Difference Between Intraday And Delivery

Difference Between Intraday And Delivery

difference between intraday and delivery

हेल्लो दोस्तों स्टॉक मार्केट में मुख्य दो प्रकार की ट्रेडिंग की जाती हैं जिसमें Intraday और Delivery Trading को शामिल किया गया हैं आज हम इन दोनों ट्रेडिंग को पूर्ण विस्तार से समजने वालें हैं और साथ ही इन दोनों ट्रेडिंग सिस्टम को SEBI के मार्जिन नियमों से साथ तुलना करके उनके पॉजिटिव और नेगेटिव पॉइंट्स को समजेंगे तो चलिए शुरू करते हैं (difference between intraday and delivery)

Intraday और Delivery Trading क्या हैं :-

‘इंट्राडे और डिलीवरी ट्रेडिंग’ यह दोनों ही स्टॉक मार्केट इन्वेस्टमेंट (कारोबार) में मुख्य भूमिका निभाती है इनके जरिये ही शेयर ट्रेडिंग की जाती है

पहले इस ‘Trading’ शब्द को जान लेते है तो ट्रेडिंग यानि सरल भाषामे शेयर पर होने वाली खरीद – बिक्री जिसे मार्केट की भाषामे शेयर (Stock) ट्रेडिंग कहते है

एक – एक करके इन दोनों की व्याख्या को समजते है पहले ‘इंट्राडे’ का मतलब समजते है इंट्राडे यानि दिनके, बाजार के शुरुआती समय से लेकर बाजार के अंतिम समय तक दिन के सभी सौदों की पोसीशन को स्क्वेरअप यानि सुलटा लिया जाता है जिसे इंट्राडे किया हुआ माना जाता है

इसी तरह अब आते है ‘डिलीवरी’ की तो इसका मतलब होता है स्टॉक्स की डिलीवरी लेना यानि बाजार के समयांतर के दौरान किये हुए सौदे को स्क्वेरअप ना करते हुए आगे के दिनों में लेजाना जिसे शेयर्स की डिलीवरी ली हुई मानी जाती हैं 

अब जबकि हमने इन दोनों की सामान्य व्याख्या को समज लिया है तो अब बारी है इसे पुरे विस्तार से समजने की तो चलिए शुरू करते है

Intraday Trading

‘इंट्राडे ट्रेडिंग’ जिसमे स्टॉक मार्केट शुरू होता है 9 बजके 15 मिनट पर, तब से लेकर जब बाजार बंध होता है 3 बजके 30 मिनट पर, तब तक हमने जो भी ट्रेडिंग की है वह स्क्वेरअप हो जानी चाहिए

यानि जिन – जिन कंपनीयों के शेयरों में खरीदी हुई है उसे बाजार खत्म होने से पहले बेचना पड़ेंगा और यदि आपने Short Selling (बिना शेयर की बिकवाली) की है फिर तो आपको उसे जरुर खरीदना पड़ेंगा अन्यथा शेयर ना होनेके बावजूद बिकवाली करने के जुर्म में 20 % तक की पेनल्टी (जुर्माना) लग सकता हैं इस प्रकार की ट्रेडिंग को ‘इंट्राडे ट्रेडिंग’ कहा जाता हैं

इंट्राडे ट्रेडिंग करने के लिए सबसे पहले ट्रेडर को मार्केट शुरू होने से पहले अपनी ट्रेडिंग स्ट्रेटेजि बना लेनी चाहिए यानि अपने डेस्कटॉप या मोबाइल में Stock Watch की एप्लीकेशन के जरिये Top Gainers and Top Losers की लिस्ट को अच्छी तरह से देख लेना चाहिए ताकि हम अपने सभी इंट्राडे स्टॉक्स को चुन सके और अपनी इंट्राडे ट्रेडिंग की रणनीति बना सके

इंट्राडे ट्रेडिंग में हम चाहे उतने शेयरों में ट्रेडिंग कर सकते है और एक ही शेयर में दुबारा भी ट्रेडिंग कर सकते है

एक बात को खास ध्यान में रखे की इंट्राडे ट्रेडिंग कभी इन्वेस्टमेंट नहीं होता है क्योंकि इन्वेस्टमेंट ट्रेडिंग उसे कहा जाता है जिसमे हम लम्बी अवधि के लिए निवेश करते है

अब जानते है इन ‘इंट्राडे ट्रेडिंग’ सिस्टम के पॉइंट्स को जिसे हालके SEBI के मार्जिन रूल्स के मुताबिक पॉजिटिव और नेगेटिव पॉइंट्स के रूप में ढाला गया है

