Liquid Funds Meaning In Hindi
हेल्लो दोस्तों कुछ दिनों के ब्रेक के बाद आज हम फिर मिले है स्टॉक मार्केट से जुड़े एक अहम टोपिक ‘लिक्विड फंड्स’ के साथ इस आर्टिकल (liquid funds meaning in hindi) में हम इस टोपिक को पूर्ण विस्तार से समझेंगे की आखिरकार ‘लिक्विड फंड’ क्या होता हैं, इनमे निवेश की समय अवधि क्या हैं, इनमे निवेश के प्रति जोखिम का क्या प्रमाण है जिसके मुताबिक रिटर्न कितना मिलता हैं, यह किस फंड्स की कैटेगरी में आता हैं और टॉप लिक्विड फंड्स की सामान्य बातोँ की चर्चा करेंगे तो चलिए बिना किसी देरी के इसे शुरू करते हैं
लिक्विड फंड क्या होता हैं :-
तो चलिए सबसे पहले लिक्विड फंड की सामान्य बातोँ का विशलेषण करते है, यह Mutual Fund की डेब्ट और मनी मार्केट की कैटेगरीयों में शामिल ट्रेज़री बिल, कमर्शियल पेपर, कैश मैनेजमेंट बिल आदि जैसे इंस्ट्रूमेंट पर अपने फंड्स के निवेश को अलग – अलग तरीको से इन्वेस्ट करता हैं इसको सामान्य अर्थ में समझें तो इस फंड का निवेश म्यूच्यूअल फंड की तरह किसी इक्विटी इंस्ट्रूमेंट पर नहीं बल्कि विविध प्रकार के बांड्स में किया जाता हैं
आमतौर पर लिक्विड फंड्स मनी मार्केट का ही एक पार्ट होने से इसकी परिपक्वता अवधि 91 दिनों की ही होती हैं साथ ही इसमें लिक्विडिटी की मात्रा अधिक होने से इनकी संपत्तियों को कम समय में बिना किसी मूल्य भेद के आसानी से खरीद – बिक्री कर सकते हैं
यदि हम इसके कुछ सामान्य फायदों की बात करे तो यह फंड्स किसी निश्चित रिटर्न के लिए बेहद कम जोखिम के साथ 1 से 3 महीने के समय पीरियड के साथ किसी निकास शुल्क (बिकवाली समय लगनेवाला चार्ज) के बिना अपने फंड्स में निवेश करने का अवसर प्रदान करता हैं, इसमें निवेश के 7 दिन के बाद निवेश राशी को वापिस लेने में किसी निकास शुल्क को नहीं देना होता हैं अन्यथा तय चार्ज को चुकाना पड़ता हैं
इस फंड्स को निवेश के लिए पसंद करते समय कुछ सामान्य बातोँ का अवश्य ध्यान रखना चाहिए जैसे की; उस फंड का मार्केट प्रदर्शन अच्छा होना चाहिए साथ ही जिसे CRISIL के द्वारा अच्छी एवंम अधिक रेटिंग प्रदान की गई हों और खासकर ऐसे फंड को चुने जिसके Portfolio में डेब्ट सिक्योरिटीज शामिल की गई हों
लिक्विड फंड में इन्वेस्टमेंट के स्वरूप मिलनेवाले अधिक रिटर्न को हम बैंक खाते के दो प्लान सेविंग बचत और फिक्स्ड डिपोजिट की तुलना में अधिक लाभ प्रदान करता हैं इसका मुख्य कारण यह है की इसमें भी इन दोनों की ही तरह लिक्विडिटी की अधिक मात्रा देखि जाती है जिन कारणों की वजह से इसमें निवेश के प्रश्चात इन्वेस्टमेंट को तुरंत नकदी में परिवर्तित किया जा सकता हैं
