Follow On Public Offer In Hindi

Follow On Public Offer In Hindi

follow on public offer in hindi

‘फॉलो – ऑन पब्लिक ऑफर’ जिसे शोर्ट में FPO कहा जाता है आज हम इसी टोपिक (follow on public offer in hindi) पर बात करनेवाले हैं वैसे यह एक पब्लिक ऑफर होता है जिसके जरिये कंपनी को स्टॉक मार्केट से फंड्स एकत्रित करने में मदद मिलती हैं मगर आज हम FPO को पूर्ण डिटेल्स में समजेंगे जिसमे FPO क्या होता हैं, FPO और Right Issue में क्या अंतर होता हैं और FPO के प्रकार के बारेंमे तो चलिए शुरू करते हैं

Follow On Public Offer क्या होता हैं :-

FPO को ‘Further Public Offer’ के नाम से भी जाना जाता है, इसे शुद्ध हिन्दी में ‘फॉलो – ऑन सार्वजनिक पेशकश’ भी कहते है और साथ ही इसे दूसरे पब्लिक ऑफर्स के नाम से भी जाना जाता है

इसे दूसरा पब्लिक ऑफरिंग इसी लिए कहा जाता है क्योंकि यह Initial Public Offering (IPO) से कुछ हदतक सेम है मगर उनसे थोडा अलग है क्योंकि यह उनकें बाद जारी किया जाता हैं 

FPO को विस्तार से समजने के पूर्व हमें IPO को शोर्ट में समजना पड़ेंगा, वैसे तो आपमेसे बहोत सारे लोग IPO को डीप में जानते ही होन्हे मगर इस टोपिक में आगे बढ़ने से पहले हमें इसकी बेसिक इन्फोर्मेशन लेनी पड़ेंगी

तो जब भी कभी कोई कंपनी पहलीबार अपने स्टॉक को शेयर बाजार में सूचीबद्ध (लिस्टेड) करवाती है उस प्रक्रिया को आईपीओ यानि Initial Public Offering के नाम से जाना जाता है

अब समजते है की आखिरकार FPO क्या होता है, तो अब जबकि कंपनी IPO के जरिये मार्केट में लिस्टेड हो चुकी है अब यदि उस कंपनी को भविष्य में किसी कारण फंड्स (कैपिटल) की आवश्यकता पड़ती है तो वह कंपनी अपने प्रमोटर स्टॉक के हिस्से मेसे कुछ प्रतिशत शेयरों को यानि कंपनी को जितने फंड्स की जरूरत है उसके मुताबिक कंपनी FPO को जारी करती है

इसके लिए कंपनी स्टॉक के Current Market Price के हिसाबसे Price Band तैय की जाती है और उसके मुताबिक FPO का विज्ञापन किया जाता है इस Issue प्रोसेसिंग को Follow On Public Offer कहा जाता हैं

FPO और Right Issue में क्या अंतर है :-

FPO और Right Issue इन दोनों के बिचकें सामान्य फर्क (डिफरेंस) को समजने के पूर्व हमें कुछ और बातें जानना जरुरी है जैसे की; स्टॉक मार्केट में FPO की तुलना में सिर्फ Right Issue को ही क्यों लिया गया है और आखिरकार Right Issue होता क्या है

तो दुसरे सवाल का जवाब तो मेने पहले से ही दिया हुआ है यानि मेरी इसी वेबसाइट में Right Issue क्या होता है उसे विस्तार से समजाया गया है तो यदि आपने अभीतक उस आर्टिकल को नहीं पढ़ा है तो ऊपर दी गई लिंक के जरिये तुरंत उसे Read कर सकते है

तो अब आजाते है हमारे इस टोपिक में और जानते है की आखिरकार FPO की तुलना Right Issue से क्यों की गई है तो ऐसा इसलिए है क्युकी Right Issue के जरिये भी कंपनी अपनी कैपिटलाइजेशन को बढ़ाने की कोसिश की जाती है इसे आप ऊपर दिए गए आर्टिकल की मदद से विस्तारपूर्वक समज सकते है, तो अब चलिए FPO और Right Issue के बिचके अंतर के बारेंमे बात करते है

FPO और Right Issue की तुलना

FPO और Right Issue इन दोनों के बिचका अंतर समजते है, शेयर बाजार में पहले से लिस्टेड कंपनी को यदि फंड्स (कैपिटल) की आवश्यकता पड़ती है तो वह कंपनी स्टॉक मार्केट के जरिये दो तरीकों से फंड्स एकत्रित कर सकती है

एकतो Right Issue के जरिये और दूसरा Follow On Public Offer के द्वारा, इन दोनों को एकसाथ मर्ज करके समजते है

पहले तो यदि कोई कंपनी अपने प्रोमोटर्स के हिस्से मेसे ‘फॉलो ओन पब्लिक ऑफर’ यानि FPO के जरिये फंड्स को एकत्रित करती है जिस ऑफर इश्यु में स्टॉक मार्केट में निवेश करते सभी निवेशक हिस्सा ले सकते है यानि FPO में कोईभी निवेशक आवेदन कर सकता है

मगर, Right Issue का फंडा इनसे थोडा अलग है इसके इश्यु ऑफर को कंपनी तभी जारी कर सकती है जब उस कंपनी की मार्केट कैप बड़ी हो यानि उस कंपनी के स्टॉक्स की मांग मार्केट में ज्यादा हो और साथ ही उस कंपनी को विश्वास हो की उसे जितने भी फंड्स की आवश्यकता हो उसे अपने शेयरों को राईट इश्यु के जरिये जारी करके प्राप्त हो जायेंगे

