Future Trading In Hindi
‘फ्यूचर ट्रेडिंग‘ इसको सुनकर ऐसा प्रतीति होता हैं की भविष्य के ट्रेडिंग के बारेंमे बात हो रही हैं यह कुछ हदतक सही है मगर आज हम इस टोपिक (future trading in hindi) में स्टॉक मार्केट के F&O Trading के ‘Future Market’ को समझने वाले हैं जिसमें हम जानेंगे की फ्यूचर ट्रेडिंग क्या होती हैं, स्टॉक मार्केट में इसका क्या महत्व है यानि फ्यूचर्स मार्केट से रिलेटेड सभी सामान्य इन्फोर्मेशन को हम इस टोपिक में विस्तार से समझने जा रहे हैं और बात रही की इसमें किस प्रकार ट्रेडिंग (निवेश) किया जाता है जिसके लिए आपको हमारें इस आर्टिकल फ्यूचर ट्रेडिंग कैसे करते हैं को समझना जरूरी हैं तो चलिए इस टोपिक को शुरू करते हैं
Future Trading क्या होती हैं :-
युतो भारतीय स्टॉक मार्केट में अनेकों प्रकारों के इन्वेस्टिंग प्लेटफार्म मोजूद है उन्ही मेसे एक ‘फ्यूचर ट्रेडिंग’ को हम इस आर्टिकल (future trading in hindi) के माध्यम से विस्तार से समजने वाले है
वैसे फ्यूचर ट्रेडिंग जिसे भविष्य आधारित कारोबार भी कहा जाता हैं, ‘फ्यूचर ट्रेडिंग’ डेरीवेटिव्स का ही एक प्रकार हैं, इसकें जरिये शेयर बाजार में निवेश करने का एक अच्छा सुझाव है, इसकी सबसे अच्छी बात यह है की इसे कई ट्रेडिंग सेगमेंट में लागु किया जा सकता है
एक खास बात और यदि आपने मेरे यह आर्टिकल option trading in hindi को नहीं पढ़ा है तो इस विषय आपकी जानकारी अधूरी रहेंगी, तो चलिए इस ‘फ्यूचर ट्रेडिंग’ को समजते हैं
फ्यूचर ट्रेडिंग की सामान्य बातें
स्टॉक मार्केट में भविष्य के तर्क के आधार पर एक पूर्व निर्धारित समय और साथ ही पूर्व निर्धारित मूल्य पर डेरीवेटिव को खरीदने और बेचने के लिए विश्वसनीयता के साथ एक समझोता करना होता है जिसमे फ्यूचर ट्रेडर्स यानि खरीदार और विक्रेता का यह दायित्व होता है की वे इस कॉन्ट्रेक्ट के आधारित मूल्य और समय पर इसे पूरा करे, इसमें पूर्व निर्धारित मूल्य को फ्यूचर्स प्राइस और पूर्व निर्धारित समय को डिलीवरी डेट कहा जाता हैं
‘फ्यूचर ट्रेडिंग’ में आज के किये हुए सौदे को भविष्य में एक निश्चित तारीख पर उस सौदे का सेटलमेंट किया जाता है और आमतौर पर इसमें एक महीने में सौदे सेटल हो जाते है, इसमें सभी फ्यूचर्स डेरीवेटिव्स के प्राइस की मूवमेंट उनके मांग और सप्लाई के नियम पर तय होते है
‘फ्यूचर ट्रेडिंग’ भी ‘ऑप्शन ट्रेडिंग’ की ही तरह एक डेरीवेटिव्स का पार्ट है जिस वजह से इसमें भी हर महीने के आखरी गुरुवार को सेटलमेंट होता हैं मगर यदि ट्रेडर चाहे तो वो अपने फ्यूचर्स डेरीवेटिव के सौदे को अगले महीने के लिए रोल – ओवर भी कर सकते है
फ्यूचर ट्रेडिंग डेरिवेटिव का एक हिस्सा