इस फंड में किसी प्रकार का कोई लोक – इन पीरियड नहीं होता हैं यानि यदि आपने 1 महीने, 2 महीने या 3 महीने के लिए भी निवेश किया है और उस समय अवधि के पहले ही आपको उस राशी की आवश्यकता पड़ी तो आप उस समय अवधि के पहले भी अपने निवेश को निकाल सकते हैं और अपने फंड को केवल एक दिन में नकदी में रूपांतरित कर सकते हैं
लिक्विड फंड को व्यावहारिक रूप से समझें
तो चलिए लिक्विड फंड्स को प्रैक्टिकल तरीके से समझते हैं तो सबसे पहले आपको यह समझना अनिवार्य है की लिक्विड फंड्स में ज्यादातर छोटी अवधि के निवेश होते है इसका यह मतलब बिल्कुल नहीं की इसमें लम्बी अवधि के लिए निवेश नहीं किया जा सकता हैं तो चलिए इसको एक उदाहरण से समझें तो
Example के तौरपर Liquid Fund के Regular Plan (Growth) के वार्षिक रिटर्न को दोनों शर्तो (Short – Term & Long – Term) से समझें तो ‘लघु अवधि’ में 4 Period (1-M, 3-M, 6-M and 1-Y) देखने को मिलते हैं वही ‘दीर्घकालिक’ में 3 Period (3-Y, 5-Y and 10-Y) देखने को मिलते हैं
वैसे तो इसके कई अलग – अलग प्रकार के पैरा ग्रुप मोजूद है मगर उन सभी मेसे एक कॉमन ग्रुप है जिसे Growth के नाम से जाना जाता हैं और साथ ही इनकी मुख्य दो केटेगरी है जिसमे पहली Regular और दूसरी Direct केटेगरी शामिल हैं
लिक्विड फंड में टैक्स कैसे लगता है ?
लिक्विड फंड भी एक तरह का डेब्ट फंड होने के कारण उसमे भी कैपिटल गेन यानि निवेश पर कमाया गया प्रॉफिट जिसके मुताबिक टैक्स लागु होता हैं और लिक्विड फंड्स में केवल कम समय अवधि के लिए ही निवेश किया जाता हैं जिसके चलते इस निवेश पर आयकर विभाग के टैक्स स्लैब के आधार पर शोर्ट – टर्म कैपिटल गेन टैक्स लगता हैं
इस फंड के टैक्स को यदि हम एक उदाहरण के साथ समझे तो मानलीजिये की आपने किसी लिक्विड फंड में तिन महीने के लिए 50,000 का निवेश किया हैं और उस फंड में 5% के स्वरूप 2,500 का रिटर्न मिला हैं जिनसे हमें तिन महीने के बाद 52,500 पर अपना टैक्स भरना पड़ेंगा
आमतौर पर तो स्टॉक मार्केट में सभी अलग – अलग सेगमेंट में बिकवाली के समय आनेवाली रकम पर ही सभी टैक्स को लागु किया जाता हैं कुछ ट्रेडिंग प्लेटफार्म को छोडकर
लिक्विड फंड कैसे काम करते हैं ?
जब भी आप किसी लिक्विड फंड में निवेश करते हैं तो उस लिक्विड फंड के फंड मैनेजर आपकी निवेश राशी को बांड, डेब्ट या सरकारी प्रतिभूतियों में इन्वेस्टमेंट कर देते हैं और जब भी पुराने बांड मैच्योर होते है उसकी जगह नए बांड खरीद लिए जाते हैं यह एक नियमित प्रोसेस होती है जो निरंतर ऐसे ही चलती रहती है
इन लिक्विड फंड के निवेश प्लेस बांड और डेब्ट की ब्याजदरों के आधार पर ही लिक्विड फंड की NAV (Net Asset Value) कैलकुलेट की जाती हैं यह पूर्ण प्रक्रीया दिन के आखिर में की जाती हैं
निवेश के लिए सर्वश्रेष्ठ लिक्विड फंड कैसे पसंद करें ?