इंट्राडे ट्रेडिंग के पॉजिटिव पॉइंट्स
  • आमतोर पर निवेशक को ऐसे शेयरों में ट्रेडिंग करने का मोका मिलता है जो दिनके Top Gainers और Top Losers की लिस्ट में आते है क्यूंकि इंट्राडे ट्रेडिंग का एक नियम है की ज्यादा मूवमेंट वाले शेयरों में ही ट्रेडिंग किया जाता है ताकि कम समय में ज्यादा मुनाफा कमा सकते है यह पॉजिटिव पॉइंट है
  • इंट्राडे ट्रेडिंग करने के लिए एक विशेष सेवा प्रदान की जाती है जिसे Stop-Loss के नाम से जाना जाता है इसका प्रयोग सभी ट्रेडिंग में होता है, तो स्टॉपलॉस जिसके जरिये ख़रीदे गए शेयर के बाद उसके बेचने की लिमिट निवेशक के नुकसानी करने की प्राइस पर स्टॉपलॉस की लिमिट रख दी जाती है ताकि अगर उस शेयर में गिरावट आये भी तो लोस उतना ही होंगा, इसमें यह पॉजिटिव पॉइंट है
  • इसमेँ कम केपिटल (राशी) के साथ भी ज्यादा मुनाफा बना सकते है, इसके लिए निवेशक को शेयर बाजार की पूर्णरूप से जानकारी होता अनिवार्य है साथी उसे इंट्राडे ट्रेडिंग का ज्यादा तजुर्बा होना चाहिए तभी वो अपनी सूज बुज से समय – समय पर शेयरों में ट्रेडिंग कर सकता है, यह पॉजिटिव पॉइंट है 
  • इंट्राडे ट्रेडिंग मेँ बाजार समाप्त होने से पहले सिक्योरिटीज (शेयर) को स्क्वेरअप यानि सुलटा लिया जाता है उसी कारन इसमें जोखिम सिर्फ उसी दिन के भीतर ही सीमीत रहता है, यह पॉजिटिव पॉइंट है 
  • ब्रोकरेज चार्ज डिलिवरी बेस ट्रेडिंग से तिनसे से चार गुना कम होता है यानि इंट्राडे बेस ट्रेडिंग में लगभग 8 से 10 पैसे तक की ब्रोकरेज चार्ज हो सकती हैं, सभी अलग – अलग ब्रोकर्स के ब्रोकरेज चार्जिस भी अलग – अलग होते है, साथ ही इसमें ब्रोकरेज चार्ज सिर्फ एक साइड ही लगता है यानि खरीदी या बिकवाली में से जिसकी प्राइस ज्यादा होंगी ब्रोकरेज चार्ज सिर्फ उसी में लगेंग इसी प्रकार बाकीके टैक्सीस और चार्जिस लगेंगे, तो इंट्राडे ट्रेडिंग का यह पॉजिटिव पॉइंट है
इंट्राडे ट्रेडिंग के नेगेटिव पॉइंट्स
  • इंट्राडे ट्रेडिंग में कम पैसों में ज्यादा काम होने का जरिया है, हालाकि नए मार्जिन नियम के अनुसार खरीदी और बिकवाली दोनों में मार्जिन की आवश्यकता होने से एक तो Trading Account में पैसे जमा होने चाहिये या शेयर प्लेजमेंट में होने चाहिये तभी ट्रेडिंग कर सकते है पुराने रूल्स के मुताबिक यह एक नेगेटिव पॉइंट हैं
  • यह ट्रेडिंग ज्यादातर वह ट्रेडर्स करते है जिन्हें इन्वेस्टमेंट से दूर – दूर तक कोई सबंध नहीं है क्यूंकि ऐसे ट्रेडर्स शेयर बाजार को एक लॉन्गटर्म इन्वेस्टमेंट के नजरिये से नहीं बल्कि जुआ खेलने की द्रस्टी से देखते है जिनसे ऐसे निवेशक खुदके लिए और दुसरोके लिए जोखमी साबित हो सकते है यह एक नेगेटिव पॉइंट है
  • आजके इस नए मार्जिन नियम के अंतर्गत इंट्राडे ट्रेडिंग करना काफी मुस्किल हो गया है ऐसा इस लिए है क्यूंकि अबसे इंट्राडे ट्रेडिंग करने के लिए पुरे मार्जिन रूल्स को फोलोअप करना बेहद जरुरी हो चूका है, जिसमे पहले तो हमें जिस कंपनी के शेयर में इंट्राडे करना है उसका उस दिन का मार्जिन कितना है वह पता लगाना पड़ेंगा अगर उसके मुताबिक आपके Trading Account में मार्जिन जमा है फिर तो आप इंट्राडे ट्रेडिंग कर सकते है मगर ऐसा नहीं है तो आपको पहले उसका इंतजाम करना पड़ेंगा यानि आपको पहले से ही इंट्राडे ट्रेडिंग की पूरी तैयारी करनी पड़ेंगी जो मेरे हिसाबसे एक नेगेटिव पॉइंट है 

Delivery Trading

अब आगे बढ़ते है ‘डिलीवरी ट्रेडिंग’ पर जिसमे शेयर बाजार के समय के दौरान किसी भी शेयर का स्क्वेरअप नहीं होता है इसमें आमतोर पर सिर्फ दो बाते ही होती है एक तो नए शेयर की खरीदी करना और दूसरा पुराने पड़े यानि लोंगटर्म इन्वेस्टमेंट के शेयर की बिकवाली करना

