क्लियरिंग और सेटलमेंट की प्रक्रिया

क्लियरिंग और सेटलमेंट की प्रक्रिया

क्लियरिंग और सेटलमेंट की प्रक्रिया

हेल्लो दोस्तों आज हम स्टॉक मार्केट में होनेवाले क्लियरिंग और सेटलमेंट की प्रक्रिया के बारेंमे बात करनेवाले हैं इसमें हम जानेंगे की क्लियरिंग और सेटलमेंट के बिच क्या अंतर है साथ ही क्लियरिंग और सेटलमेंट किसे कहा जाता हैं और यह प्रक्रिया हमारें फंड्स और स्टॉक्स पर कैसे काम करती हैं यानि शोर्ट में इन दोनों प्रोसेस को हम विस्तार से समजने वाले हैं तो चलिए शुरू करते हैं (क्लियरिंग और सेटलमेंट की प्रक्रिया)

क्लियरिंग और सेटलमेंट की प्रक्रिया से पूर्व की जानकारी :-

शेयर का क्लियरिंग और सेटलमेंट कैसे होता है यह समजने के पूर्व हमें और भी काफी सारी बातो का चयन करना अनिवार्य हो जाता हैं

तो आमतौर पर हम सबसे पहले शेयर को खरीदते हैं, इनसे पहले भी एक कार्य और है और वो ये की हमें जो शेयर खरीदने है उसका उचित Margin हमारे Trading Account में एडवांस जमा होना चाहिए उसके प्रश्चात ही हम उस शेयर को खरीद सकते है अन्यथा हमारी खरीदी की लिमिट ही निषेध हो जाएँगी

यदि आपको शेयर खरीदी की बात से यहाँ तक की कुछ बाते समजमे ना आई हो तो मे आपको बता दू की SEBI के New Margin Rules के मुताबिक (वैसे अब तो यह पुराना नियम हो गया है) शेयर्स पर ट्रेडिंग करने के पूर्व फिर चाहे वो खरीदी का ट्रेड हो या बिकवाली का ट्रेड हो, उसका इनिशियल मार्जिन देना अनिवार्य होता है फिर चाहे हम उसे हमारे Trading Account में जमा दे या Demat Account में पड़े पुराने शेयरों को Pledge करवाके मार्जिन जामा दे “it doesn’t matter”.

शेयर ट्रेडिंग पर मार्जिन रूल्स

SEBI के द्वारा 1 सितंबर, 2020 को शेयर बाजार का अब तक का अहम माने जाने वाला नियम जिसे मार्जिन नियम से जाना जाता है उसको लागु किया गया था और यदि आपको SEBI के इस New Margin Rules को समजना है तो हमारे इस आर्टिकल की मदद से उसे विस्तार से समज सकते हैं

सेबी के इस नियमों के मुताबिक किसी भी कंपनी के शेयर्स को खरीदने के लिए हमें उस पर्टिक्युलर शेयर पर सेबी ने जो मार्जिन नक्की किया है वो हमें एडवांस देना पड़ता है तभी हमारे ब्रोकर्स हमें उस शेयर पर ट्रेडिंग की लिमिट प्रोवाइड करते हैं

सेबी ने स्टॉक एक्सचेंज के द्वारा शेयर बाजार में लिस्टेड सभी कंपनीयों के शेयरों पर अलग – अलग मार्जिन नक्की किया हुआ है यह उसकी इक्विटी, ट्रेडिंग कारोबार और मांग पर बदलता रहता है शेयर की खरीदी के दिन को सौदे का दिन या T – Day भी कहा जाता है

तो अब जबकि हमने शेयर्स को खरीदने तक की प्रक्रिया को समज लिया है, तो अब शेयर की खरीद – बिक्री को उसके उदाहरण से समजते है, जिनके बाद ही हमें T- Day, T + 1 Day और T + 2 Day क्या है और यह शेयर के क्लियरिंग और सेटलमेंट से किस प्रकार सबंधित है यह समज सकेंगे, तो चलिए इस टोपिक पर आगे बढते हैं

Clearing क्या होता हैं :-

शेयर की खरीदी को उदाहरण के माध्यम से समजते हैं, मानलीजिये हमने 4 दिसंबर, 2019 को SBI के 50 शेयर्स Rs.340 पर ख़रीदे है जिसका नेट अमाउंट Rs.17,000 होता है इस दिन को सौदे का दिन या T- Day कहा जाता है

शेयर का क्लियरिंग शेयर के खरीदी के दिन T- Day से तीसरे दिन T + 2 Day पर होता है या इसे यु भी कह सकते है की T + Day पर किया गया ट्रेडिंग फिर चाहे शेयर को ख़रीदा हो या बेचा हो उसका क्लियरिंग T + 2 Day पर होता है इन्ही प्रक्रिया को शेयर का क्लियरिंग कहा जाता है