किसी भी फंड्स को अपने इन्वेस्टमेंट के लिए बेहद सोच समझकर ही पसंद करना चाहिए जिसको केवल उनके पिछले साल या भविष्य के प्रदर्शन के मुताबिक चुनना यह उसकी सही विशेषता नहीं मानी जानी चाहिए मगर यदि उस फंड ने शुरुआती समय से एक समान रिटर्न दिया है फिर चाहे वो दुसरे फंड्स के मुकाबले कम ही क्यों न हो फिर भी हमें उस लिक्विड फंड को अपने पोर्टफोलियो में शामिल करने का विचार करना चाहिए
दुसरे विकल्प में हमें यह सुनिश्चित करना होता हैं की हम जीस किसी लिक्विड फंड को पसंद करे उस फंड के द्वारा अनिवार्य रूप से डेब्ट फंड जेसी सिक्योरिटीज में निवेश किया होना चाहिए जिसको CRISIL के द्वारा इन्वेस्टमेंट चेकआउट रेटिंग दी गई हों इसके ज्यादा क्रेडिट रेटिंग का मतलब यह सुनिश्चित करना है की उन फंड्स में निवेश की तुलना में प्रॉफिट का क्या प्रमाण हैं और साथ ही कम से कम समय पीरियड में यह कितना अधिक रिटर्न प्रदान करता हैं
तीसरा विकल्प इस बढ़ती महगाई के कारण ब्याज दरों में हो रहे बदलाव का एक उचित उदाहरण है क्योंकि सभी लिक्विड फंड्स की मैच्योरिटी पीरियड शोर्ट – टर्म होने के साथ – साथ यह सभी की अलग – अलग होती हैं जिसके चलते यदि फंड की मैच्योरिटी पीरियड 3 महीने या उनसे भी कम हैं तो यह निवेश के लिए एक उचित ऑप्शन हो सकता हैं, एक छोटी परिपक्वता अवधि यह सुनिश्चित करती है कि पोर्टफोलियो लंबी अवधि के ब्याज दर में उतार – चढ़ाव से सुरक्षित है
Expense Ratio खर्चे की दर
यदि हम ‘एक्सपेंस रेश्यो’ की बात करे तो SEBI के द्वारा इसके एक्सपेंस रेश्यो की अधिकतम सीमा 2.25% निर्धारित की गई हैं, यदि हम लिक्विड फंड और इक्विटी फंड की तुलना करे तो लिक्विड फंड के मुकाबले इक्विटी फंड में एक्सपेंस रेश्यो अधिक देखने को मिलता हैं और यदि हमें निवेश के नजरी से देखना है हमें उन फंड में निवेश करना चाहिए जिसका एक्सपेंस रेश्यो कम हों तो चलिए एक्सपेंस रेश्यो के साथ – साथ कुछ लिक्विड फंड्स के नाम और उनकी सामान्य डिटेल्स को एक Table of Content की मदद से देखते हैं
Funds | Rating | NAV | Expense Ratio | Debt Holing | Other Holing |
---|---|---|---|---|---|
CR Liquid Fund (D) – Growth | 5 STAR | Rs.2,581 | 0.12% | 80.05% | 19.95% |
DSP Liquid Fund (R) – Growth | 4 STAR | Rs.3,054 | 0.24% | 82.32% | 17.68% |
IIFL Liquid Fund (R) – Growth | 4 STAR | Rs.1,653 | 0.25% | 83.77% | 16.23% |
LIC Liquid Fund (D) – Growth | 4 STAR | Rs.3,914 | 0.11% | 93.88% | 6.12% |
L&T Liquid Fund (R) – Growth | 3 STAR | Rs.2,936 | 0.20% | 98.95% | 1.05% |
