2,000% बढ़कर Rs.1 के निचले स्तर से बढ़कर Rs.2,040 के उपरी स्तर पर पहुंच गया था यह दोनों ही F&O Index प्राइसिंग की मुवमेंट वाकई में अचंभित कर देनेवाली थी जिसके कारण कई निवेशकों के Stop Loss ट्रिगर हो गए थे

5 जुलाई को Nifty50 Index के फ्यूचर्स 805 अंक या 5% से अधिक बढ़ा हुआ था जिसके बाद अंतर्निहित नकदी बाजार में कोई समान वृद्धि नहीं दिखी थी, इसके बाद 28 जुलाई को अगस्त की शुरुआत के लिए निफ्टी वायदा 531 अंक या 5% जितना गिरकर 15,787 के अपने शुरुआती स्तर से 15,256 के निचले स्तर तक पहुच गया था

Trade Execution Range क्या हैं ? :-

नेशनल स्टॉक एक्सचेंज ने 31 जुलाई को एक Circular (परिपत्र) जारी किया था जिसके अनुरूप 16 अगस्त से TER (Trade Execution Range) यानि ‘व्यापार निष्पादन सीमा’ के नियम को नाबूद कर दिया जायेंगा

तो सबसे पहले ‘Trade Execution Range’ क्या होता है वह समझते हैं तो व्यापार निष्पादन सीमा अनुबंध के ‘संदर्भ मूल्य’ के दोनों ओर सर्किट सीमा के भीतर एक मूल्य सीमा होती है जिसके भीतर ट्रेड के ऑर्डर सबमिट किए जाते हैं

TER नाबूद होने से 16 अगस्त से किसी भी इक्विटी डेरिवेटिव कॉन्ट्रैक्ट में Upper or Lower Circuit नहीं होगा, वैसे यह वास्तव में मान्य नहीं है जिसका अर्थ है कि किसी भी कीमत पर विकल्पों का कारोबार किया जा सकता है

NSE ने दुनिया के ज्यादातर एक्सचेंजों का अनुकरण करते हुए ‘व्यापार निष्पादन सीमा’ को लागु किया जिनके पास इस तरह के प्रतिबंध नहीं हैं और Demand and Supply को उस कीमतों को निर्धारित करने की अनुमति देता हैं जिस पर किसी भी समय एक व्यापार निष्पादित किया जा सके

NSE के इस नियम परिवर्तन में यह प्रतीत होता है कि व्यापारियों को इस बारे में और अधिक सावधानी बरतने की आवश्यकता हैं, जबकि Stock Exchange पर ऑर्डर देना और कुछ मिनटों के लिए ट्रेडिंग से अनुबंधों पर प्रतिबंध लगाना कुछ सनकी ट्रेडों की तुलना में बहुत खराब प्रतीति होता हैं

निष्कर्ष :-

तो दोस्तों हमने इस आर्टिकल (freak trade meaning in hindi) के माध्यम से क्या – क्या सिखा तो ‘फ्रीक ट्रेड’ जिसे ‘सनकी व्यापार’ के नाम से जाना जाता हैं क्योंकि इस प्रकार के हुए या हो रहे ट्रेड को समझना थोडा अगल लेवल का माना जाता है साथ ही ऐसे ट्रेड कुछ इस प्रकार होकर ख़त्म हो जाते है जिस समय अवधि के दौरान किसी को भी भनक नहीं पड़ती है शायद इन्ही कारणों की वजह से इसे ‘सनकी व्यापार’ का टैग दिया गया हैं

फ्रीक ट्रेड होने के क्या – क्या कारण हो सकते है और उन कारणों में हुए कुछ पुराने किस्सों को शेर किया हैं और आखिर में हमने समझां की ‘व्यापार निष्पादन सीमा’ (TER) क्या हैं तो इसी के साथ हमारा यह टोपिक यही समाप्त होता हैं, धन्यवाद

फ्रीक ट्रेड क्या है ?

‘फ्रीक ट्रेड’ का हिंदी अनुवाद ‘सनकी व्यापार’ होता हैं जिसे दुसरे शब्द में ‘Fat – Finger Trade’ भी कहा जाता हैं, जानबूझकर या गलती की वजह से हुए ट्रेड को Freak Trade कहा जाता हैं

यह सनकी व्यापार क्यों होते हैं ?

आमतौर पर ऐसे ट्रेड BSE/NSE टर्मिनलों में हुई टेक्निकल गड़बड़ी या ट्रेड की गलत एंट्री की वजह से होते हैं, वैसे इन ट्रेड की असर ज्यादा देर तक नहीं दिखती है ज्यादा से ज्यादा 2-3 सेकंड के लिए ही इसकी असर दिखती हैं

एक फ्रीक ट्रेड होने के क्या संकेत हो सकते हैं ?

‘फ्रीक ट्रेड’ होने का एक सामान्य संकेत देखे तो मार्केट समय अवधि के दौरान यदि किसी स्टॉक्स या किसी इंडेक्स की कीमतों में अचानक वृद्धि या गिरावट की स्थिति उत्पन्न हो तो वैसे तो स्टॉक मार्केट के Up या Down पोजीशन के कई कारण हो सकते हैं मगर उनमेसे एक कारण फ्रीक ट्रेड भी हैं

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