Debt Fund Meaning In Hindi

Debt Fund Meaning In Hindi

debt fund meaning in hindi

हेल्लो दोस्तों आज हम फिर मिले है स्टॉक मार्केट के इस Fund World की दुनीया के एक फंड के साथ जिसे Debt Fund के नाम से जाना जाता हैं साथ ही इसे हिंदी में निधि ऋण (डेट फंड) भी कहा जाता हैं वैसे यह फंड्स भी Mutual Fund और ETF जैसे फंड्स की कैटेगरी में शामिल होता हैं और साथ ही Liquid Funds जैसे और भी कई फंड्स में ‘डेट फंड’ निवेश करता हैं तो चलिए आज हमें इस आर्टिकल debt fund meaning in hindi में Debt Fund से जुड़े आपके सभी सवालों के जवाब देनेवाले हैं यानि ‘डेट फंड’ को विस्तारपूर्वक समझनेवाले हैं तो बिना किसी देरी के चलिए शुरू करते हैं

Debt Fund क्या होता हैं :-

Debt Fund को दुसरे नामो के तौरपर क्रेडिट फंड या फिक्स्ड इनकम फंड के स्वरूप में भी जाना जाता हैं साथ ही यह फंड्स केवल फिक्स्ड इनकम वाले सिक्योरिटीज में ही निवेश करता हैं क्योंकि यह फंड्स अपने निवेशकों को Fixed Deposit इन्वेस्टमेंट का Alternative (वैकल्पिक) प्रदान करता हैं

यदि हम यह देखे की आखिरकार डेट फंड्स किन – किन सिक्योरिटीज में अपना Holding करता हैं तो Government of India – Bonds, CD, T-Bills, CP, NCD Bonds, ext. यह सभी प्रकार के निवेश प्लेटफार्म सरकार के आधीन होने से इन फंड्स में शोर्ट – टर्म के लिए निवेश करना लाभदायक होता हैं, डेट फंड के जरिये जिस किसी सिक्योरिटीज में फंड का निवेश किया जाता है उसका मिनिमम 65% हिस्सा केवल बांड्स और बैंक के फिक्स्ड डिपॉजिट में ही निवेश किया जाना चाहिए

वैसे डेट फंड में निवेश करने की बहोत सी कैटेगरी मोजूद हैं जिसको हम आगे विस्तार से समझेंगे, फिलहाल यदि हम यह समझें की सुरक्षा के नजरिये से डेट फंड इन्वेस्टमेंट कैसा है तो डेट फंड का मुख्य उदेश्य ही निवेशकों के निवेश की सुरक्षा और उन्हें लिक्विडिटी प्रदान करना हैं, लिक्विडिटी का सीधा सा मतलब किसी भी प्लेटफार्म से अपने इन्वेस्टमेंट को कितने कम समय में नकदी में परिवर्तित किया जाए यानि जितनी ज्यादा लिक्विडिटी उतना कम समय और जितनी कम लिक्विडिटी उतना ज्यादा समय लगता हैं

यदि हम डेट फंड में निवेश की बात करे तो यह केवल तभी मुमकिन होता है जब स्टॉक मार्केट एक स्थिर मूवमेंट फोलोअप कर रहा हों यानि जब स्टॉक मार्केट अस्थिर (Volatile) हो तब इक्विटी फंड्स में निवेश करना ज्यादा कारगर साबित होता हैं

डेट फंड निवेश अवधि

तो चलिए दोस्तों लगे हाथ डेट फंड्स में इन्वेस्टमेंट करने के लिए किन – किन समय अवधियों का इस्तेमाल किया जाता हैं

वैसे डेट फंड में भी शोर्ट – टर्म और लॉन्ग – टर्म के हिसाब से अलग-अलग समय अवधि में निवेश किया जा सकता हैं जिसमे 1 महीना, 3 महीने, 6 महीने और 1 साल तक के निवेश को शोर्ट – टर्म में गिना जायेंगा और 3 सालो, 5 सालो और 10 सालो तक के निवेश को लॉन्ग – टर्म में गिना जाता हैं

मगर इस टोपिक में हम डेट फंड्स के विशिष्ट अवधि फंड्स की बात करनेवाले हैं जिसके मुताबिक उनमे अलग – अलग फंड्स को शामिल किया गया हैं तो चलिए इन सभी Duration Funds को वन बाय वन समझते हैं