(एक बात को अवश्य ध्यान में रखे की उपरोक्त दी गई इस लिक्विड फंड्स की सूचि को CRISIL रेटिंग के द्वारा सूचीबद्ध किया गया है जिस Table of Content को केवल समझने के हेतु दिया गया है, इन फंड्स को अपने इन्वेस्टमेंट पोर्टफोलियो में शामिल करने से पहले इनकी पूर्ण रिसर्च करना अनिवार्य हैं)
निष्कर्ष :-
तो दोस्तों हमने इस आर्टिकल (liquid funds meaning in hindi) के माध्यम से क्या – क्या सिखा, म्यूच्यूअल फंड के वैसे तो कई प्रकार है मगर उन सभी प्रकारों में यह फंड सबसे कम जोखमी और लिक्विडिटी वाला फंड हैं जोकि ज्यादातर शोर्ट – टर्म इन्वेस्टमेंट के लिए अधिक प्रयोग किया जाता हैं
इसमें टैक्स को कैसे और कितनी मात्रा में लगाया जाता हैं हमने उसको समझा, यह फंड अपने निवेश प्लेटफार्म पर कैसे कार्य करता हैं यह जाना साथ ही हमारी छोटी अवधि के लिए पड़ी राशी को इस इसमें शामिल कई फंड्स मेसे निवेश योग्य फंड को कैसे चुने जीस मुद्दें पर ही हमने ‘एक्सपेंस रेश्यो’ क्या होता है यह समझा जिसके साथ ही इसके नाम और उनकी सामान्य डिटेल्स को एक Table of Content के माध्यम से विस्तार से समझां तो इसीके साथ हमारा यह टोपिक यही समाप्त होता हैं, धन्यवाद
लिक्विड फंड क्या हैं ?
यह म्यूच्यूअल फंड की डेब्ट और मनी मार्केट की कैटेगरीयों में शामिल ट्रेज़री बिल, कमर्शियल पेपर, कैश मैनेजमेंट बिल आदि जैसे इंस्ट्रूमेंट पर अपने फंड्स के निवेश को अलग – अलग तरीको से इन्वेस्ट करता हैं जिसे लिक्विड फंड कहते हैं
क्या लिक्विड फंड्स रिस्क फ्री होते हैं
आमतौर पर लिक्विड फंड्स भी स्टॉक मार्केट के अंडर ही आते है मगर यह फंड्स डेब्ट और बांड्स जेसी सिक्योरिटीज में निवेश करते होनेसे RBI के द्वारा मुद्रास्फीति में किए बदलाव की असर देखने को मिलती हैं जिनसे यह पूर्ण नहीं बल्कि कम रिस्की माने जाते हैं
क्या लिक्विड फंड और डेब्ट फंड एक समान माने जाते हैं
तो डेब्ट फंड म्यूच्यूअल फंड का एक प्रकार है वही लिक्विड फंड डेब्ट फंड का एक सामान्य भाग हैं जिनसे हम यह कह सकते है की दोनों ही म्यूच्यूअल फंड के पार्ट समान हैं
लिक्विड फंड और डेब्ट फंड इन दोनों फंड्स की तुलना में सबसे कम रिस्की किसे कहा जाता हैं
लिक्विड फंड अपने आप में ही कम जोखिम का प्रमाण हैं तो आमतौर पर डेब्ट फंड में लिक्विड फंड के मुकाबले ज्यादा रिस्क देखने को मिलता हैं
क्या लिक्विड फंड से कभी भी निवेश को वापिस लिया जा सकता हैं
आमतौर पर सेबी ने इसका एक नियम लागु किया है जिसके अनुसार फंड में निवेश के 7 दिनों के बाद अपने निवेश को पुनः किया जा सकता हैं वैसे जरूरत के मुताबिक इनसे पहले भी रिडीम किया जा सकता है मगर उसमे आपको कुछ शुल्क देना पड़ेंगा
क्या SIP के जरिये भी लिक्विड फंड में निवेश किया जा सकता हैं
जिसका जवाब हैं – हाँ ‘सिस्टेमेटिक इन्वेस्टमेंट प्लान’ के द्वारा भी लिक्विड फंड में निवेश का लाभ लिया जा सकता हैं
Nice Article