‘फ्यूचर ट्रेडिंग’ में जो ‘डेरिवेटिव्स’ का प्रयोग होता है उसे एक प्रकार का सेगमेंट कहा जाता है जिसमे सभी प्रकार के ट्रेडिंग मोजूद होते है जैसे की; Stocks, Index, Commodity And Currency आदि और साथ ही इनमे दो प्रकार के ट्रेडिंग प्लेटफार्म से ट्रेडिंग की जा सकती है
एक ‘फ्यूचर ट्रेडिंग’ और दूसरा ‘ऑप्शन ट्रेडिंग’ है इन दोनों में से किसी भी एक प्लेटफार्म के जरिये भी डेरिवेटिव में कारोबार (ट्रेडिंग) किया जा सकता है
बाजार में ‘फ्यूचर ट्रेडिंग’ के जरिये कम इन्वेस्टमेंट से भी ट्रेडिंग की शुरुआत की जा सकती है इसमें सिर्फ ट्रेडिंग की मार्जिन मनी (फंड) को जमा करके ट्रेडिंग शुरू कर सकते है
फ्यूचर्स ट्रेडिंग की सेटलमेंट और मार्जिन प्रक्रिया
‘सेटलमेंट डेट’ यानि महीने के लास्ट थर्सडे को ‘फ्यूचर ट्रेडिंग’ की एक्सपायरी डेट होती हैं, यदि कोई ट्रेडर अपने फ्यूचर ट्रेड को एक्सपायरी डेट से पहले स्क्वेरअप नहीं कर पता है तो उसका वह फ्यूचर ट्रेड अगले महीने से कंटीन्यू रहता है यानि यदि उसके पुराने फ्यूचर ट्रेड में लोस है तो वो भी वही से कंटीन्यू होंगा और बात रही उसके पेनल्टी की तो वह आपके ब्रोकर के ऊपर डिपेंड करता है की उसने इसके लिए कितना पेनल्टी चार्ज नक्की किया हुआ हैं
‘फ्यूचर ट्रेडिंग’ में स्टॉक एक्सचेंज के द्वारा लगाये गए मार्जिन को तय करना जरुरी होता है, फ्यूचर ट्रेडिंग पुरे महीने भर के लिए होने के कारन इसमें रोजाना दिनों के फायदे – नुकसान के हिसाब – किताब होते है, जिसमे नुकसान होने पर ट्रेडर को अपने ब्रोकर की नुकसानी की भरपाई करनी पड़ती है
आमतौर पर फ्यूचर ट्रेडिंग (कारोबार) इंडेक्स या स्टॉक्स में होता है, फ्यूचर कारोबार कैश मार्केट के मुकाबले प्रिमियम पर ट्रेड करता है, इन सभी तथ्यों को समजने के बावजूद भी ‘फ्यूचर ट्रेडिंग’ एक अनुभवी ट्रेडर्स का काम है और यह एक प्रकार से “Hedge” (हेज़िंग का मतलब रिस्क को रिड्यूस करना) में काम आता हैं
फ्यूचर ट्रेडिंग को एक उदाहरण से समझते हैं :-
फ्यूचर ट्रेडिंग को उदाहरण के माध्यम से समझने के लिए हमें दो मार्केट्स Future Market और Cash Market की तुलना (Compare) से बेहतर समझ सकते है, तो चलिए शुरू करते है
Reliance को मार्केट के राजा की उपाधि दी गयी है, Reliance की मार्केट प्राइस Rs.2,500 के आसपास है इसे हम Cash Market में फिर चाहे वो BSE/NSE Cash हो इनमे यदि हम चाहे तो सिर्फ 1 शेयर में भी ट्रेडिंग कर सकते है मगर Future Market में एक पूर्व निर्धारित Lot Size पर ही ट्रेडिंग हो सकती है
फिलहाल Reliance FUTSTK की Lot Size 250 है मगर यह मार्केट नियमों पर बदलती रहती है, FUTSTK का मतलब Future Stock है, यही हमें Reliance FUTSTK में ट्रेडिंग करनी है तो कम से कम 1 Lot खरीदना पड़ेंगा जिसमे हालके मार्केट Lot Size के मुताबिक 250 शेयर्स शामिल है
