Arbitrage Trading In Hindi

Arbitrage Trading In Hindi

arbitrage trading in hindi

इस आर्टिकल में मैं आपको ‘Arbitrage’ से सबंधित सभी बाते बताऊँगा की आर्बिट्राज क्या होता है, स्टॉक मार्केट में इसका क्या महत्व है और इसकी Trading प्रक्रिया को उदाहरण के साथ समजेंगे तो चलिए शुरू करते हैं (arbitrage trading in hindi)

आर्बिट्राज ट्रेडिंग क्या है :-

‘आर्बिट्राज’ एक प्रकार की ट्रेडिंग स्ट्रेटेजि है जिसे ‘अंतरपरण’ के नाम से भी जाना जाता है, स्टॉक मार्केट की ट्रेडिंग सामग्री जैसे प्रतिभूति या Assets (Stocks) को किसी भी सेगमेंट (BSE / NSE) में मंद बाजार के प्राइस (भाव) में खरीद कर उसे तेजी के बाजार में बेचा जाता है हालांकि जो आमतौर पर Intraday Trading में आता है जिसे Arbitrage या अंतरपरण कहा जाता है  

आमतौर पर दो अलग – अलग एक्सचेंजों यानि बोम्बे स्टॉक एक्सचेंज और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज में परिसंपतियों (स्टॉक्स) की कीमतों में थोड़ा – बहुत अंतर देखने को मिलता है लेकिन यह सभी में नहीं बल्कि कुछ शेयरों में कभी कबार ही देखने को मिलता है जिस ट्रेडिंग स्ट्रेटेजि को आर्बिट्राज ट्रेडिंग कहा जाता है

आर्बिट्राज का इस्तेमाल :-

Arbitrage का उदेश्य मार्केट में चल रहे इन भावों के डिफरेंस से प्रॉफिट बनाना है यह इस प्रकार संभव है की एक ही समय पर अलग – अलग बाजारों में किसी प्रतिभूति या स्टॉक के विभिन्न कीमतों की असमानता की वजह से आर्बिट्राज ट्रेडिंग करना मुमकिन हैं और इसका इस्तेमाल विभिन्न बाजारों में हो रहे उतार – चढ़ाव से शेयरों की कीमतों में समानता स्थापित करना है

युतो शेयर बाजार में ट्रेडिंग करने हेतु अनेकों ओपसन मिलते है उन्ही मेसे एक आर्बिट्राज ट्रेडिंग है, इसमें Risk और Profit दोनों ही की मात्रा बेहद ज्यादा होती है क्योंकि आर्बिट्राज ट्रेडिंग एक रूप से इंट्राडे ट्रेडिंग में ही समाविष्ट होती है जिसकी वजह से हाई प्रॉफिट के साथ – साथ जोखिम का प्रमाण भी अधिक होता हैं

इसमें Hedging के इस्तेमाल से भी ट्रेडिंग की जा सकती है, इस ट्रेडिंग से ट्रेडर को विनिमय दरों में हुए अंतर का लाभ मिलता है, यह ट्रेडिंग इक्विटी मार्केट (नक़दी बाजार) और डेरिवेटिव मार्केट के माध्यम से की जाती है, आर्बिट्राज की रणनीति एल्गो ट्रेडिंग रणनीति का ही एक प्रकार हैं हालांकि स्टॉक एक्सचेंजों में मूल्यों का अंतर ज्यादा नहीं होता जिस वजह से स्टॉक्स में ज्यादा से ज्यादा वॉल्यूम होना जरुरी है (arbitrage trading in hindi)

आर्बिट्राज ट्रेडिंग के प्रकार :-

Arbitrage का इस्तेमाल करके हम स्टॉक मार्केट में कितने अलग – अलग प्रकारों से ट्रेडिंग का आनंद ले सकते हैं तो इसका जवाब है मुख्य तिन प्रकार के आर्बिट्राज ट्रेडिंग होते हैं जिसमे पहला ‘इंटरएक्सचेंज आर्बिट्रेज ट्रेडिंग’ दूसरा ‘कैश एंड कैरी आर्बिट्रेज ट्रेडिंग’ और तीसरा ‘सांख्यिकीय आर्बिट्रेज ट्रेडिंग’ हैं तो चलिए एक के बाद एक इन तीनो को विस्तारपूर्वक समझते है

Inter Exchange Arbitrage Trading

इस प्रकार के आर्बिट्राज ट्रेडिंग में दो अलग – अलग एक्सचेंजों में मूल्यों के अंतर की मदद से प्रॉफिट बनाया जाता है, वैसे भारतीय शेयर बाजार में मान्यता प्राप्त कुल 23 स्टॉक एक्सचेंज शामिल है जिनमें से मुख्य दो स्टॉक एक्सचेंजों (BSE और NSE) में सबसे ज्यादा आर्बिट्राज ट्रेडिंग होती है

वैसे कुछ कंपनीयों के स्टॉक सिर्फ एक ही एक्सचेंज में लिस्टेड होते है जिनमे केवल उन्ही एक्सचेंज के जरिये आर्बिट्राज ट्रेडिंग की जा सकती है, ज्यादातर कंपनीयों के स्टॉक दोनों एक्सचेंज में सूचीबद्ध होते है उनमे से ज्यादा मूवमेंट वाले शेयरों में किसी एक एक्सचेंज में खरीद कर दुसरे एक्सचेंज में कुछ भाव के डिफरेंस में बेच दिया जाता है, दोनों सौदों में कुछ समय का अंतर (गेप) भी लगता है

Cash and Carry Arbitrage Trading

यह एक अलग प्रकार की आर्बिट्राज ट्रेडिंग है, इसमें डिलीवरी स्वरूप में ट्रेडिंग की जाती है यानि पहले किसी स्टॉक में BSE Cash या NSE Cash में खरीदारी की जाती है और अगर डेरिवेटिव फ्यूचर मार्केट में उसके भाव ज्यादा है तो उसे फ्यूचर मार्केट में बेच दिया जाता है, Cash Market और Future Marekt के Contract Note की वैल्यूएशन उनके एक्सपायरी दिन में एक हो जाये तब उन दोनों सौदों का हिसाब करते ही पता चल जाता है की प्रॉफिट मिला या लोस हुआ है

Statistical Arbitrage Trading

इस प्रकार की ट्रेडिंग स्ट्रेटेजि सिर्फ अवसरों के आधीन होती है जो केवल मूल्यों की अस्थिरता और उनके गलत तरीको के कारन उत्पन्न होते है, ज्यादातर यह उन शेयरों में होता है जो एक ही सेक्टर के हो, मूल्यों के इस प्रकार के बदलाव को केवल एल्गो ट्रेडिंग की सिस्टम ही पकड़ सकती है, एक मानव ट्रेडर ऐसे परिवर्तनों को ट्रेक करने में असमर्थ है

इसका एक उदाहरण देखे तो PFC और Tata Power यह दोनों ही कंपनीया एक ही सेक्टर की है, अब किसी स्टॉक में उछाल आया तो दुसरे स्टॉक में भी थोड़ा – बहोत उछाल जरुर आयेंगा मगर बाजार के अस्थिरता के कारन ऐसा नहीं होता सांख्यिकीय आर्बिट्राज ट्रेडिंग के आधार पर एलगोरिदम तुरंत उसे पकड़ लेता है और उन शेयरों को खरीद लेता है फिर जब उनकी कीमते सही हो जाएँगी तब उसे बेच देता है जिनसे लाभ कमा सकते हैं

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Hello friends, currently I am working in the stock market operating as well as blogging through this wonderful website.

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