Support And Resistance Level In Hindi

Support And Resistance Level In Hindi

support and resistance level in hindi

स्टॉक मार्केट में Support और Resistance Level का एक अहम रोल हैं इसको हम हमारी ट्रेडिंग स्ट्रेटेजि में किस प्रकार प्रयोग कर सकतें हैं और अपने प्रॉफिट को कैसे बढ़ा सकतें है यानि ‘सपोर्ट लेवल’ और ‘रेजिस्टेंस लेवल’ को हम इस आर्टिकल (support and resistance level in hindi) में विस्तार से समजेंगे तो चलिए शुरू करते हैं

Support और Resistance Level क्या है

Support and Resistance Level क्या होता है यह जानेंगे साथ ही शेयर बाजार में लिस्टेड अनेकों शेयरों में कोन से स्टॉक में ज्यादा खरीद – बिक्री हो रही है यानि किन – किन स्टॉक्स में मार्केट कारोबार ज्यादा हो रहा है और किन – किन शेयरों में कारोबारी कम हो रही है

यह सभी बातें हम स्टॉक के Support and Resistance Level Chart से पता कर सकते है मगर उनसे पहले हमें Support and Resistance Level की Basic इन्फोर्मेशन लेना अनिवार्य है, तो बिना समय गवाएं आगे बढ़ते है हमारे अहम टॉपिक की ओर तो चलिए शुरू करते हैं

“Support and Resistance Level वह होता है जो किसी स्टॉक चार्ट में उस खास Price ‘Point’ को दिखाता है, जिस प्राइस पर Buyers और Sellers सबसे ज्यादा Active रहते है”     

सपोर्ट और रेजिस्टेंस लेवल को बेहतर तरीके से समजने के लिए हमें पहले टारगेट प्राइस को समजना जरुरी है, और यह हमें शेयर के मार्केट प्राइस के चार्ट को ध्यान में रखके समजना होता है

सपोर्ट और रेजिस्टेंस को शोर्ट में S&R के नाम से भी जाना जाता है, सामान्य शब्दों में कहे तो Support and Resistance Level किसी कंपनी के मार्केट चार्ट के बेस पर उसके प्राइस (भाव) को दर्शाता है

वैसे मार्केट के बेस पर इन दोनों का अर्थ अलग – अलग होता है सबसे पहले बात करते है सपोर्ट प्राइस लेवल की तो इसमें Seller से ज्यादा Buyer की सख्या होती है

उसी तरह रेजिस्टेंस प्राइस लेवल में उनसे अलग होता है इसमें Buyer से ज्यादा Seller की सख्या देखने को मिलती है, Support and Resistance Level की मदद से Trader अपने किसीभी सौदे को एक परफेक्ट प्राइस और टाइम पसंद कर सकता है

समर्थन और प्रतिरोध स्तर महत्वपूर्ण हैं क्योंकि वे व्यापारियों को संभावित खरीद या बिक्री के अवसरों की पहचान करने में मदद कर सकते हैं

उदाहरण के लिए, यदि शेयर की कीमत समर्थन स्तर तक गिरती है, तो यह स्टॉक खरीदने का एक अच्छा समय हो सकता है क्योंकि यह उस स्तर से वापस बाउंस होने की संभावना है

इसके विपरीत, यदि स्टॉक की कीमत एक प्रतिरोध स्तर तक बढ़ जाती है, तो स्टॉक को बेचने का यह एक अच्छा समय हो सकता है क्योंकि इसके बिकवाली के दबाव का सामना करने और उस स्तर से नीचे गिरने की संभावना है

यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि समर्थन और प्रतिरोध स्तर हमेशा सटीक नहीं होते हैं और स्टॉक की कीमत इन स्तरों से ऊपर या नीचे उतार-चढ़ाव कर सकती है

व्यापारी अक्सर इन स्तरों की वैधता की पुष्टि करने के लिए अन्य तकनीकी संकेतकों और विश्लेषणों का उपयोग करते हैं और तदनुसार व्यापारिक निर्णय लेते हैं

Support (सपोर्ट)

सपोर्ट’ जिसके नाम से ही “सहारा” शब्द हमारे दिमाग में आता है सपोर्ट लेवल एक तरह का सहारा होता है शेयर के प्राइस को कन्ट्रोल में रखने का या यु कहे की शेयर के भाव को बैलेंस रखने में मदद करता है

सपोर्ट प्राइस किसी भी शेयर्स के चार्ट में वह कीमत होती है जब उस शेयर की मांग में अचानक उछाल आजाता है यानि उस शेयर में खरीदारी का प्रमाण ज्यादा हो जाता है तब उस शेयर की प्राइस सपोर्ट लेवल से निचे गिरने लगती है