अब Reliance की Current Market Price Rs.2,500 है जिसके हिसाबसे Reliance FUTSTK के 1 Lot में 250 शेयर्स के तकरीबन Rs.6,25,000 की अमाउंट हो जाती है मगर Cash Market के मुकाबले Future Market में सौदा करने के लिए पूरी अमाउंट ना देकर सिर्फ Initial Margin Pay कर के भी खरीदारी कर सकते है, इनिशियल मार्जिन FUTSTK पर अलग – अलग होता हैं
सूचकांकों में वायदा कारोबार और उनके लाभ :-
मार्केट इंडेक्स में Sensex और Nifty का समावेश होता है, इनमे सबसे ज्यादा ट्रेडिंग निफ्टी फ्यूचर्स में होता है आमतौर पर सीरीज ख़त्म हो जाने के दिन फ्यूचर्स और स्पॉट के भाव बराबर की स्थिति में आ जाते हैं हालाकि भारत में इंडेक्स फ्यूचर्स की डिलीवरी की सेटलमेंट नहीं होती है जबकि स्टॉक फ्यूचर्स की डिलीवरी की सेटलमेंट मुमकिन है
इंडेक्स फ्यूचर्स का सेटलमेंट हमेशां कैश सेगमेंट में ही होता है, इंडेक्स फ्यूचर्स की मूवमेंट की दिशा को नक्की करने में ज्यादातर टेक्निकल और फंडामेंटल की बड़ी भूमिका होती है
फ्यूचर्स इंडेक्स ट्रेडिंग के लाभ
अब बात करते है इनके कुछ फायदों की तो –
- इंडेक्स फ्यूचर्स को ट्रेक करना बहोत ही आसान होता हैं
- कैश मार्केट के मुकाबले इनमे काफी कम पैसो में भी बड़ा ट्रेड करना मुमकिन है क्यूंकि इंडेक्स फ्यूचर्स में मार्जिन का लेवल काफी कम होता है, जिसमे निफ्टी फ्यूचर्स का मार्जिन केवल 7 से 8 फीसदी तक होता है
- निफ्टी फ्यूचर्स के साथ ही आईटी इंडेक्स में भी काफी ट्रेड होता है और बैंक निफ्टी फ्यूचर्स में काफी वॉल्यूम देखने को मिलता हैं
- इन जैसे सभी प्रकार के फ्यूचर्स ट्रेड को एक पर्टिक्युलर Lot Size पर ही ट्रेडिंग की जाती हैं
वायदा स्टॉक क्या है ? :-
सामान्य शब्दों में कहे तो फ्यूचर सेगमेंट में ट्रेड होने वाले शेयरों को फ्यूचर्स स्टॉक कहा जाता हैं, फ्यूचर सेगमेंट में ट्रेड होने वाले सभी शेयरों की सूचि (लिस्ट) को एक्सचेंज तैयार करता हैं जिस सूचि को SEBI की पूर्ण मान्यता के बाद बाजार में फ्यूचर्स ट्रेड होने के लिए लिस्टेड किया जाता है
इस लिस्ट में सेबी की मान्यता प्राप्त करने के लिए आमतौर पर उस स्टॉक में कुछ गुण होने चाहिए जैसे की; अच्छा मार्केट कैप, वॉल्यूम और लिक्विडिटी इत्यादि जैसी बातो को ध्यान में रखते हुए एक सामान्य स्टॉक को फ्यूचर में ट्रेड करवाते हैं
कैश मार्केट के मुकाबले फ्यूचर्स में स्टॉक को कम मार्जिन में बड़ी पोजीशन को हासिल करना संभव है, मार्केट में फिलहाल लगभग 200 शेयर्स फ्यूचर में ट्रेड करते हैं