राईट इश्यु में न केवल कंपनी के फंड्स की प्रोब्लम सोल्व होंगी बल्कि कंपनी के शेयरहोल्डरों को भी अच्छा खासा मुनाफा मिल जाता है क्योंकि राईट इश्यु को Current Market Price से कम कीमतों में अपने ही शेयर धारकों को को जारी किया जाता है, इस Issue को Right Issue के नाम से जाना जाता हैं

FPO जारी करने की प्रक्रिया :-

‘Follow On Public Offer’ में आवेदन करने की और उसके Allotment Status की प्रोसेस की एक अलग ही प्रक्रिया होती है

IPO की ही तरह FPO में भी मर्चेंट बैंकिंग की आवश्यकता पड़ती है साथ ही इनसे जुदा एक दस्तावेज़ होता है जिसे Red Herring Prospectus के नाम से जाना जाता है यह दस्तावेज़ SEBI को दिया जाता है जिसके जरिये सेबी को इनसे जुडी सभी बातो का विशलेषण करने में मदद मिलती हैं और साथ ही इनसे जुड़ें सभी नियमों के आधीन कंपनी को FPO के Issue को जारी करने की मंजूरी देती है

जिसके बाद FPO की बिडिंग शुरू की जाती है जिसके लिए 3 से 5 दिनों का समय लगता है, उसके बाद FPO में निवेश करने वाले निवेशक ASBA के माध्यम से अपनी बिड सबमिट करवाते है, Book Building के बाद ही Cut Off Price तैय होते ही उनके सभी आवेदन कर्ताओ को शेयर आवंटित कर दिए जाते है, Cut Off Price इश्यु के शेयरों की मांग के आधार पर डिपेंड करती है

FPO के प्रकार :-

फॉलो – ऑन सार्वजनिक पेशकश (FPO) को मुख्य दो प्रकारों में वर्गीकृत किया गया है, जिनमे से पहला तो है Dilutive FPO (डाइल्युटिव एफपीओ) और दूसरा है Non – Dilutive FPO (नॉन – डाइल्युटिव एफपीओ) इन दोनों Types को हम इस आर्टिकल में विस्तार से समजते हैं

Dilutive FPO

‘डाइल्युटिव ऑफरिंग’ के मामलेमें कंपनी की बोर्ड मिटिंग में सभी बोर्ड मेम्बर्स कंपनी के स्टॉक्स फ्लोटिंग को बढ़ाने के लिए कंपनी की अधिकांस इक्विटी को बेचने के लिए सहमत होते है

इस प्रकार के FPO को जारी करके कंपनी अपने पर रहे कर्ज को चुकाने के लिए या कंपनी के मार्केट वैल्यूएशन यानि स्टॉक के विस्तार को बढ़ाने के लिए किया जा सकता है

इस प्रक्रिया के दौरान नये शेयरों की रचना की जाती है और फिर उसे प्रमोटर के द्वारा बेचे जाते है तो इनसे बकाया शेयरों की संख्या में वृद्धि होती है जिनसे इनके शेयरों की प्रति आय कम हो जाती है

इनसे कंपनी और उनके शेयरहोल्डरों के दीर्घकालिक लक्ष्यों को प्राप्त करने में सहायता मिलती है, तो इस एफपीओ को Dilutive FPO कहते हैं

Non – Dilutive FPO

इस FPO में डाइल्युटिव एफपीओ से बिल्कुल अलग तरह की प्रोसेस होती है, इस FPO के रूप में कंपनी नये शेयरों को जारी करने के बजाय कंपनी के शेयरहोल्डिंग के हिस्से मेसे यानि कंपनी के प्रमोटर हिस्सेदारी के शेयरों मेसे आवश्यक शेयरों को इस प्रक्रिया के दौरान बेचने का निर्णय लेते है

जिसके कारन कंपनी के मार्केट वैल्यूएशन यानि कंपनी की इक्विटी कोई Dilution नहीं होता है तो इस एफपीओ को Non – Dilutive FPO कहते है

Dilutive FPO और Non – Dilutive FPO के बिच एक बड़ा अंतर देखने को मिलता है और वो ये की, डाइल्युटिव एफपीओ के द्वारा जुटाए गए पैसे (फंड्स) कंपनी का होता है जबकि नॉन – डाइल्युटिव एफपीओ के द्वारा जुटाए गए पैसे (फंड्स) प्रमोटर के हिस्से में जाते है

निष्कर्ष :-

तो दोस्तों हमने इस आर्टिकल (follow on public offer in hindi) में ‘फॉलो – ऑन पब्लिक ऑफर’ को विस्तार से समजाया हैं जिसमे FPO क्या होता हैं, एफपीओ और राईट इश्यु में क्या अंतर है जिसको हमनें उन दोनों की तुलना के साथ समजा, एफपीओ को जारी करने की क्या प्रोसेस होती हैं यह जाना और आखिर में एफपीओ के मुख्य दो प्रकार Dilutive FPO और Non – Dilutive FPO को विस्तारपूर्वक समजा तो यह हमारा टोपिक यही समाप्त होता हैं, धन्यवाद 

Categories IPO
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