साथ ही बाजार में ज्यादा उछाल की संभावना बनती है इस प्रक्रिया को सपोर्ट लेवल कहते है, सपोर्ट लेवल हमेसा करंट मार्केट प्राइस (Current Market Price) से निचे रहता हैं       

सपोर्ट लेवल को दुसरे शब्दों से समजते है, सपोर्ट लेवल का वो प्राइस (भाव) जिस प्राइस लेवल पर शेयर में Seller के मुकाबले Buyer ज्यादा सक्रिय होते है

उदाहरण

इसे एक उदाहरण से समजते है – जब किसी कंपनी के शेयर में बेचने वालोँ की संख्या में अचानक से कम आने लगती है जिनसे शेयर की डिमांड बढ़ने लगती है और उसकी सप्लाई कम होने लगती है यह स्थिति उस शेयर के मूल्य को गिरावट से रोकती है

साथ ही उस शेयर के मूल्य में उछाल आने की संभावना ज्यादा हो जाती है इसी प्राइस लेवल को उस शेयर का ‘सपोर्ट प्राइस लेवल’ कहा जाता है    

Resistance (रेजिस्टेंस)

रेजिस्टेंस’ शब्द का हिंदी अनुवाद होता है ‘रुकावट’ या प्रतिकार जिसके आधार पर हम यह जान सकते है की किसी भी शेयर के चार्ट में उसकी प्राइस रेजिस्टेंस लेवल पर पहुचते ही उसे बढ़ने यानि ऊपर जाने से रोकता है

रेजिस्टेंस का फंडा सपोर्ट से बिलकुल अलग होता है, रेजिस्टेंस प्राइस लेवल पर ट्रेडर्स स्टॉक की अधिकतम आपूर्ति यानि मैक्सिमम सप्लाई की उम्मीद करते है, रेजिस्टेंस लेवल हमेसा करंट मार्केट प्राइस से ऊपर रहता हैं     

रेजिस्टेंस लेवल को भी दुसरे व्यू से समजते है, इसमें सपोर्ट लेवल से बिलकुल विपरीत स्थिति होती है, रेजिस्टेंस लेवल का वो प्राइस (भाव) जिस प्राइस लेवल पर शेयर में Buyer के मुकाबले Seller ज्यादा सक्रिय होते है

उदाहरण

इसे एक उदाहरण से समजते है – जब किसी कंपनी के शेयर में बढ़त का स्तर ज्यादा हो जाता है जिनसे एक लेवल पर उस शेयर में सप्लाई बढ़ने लगती है और उस शेयर की डिमांड कम होने लगती है

अर्थात् उस शेयर में मुनाफावसूली वाले निवेशकों की सख्या बढ़ने लगती है यानि शेयर को बेचने वाले निवेशकों की तादाद बढ़ने लगती है यह स्थिति उस शेयर के मूल्य को बढ़ने से रोकती है 

साथ ही उस शेयर के मूल्य में गिरावट आने की संभावना ज्यादा हो जाती है इसी प्राइस लेवल को उस शेयर का ‘रेजिस्टेंस प्राइस लेवल’ कहा जाता है

शेयर बाजार निवेश के मुद्दे

Support and Resistance Level की मदद से स्टॉक मार्केट में निवेश के सबसे अहम तिन Points का पता लगा सकते हैं

  • पहला पॉइंट Entry Point – किसी भी कंपनी के स्टॉक में शेयर मार्केट के समय के दौरान कोनसे समय पर किस ट्रेड प्राइस पर खरीदना है वह पता लगा सकते है
  • दुसरे पॉइंट Target – कोनसी कंपनी के शेयर पर कोनसा टारगेट प्राइस है जिनसे उस प्राइस पर हम अपना प्रॉफिट बुक कर सकते है 
  • तीसरा पॉइंट Exit Point – किसी भी कंपनी के ख़रीदे हुए स्टॉक को बाजार मूवमेंट के आधार पर कोनसे प्राइस पर Stop-Loss लगाना चाहिए और किस प्राइस पर उसे Sell करदेना चाहिए इस बात का पता चलता है 

Support and Resistance Level की लाइनें केवल शेयर के चार्ट में प्राइसिंग (कीमतें) Up – Down होने की संभावना का संकेत देती है किसी भी तरह से उन्हें निश्चित विश्वसनीयता के तौर पर नहीं माना जाना चाहिए

साथ ही टेक्निकल एनालिसिस की तरह ही किसी संभावना को पैटर्न और चार्ट के आधार पर सिर्फ और सिर्फ संभावना के दृष्टिकोण से देखा जाना चाहिए और साथ ही यदि आप Demand and Supply के बारेंमे जानना चाहते है तो उस लिंक के जरिये आप उस आर्टिकल को भी Read कर सकते है

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