एक खास बात और T- Day पर ख़रीदे गए शेयर को T + 1 Day पर नहीं बेच सकते है और यदि वह शेयर का ग्रुप Trade For Trade (T) है तो उसे T + 3 Day पर ही बेचना चाहिए क्यूंकि T ग्रुप के शेयरों में Intraday नहीं किया जा सकता है

इसे दीप में फिर किसी आर्टिकल में जानेंगे फिलहाल, T ग्रुप के अलावा के सभी शेयरों के ग्रुप्स को T + 2 Day से किसी भी दिन बेच सकते है क्योंकि T- Day पर ख़रीदे गए शेयरों की डिलीवरी T + 2 Day में आती है यानि उस दिन आपके ख़रीदे हुए शेयर्स को सेबी आपके Demat Account में क्रेडिट (जमा) देता हैं

यदि आपने T- Day पर सिर्फ मार्जिन दे कर शेयर्स ख़रीदे है यानि यदि उस शेयर का मार्जिन 40% है तो उसके हिसाबसे आपके Trading Account में अभी भी Rs.10,200 (Rs.17,000 को फुल्ली बिल अमाउंट लेते हुए) डेबिट रहेंगे जिसे आपको T + 2 Day पर क्लियर (पेमेंट) करना होंगा अन्यथा सेबी के रूल्स के मुताबिक आपको और आपके ब्रोकर दोनों को पेनल्टी चार्ज चुकाना पड़ेंगा

Settlement क्या होता हैं :-

अब जबकि हमने शेयर ख़रीदे है तो उसे बेचने भी पड़ेंगे तो अब शेयर की बिकवाली को एक उदाहरण के माध्यम से समजते हैं

पहले तो शेयर को बेचने के दो प्रकार (तरीके) है, एक तो हमारे Demat Account से बिक्री के निकालने वाले शेयर को डिलीवरी सेल्लिंग कहा जाता है और दूसरा तरीका जो की इंट्राडे का है वो दो भागों में डिवाइड है पहला इंट्राडे में की गयी खरीदी को बेचना और दूसरा बिना शेयर के बिकवाली करना इसे गुजराती भाषा में शेयर को ‘माथे मारना’ कहते है इसे मार्केट की भाषा में Short Selling कहा जाता हैं

शेयर की बिकवाली करना भी महत्वपूर्ण कार्यो मेसे एक है, मेने पहले भी कहा है की जिस दिन शेयर की खरीदी (T- Day) करते है उसके तीसरे दिन (T + 2 Day) से लेकर कभी भी उस शेयर को बेच सकते है, शेयर को बेचने के बाद T + 2 Day पर उस शेयर का सेटलमेंट होता है, उस शेयर के बिकवाली के Contract Note (Bill) पर ही Settlement Date लिखी हुई होती है इन ही प्रक्रिया को सेटलमेंट कहा जाता हैं

बजाय इसके की हम BTST सौदे का इस्तेमाल कर रहे हो BTST यानि Buy Today, Sell Tomorrow इसे ATST यानि Acquire Today, Sell Tomorrow भी कहा जाता हैं

Clearing Corporation और Clearing Members क्या हैं :-

शेयर क्लियरिंग और सेटलमेंट को और भी विस्तार से समजने के लिए हमें उनकी संस्था और उनके कार्यकर्ता के बारेंमे जानना चाहिए जिसके लिए हमें Clearing Corporation और Clearing Members क्या है यह समजना अनिवार्य है

तो चलिए इसे विस्तार से समजते है, SEBI सभी एक्सचेंजों को यह परवानगी देती है की वो क्लियरिंग कॉर्पोरेशन के जरिये शेयरों की Clearing और Settlement की प्रोसेस को मैनेजमेंट करें 

Clearing Corporation एक प्रकार की सेपरेट एंटिटी होती है जो किसी भी सामान्य Buyer या Seller से सीधे कम्यूनिकेट नहीं करते बल्कि वो Clearing Member से कम्यूनिकेट करते है

सभी स्टॉक ब्रोकर्स स्टॉक एक्सचेंजीस के मेंबर्स होते है जिन्हें ट्रेडिंग मेंबर्स भी कहा जाता है यानि सभी ट्रेडिंग मेंबर्स को अनिवार्य रूप से Clearing Corporation का मेंबर बनना पड़ता है जिन्हें हम Clearing Members के नाम से जानते हैं

निष्कर्ष :-

तो दोस्तों हमने इस आर्टिकल में क्या – क्या सिखा, क्लियरिंग और सेटलमेंट की सभी सामान्य बातोँ में उनकीं प्रक्रिया की शुरुआत से पहले हमें किन – किन बातोँ पर ध्यान रखना है वह जाना साथ ही क्लियरिंग और सेटलमेंट की प्रक्रिया में Clearing Corporation और Clearing Members की क्या अहमियत है वह जाना, तो यह हमारा टोपिक यही पर समाप्त होता हैं, धन्यवाद

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Hello friends, currently I am working in the stock market operating as well as blogging through this wonderful website.

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