एफआईआई (foreign institutional investor) जेसे घरेलु संस्थागत निवेशक स्टॉक फ्यूचर्स में ज्यादा निवेश करना पसंद करते है, सभी स्टॉक की फ्यूचर की Lot Size यानि नक्की किये हुए शेयरों के पुरे एक ग्रुप को Lot कहा जाता है
उदाहरण के तौर पर Tata Steel में फ्यूचर के 1 Lot Size में 850 शेयर्स होते है जिनसे इनमे ट्रेडिंग के लिए कम से कम 1 Lot खरीदना अनिवार्य है
युतो फ्यूचर के सभी शेयरों की Lot Size अलग – अलग होती है जिनसे उनकी अमाउंट वैल्यू भी अलग हो जाती है यानि इसके कुछ फ्यूचर शेयरों की अमाउंट वैल्यू 5 लाख से 10 लाख तक की भी हो सकती है, फ्यूचर ट्रेडिंग में वॉल्यूम और लिक्विडिटी के चलते बड़े निवेशक इनमे ट्रेडिंग करने की रुचि दिखाते हैं
निष्कर्ष :-
तो दोस्तों हमने इस आर्टिकल (future trading in hindi) के माध्यम से क्या – क्या सिखा, पहले तो यह क्लीयर कर ले की यह टोपिक केवल फ्यूचर ट्रेडिंग क्या होती है उसे समझता है न की फ्यूचर्स सेगमेंट में ट्रेडिंग करने की सामग्री (जानकारीयों) को पूर्ण करता हैं इस मुद्दे को पूर्ण विस्तार से समझाने के लिए आपको दुसरे आर्टिकल में कूदना पड़ेंगा जिसकी लिंक आपको टॉप पैराग्राफ पर मिल जाएँगी तो फिलहाल हमारा यह टोपिक यही समाप्त होता हैं, धन्यवाद
फ्यूचर ट्रेडिंग क्या हैं?
स्टॉक मार्केट में भविष्य के तर्क के आधार पर एक पूर्व निर्धारित समय और साथ ही पूर्व निर्धारित मूल्य पर डेरीवेटिव को खरीदने और बेचने के लिए विश्वसनीयता के साथ एक समझोता करना होता है जिसमे फ्यूचर ट्रेडर्स यानि खरीदार और विक्रेता का यह दायित्व होता है की वे इस कॉन्ट्रेक्ट के आधारित मूल्य और समय पर इसे पूरा करे, इसमें पूर्व निर्धारित मूल्य को फ्यूचर्स प्राइस और पूर्व निर्धारित समय को डिलीवरी डेट कहा जाता हैं
फ्यूचर्स ट्रेडिंग का सेटलमेंट क्या हैं?
‘सेटलमेंट डेट’ यानि महीने के लास्ट थर्सडे को ‘फ्यूचर ट्रेडिंग’ की एक्सपायरी डेट होती हैं, यदि कोई ट्रेडर अपने फ्यूचर ट्रेड को एक्सपायरी डेट से पहले स्क्वेरअप नहीं कर पता है तो उसका वह फ्यूचर ट्रेड अगले महीने से कंटीन्यू रहता है यानि यदि उसके पुराने फ्यूचर ट्रेड में लोस है तो वो भी वही से कंटीन्यू होंगा और बात रही उसके पेनल्टी की तो वह आपके ब्रोकर के ऊपर डिपेंड करता है की उसने इसके लिए कितना पेनल्टी चार्ज नक्की किया हुआ हैं
फ्यूचर्स ट्रेडिंग का मार्जिन क्या हैं?
‘फ्यूचर ट्रेडिंग’ में स्टॉक एक्सचेंज के द्वारा लगाये गए मार्जिन को तय करना जरुरी होता है, फ्यूचर ट्रेडिंग पुरे महीने भर के लिए होने के कारन इसमें रोजाना दिनों के फायदे – नुकसान के हिसाब – किताब होते है, जिसमे नुकसान होने पर ट्रेडर को अपने ब्रोकर की नुकसानी की भरपाई करनी पड़ती है