  • Low Duration Fund (कम अवधि फंड) :- इसमें सबसे पहले ‘रिटर्न’ के मुताबिक फंड्स 1. Franklin India (Regular) “Growth” 36.9%, 2. Franklin India (Direct) 17.2% and 3. Sundaram (Direct) 12.6% और अब ‘रेटिंग’ के मुताबिक फंड्स 1. Invesco India Treasury Advantage Fund (Regular) 5 Star, 2. DSP (Regular) 4 Star and 3. SBI Magnum (Regular) 4 Star
  • Short Duration Fund (लघु अवधि फंड)
  • Medium Duration Fund (मध्यम अवधि फंड)
  • Medium to Long Duration Fund (मध्यम से लंबी अवधि के फंड)
  • Dynamic Bond Fund (डायनेमिक बांड फंड)
  • Gilf Fund (गिल्ट फंड)
  • Corporate Bond Fund (कॉर्पोरेट बॉन्ड फंड)
  • Credit Risk Fund (क्रेडिट रिस्क फंड)
  • Banking & PSU Fund (बैंकिंग और पीएसयू फंड)
  • Ultra Short Duration Fund (अति लघु अवधि के फंड)
  • Liquid Fund (तरल निधि)
  • Money Market Fund (मुद्रा बाज़ार फंड)

उपरोक्त दिए गए सभी डेट फंड अवधि के फंड्स मेसे सबसे पहले फंड अवधि को 1 साल के मुताबिक Returns (रिटर्न) को 28 जुलाई 2022 (F&O का आखरी गुरुवार) और Rating (रेटिंग) को CRISIL के आधार पर तिन – तिन डेट फंड्स के नाम की सूचि को दिखाया गया है (कृपया इन फंड्स की इनफार्मेशन को अपने निवेश के लक्ष्यों को पूरा करने के लिए बिल्कुल ना करे क्योंकि यह फंड्स केवल जानकारी के लिए हैं न की इनमे निवेश करने के लिए)

डेट फंड और इक्विटी फंड के बिच अंतर :-

वैसे तो डेट फंड्स की फिक्स्ड डिपॉजिट के साथ तुलना करना बेहतर है मगर डेट फंड और इक्विटी फंड इन दोनों के बिच भी एक सामान्य कनेक्शन देखने को मिलता हैं और साथ ही निवेशकों के मन में भी यह सवाल जरुर उत्पन होता होंगा की आखिरकार इन दोनों फंड्स में से निवेश के लिए किन सिचुएशन में कोन सा फंड सही रहेंगा तो इसके लिए हम एक Table of Content की मदद से इन दोनों फंड्स की आपस में तुलना करेंगे और इसे समझेंगे तो चलिए इसे देखने हैं

अनुक्रमणिका Debt FundEquity Fund
अर्थडेट फंड एक म्यूच्यूअल फंड की कैटेगरी में आनेवाला फंड है जिसमे फिक्स्ड इनकम फंड की सिक्योरिटीज के तौरपर निवेश किया जाता हैंइक्विटी फंड भी म्यूच्यूअल फंड की कैटेगरी में शामिल एक फंड हैं जिसमे स्टॉक्स की सिक्योरिटीज में निवेश किया जाता हैं
धन की प्रकृतिडेट फंड में निवेश किए जानेवाले कैपिटल को गवर्नमेंट सिक्योरिटीज, बैंक के फिक्स्ड डिपॉजिट, गवर्नमेंट बांड्स, कॉर्पोरेट बांड्स आदि जैसे विभिन्न प्रकारों के अलग – अलग प्लेटफार्म पर निवेश किया जाता हैं  इक्विटी फंड में निवेश किए जानेवाले कैपिटल को ज्यादातर इक्विटी मार्केट से जुड़े इंस्ट्रूमेंट जैसे इक्विटी शेयर आदि जैसे सेगमेंट पर निवेश किया जाता हैं
जोखिम की मात्राआमतौर पर डेट फंड्स की रकम को फिक्स्ड रिटर्न देनेवाले बांड्स और सिक्योरिटीज में निवेश किए जाने से इस फंड में नुकसान होने का जोखिम काफी कम देखने को मिलता हैंवही इक्विटी फंड में ज्यादातर इक्विटी सेगमेंट से जुडी सिक्योरिटीज में ही निवेश करता हैं जो पूर्णरूप से स्टॉक मार्केट के जोखिम के आधीन होने से इसमें जोखिम की मात्रा ज्यादा देखने को मिलती हैं
निवेश पर रिटर्नडेट फंड में जोखिम का कम खतरा होनेसे निवेश के प्रति मिलनेवाला रिटर्न भी लिमिटेड ही होता हैं मगर विशेषज्ञों के मुताबिक बैंक के फिक्स्ड डिपॉजिट से डेट फंड में अच्छा प्रॉफिट कमाने की संभावना रहती हैं     अब जबकि इक्विटी फंड में जोखिम का खतरा ज्यादा है जीस लिहाज से इक्विटी फंड में निवेश के प्रति काफी अच्छा रिटर्न देखने को मिलता हैं आपने वह कहावत तो जरुर सुनी होंगी “रिस्क है तो इश्क हैं”
कारक का प्रभावडेट फंड की मूवमेंट पर मार्केट का ज्यादा दबाव नहीं देखने को मिलता हैं बल्कि RBI के द्वारा हुए बदलाव जैसे की; मुद्रास्फीति, टैक्स रेट और महंगाई इत्यादि से प्रभावित होता हैंइक्विटी फंड पूर्णरूप से मार्केट के आधीन होने से न केवल किसी एक देश बल्कि विश्वभर में होनेवाली घटनाओं का असर स्टॉक मार्केट पर तो पड़ता ही है जिसका इम्पेक्टइक्विटी फंड पर भी पड़ता हैं
शॉर्ट-टर्म / लॉन्ग-टर्मयदि हमारा गोल कम समय अवधि का है तो हमारे लिए डेट फंड एक बेहतर उपाय हो सकता हैं  मगर यदि हम ज्यादा समय अवधि के लिए निवेश करने का विचार कर रहे है तो इक्विटी फंड एक अच्छा ऑप्शन हो सकता हैं
लिक्विडिटीडेट फंड में निवेश के प्रति हमें लिक्विडिटी की कोई समस्या नहीं देखने को मिलती हैंइक्विटी फंड में आमतौर उन्ही स्टॉक्स पर निवेश किया जाता हैं जिसमे लिक्विडिटी की मात्रा अधिक हो मगर डेट फंड की तुलना में इस फंड में लिक्विडिटी की समस्या हो सकती हैं

पारंपरिक सेविंग खाते और फिक्स्ड डिपॉजिट की तुलना में डेट फंड :-

सेविंग अकाउंट (बचत खातों) या बैंक फिक्स्ड डिपॉजिट जैसे पारंपरिक बचत विधियों द्वारा दिए गए रिटर्न की तुलना में Debt Funds काफी अच्छा रिटर्न देने के साथ – साथ एक बढ़िया प्रदर्शन कर्ता भी हैं

हालके इस महगाई के दौर की बात करे तो RBI के साथ अन्य देशों के केन्द्रीय बैंकों को अपने ब्याजदरों में अबतक का उच्चतम बदलाव किया हैं यदि आपको इस टोपिक पर विस्तारपूर्वक जानकारी चाहिए तो हमारे इस आर्टिकल ब्याज दरें बढ़ने का क्या कारण है को Visit करना न भूले

तो इन सभी कारणों की वजह से बैंक के सेविंग अकाउंट में तो सिर्फ 3% से 5% तक का ही रिटर्न मिलना संभव हैं और यदि बैंक के फिक्स्ड डिपॉजिट की बात करे तो उसमे भी हमें डेट फंड जितना तो रिटर्न नहीं मिलता साथ ही इस फिक्स्ड इनकम डिपॉजिट के मुकाबले डेट फंड में हमें और भी कई बेनिफिट देखने को मिलते है जो निवेशकों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं तो चलिए डेट फंड और फिक्स्ड डिपॉजिट के बिच रहे सामान्य तफावत को समझते हैं

  • यदि हम जोखिम के बेस पर दोनों की तुलना करे तो दोनों निवेश प्लेटफार्म के एक समान रिजल्ट सामने आयेंगे क्योंकि दोनों ही इन्वेस्टमेंट प्लेटफार्म गवर्नमेंट मान्य सिक्योरिटीज में ही अपने फंड्स को इन्वेस्ट करते हैं जीस वजह से भले ही उसमे प्रॉफिट कम दिखे मगर नुकसान जाने की संभावना न के बराबर होती हैं
  • यदि हम Diversification की बात करे तो यह एकदम स्पस्ट है की फिक्स्ड डिपॉजिट के मुकाबले डेट फंड में हमें कई विविधता वाले प्लेटफार्म पर निवेश का लाभ मिलता हैं वही फिक्स्ड डिपॉजिट की बात करे तो इसमें लिमिटेड प्लेटफार्म पर अपने कैपिटल को इन्वेस्ट किया जाता है क्योंकि यह एक फिक्स्ड इनकम डिपॉजिट है जिसकी वजह से इसके कुछ रूल्स रेगुलेशन होते हैं
  • यदि हम कन्ट्रोल की बात करे तो डेट फंड पूर्णरूप से स्टॉक मार्केट के आधीन होने से इसका पूरा कन्ट्रोल SEBI के हाथ में होता हैं वही फिक्स्ड डिपॉजिट बैंकिंग कार्यो में आने से इसका पूरा कन्ट्रोल RBI के हाथ में होता हैं
  • यदि लॉक इन पीरियड की बात करे तो डेट फंड में किसी प्रकार की कोई समय अवधि नहीं होती है यानि इसमें अवधि से पहले भी अपने निवेश को निकाल सकते हैं मगर फिक्स्ड डिपॉजिट में यह मुमकिन नहीं है क्योंकि इस प्लान के नाम के मुताबिक यदि आप अपने निवेश को उसकी पूर्ण तिथि से पहले रिडीम करना चाहते हैं तो उसके लिए आपको उसका सुनिश्चित शुल्क चुकाना पड़ेंगा उसके प्रश्चात ही आप अपने निवेश को वापिस प्राप्त कर सकते हैं

निष्कर्ष :-

तो दोस्तों आपने इस आर्टिकल के माध्यम से क्या – क्या सिखा तो डेट फंड भी म्यूच्यूअल फंड का ही एक भाग होता हैं जिसमे आप डेट फंड के जरिये भी परोक्ष रूप से म्यूच्यूअल फंड्स में निवेश कर सकते हैं साथ ही डेट फंड में उनकी समय अवधि के मुताबिक उनके सभी फंड्स अवधियों को विस्तार से समझां, डेट फंड और इक्विटी फंड के बिच के सामान्य अंतर को समझां और आखिर में पारंपरिक बचत खातों और सावधि जमाओं की तुलना में डेट फंड कैसे बेस्ट है इसको भी जाना इसी के साथ हमारा यह टोपिक यही समाप्त होता हैं, धन्यवाद

डेट फंड क्या होता हैं ?

डेट फंड एक म्यूच्यूअल फंड की कैटेगरी में आनेवाला फंड है जिसमे फिक्स्ड इनकम फंड की सिक्योरिटीज के तौरपर निवेश किया जाता हैं

इक्विटी और डेट में क्या अंतर है ?

डेट फंड में निवेश किए जानेवाले कैपिटल को गवर्नमेंट सिक्योरिटीज, बैंक के फिक्स्ड डिपॉजिट, गवर्नमेंट बांड्स, कॉर्पोरेट बांड्स आदि जैसे विभिन्न प्रकारों के अलग – अलग प्लेटफार्म पर निवेश किया जाता हैं जबकि
इक्विटी फंड में निवेश किए जानेवाले कैपिटल को ज्यादातर इक्विटी मार्केट से जुड़े इंस्ट्रूमेंट जैसे इक्विटी शेयर आदि जैसे सेगमेंट पर निवेश किया जाता हैं

डेट फंड में किन अवधियों में निवेश किया जाता हैं ?

डेट फंड में भी शोर्ट – टर्म और लॉन्ग – टर्म के हिसाब से अलग-अलग समय अवधि में निवेश किया जा सकता हैं जिसमे 1 महीना, 3 महीने, 6 महीने और 1 साल तक के निवेश को शोर्ट – टर्म में गिना जायेंगा और 3 सालो, 5 सालो और 10 सालो तक के निवेश को लॉन्ग – टर्म में गिना जाता हैं

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