इन दोनों ही पोसीशन में यातो शेयर की डिलीवरी ली (खरीदी) जाती है या फिर शेयर की डिलीवरी दी (बिकवाली) जाती है

शेयर की डिलीवरी (खरीदी) आमतोर पर एक दिन से ज्यादा समय के लिए ली जाती है और वैसे भी T+2 के रूल्स के मुताबिक आज ख़रीदे हुए शेयर्स को तीसरे दिन यानि पेआउट के दिन से बाकि किसी भी दिन उन शेयर्स को बेच सकते है, इस प्रकार के ट्रेडिंग सिस्टम को ‘डिलीवरी ट्रेडिंग’ कहा जाता हैं

डिलीवरी ट्रेडिंग के पॉजिटिव पॉइंट्स
  • डिलीवरी ट्रेडिंग में जोखिम का प्रमाण काफी कम देखने को मिलता है क्यूंकि निवेशक को ज्यादा मुनाफे का कोई लालच नहीं होता वह सिर्फ अपने निवेश को सुरक्षित रखना चाहता है यह एक अहम पॉजिटिव पॉइंट है
  • डिलिवरी ट्रेडिंग को लम्बी अवधि का निवेश भी कहा जाता है जिसके कारन निवेशक अच्छी कमाय करने वाली कंपनीयों के शेयरों में अपनी राशी को लम्बे समय के लिए इन्वेस्ट करता है जिसमे ज्यादातर कंपनीयां अच्छा डिविडेंड देती है जो उसके निवेश के ब्याज की कमी को पूरा करते है यह भी एक अहम पॉजिटिव पॉइंट है
  • इस ट्रेडिंग में निवेशक के पास समय की बिलकुल कमी नहीं होती है वह चाहें तब अपने शेयर को बेच सकता है ऐसा इसलिए है क्यूंकि डिलिवरी बेस ट्रेडर्स ने अपने ट्रेडिंग की राशी को पहले से ही अपने Trading Account में जमा रखा हुआ होता है जसके कारन उसके ऊपर किसी प्रकार का कोई बोज नहीं होता जिसके बदोलत अगर उसके शेयर में नुकसानी भी होती है तभी वो अपने शेयर में प्रॉफिट आने तक उस शेयर में बना रेह सकता है, यह इसका एक पॉजिटिव पॉइंट है 
  • डिलिवरी ट्रेडिंग में भले ही शेयर की मूवमेंट धीमी हो मगर निवेशक को उस लॉन्गटर्म इन्वेस्टमेंट के शेयरों में दुसरे बहोत से लाभ मिलते है, जैसे की; शेयर पर मिलने वाले डिविडेंड, शेयर बोनस, शेयर के राईट इश्यु और शेयर बढ़ने पर अतिरिक्त लाभ कमाने का भी मोका मिलता है, तो यह एक पॉजिटिव पॉइंट है
डिलीवरी ट्रेडिंग के नेगेटिव पॉइंट्स
  • डिलिवरी ट्रेडिंग में ख़रीदे गए शेयर्स को दिनों में, महीनों में या कुछ सालों के हिसाब से उसका आयोजन किया जाता है इस वजह से लम्बे समय तक बाजार का जोखिम बना रहता है, यह एक नेगेटिव पॉइंट है
  • डिलिवरी ट्रेडिंग के ब्रोकरेज चार्जिस में जेसा की हमने कहा इंट्राडे ट्रेडिंग से तिनसे चार गुना ज्यादा होता है यानि डिलिवरी बेस ट्रेडिंग में लगभग 30 से 50 पैसे तक की ब्रोकरेज चार्ज हो सकती है साथ ही इसमें खरीदी और बिकवाली दोनों तरफ ब्रोकरेज चार्ज लगते है क्यूंकि इसमें एक दिनसे ज्यादा का समय लगता है जिसका सेटलमेंट भी अलग – अलग होता है जिसके कारन इसमें खरीदी और बिक्री दोनों समय ब्रोकरेज चार्ज चुकाना पड़ता है, मेरे हिसाबसे इसे Exceptional केस में गिना जाता है और साथ ही इसे नेगेटिव पॉइंट में भी शामिल किया जा सकता हैं
डिलीवरी ट्रेडिंग में CNC क्या हैं

कही सारे ट्रेडर्स का यह सवाल होता है की क्या हम CNC (Cash and Carry) यानि डिलीवरी पोजीशन पर इंट्राडे ट्रेडिंग कर सकते है या नहीं, तो यह एक प्रकार का ऑर्डर टाइप है जिसका प्रयोग डिलीवरी आधारित ट्रेडिंग के लिए किया जाता है

यदि आप किसी स्टॉक को खरीदना चाहते है और इसे इंट्राडे ट्रेडिंग के लिए नहीं बल्कि T – Day से अधिक समय के लिए रखना चाहते है, तो आप CNC ट्रेडिंग प्रकार के जरिये कर सकते है

ज़ेरोधा ब्रोकरेज फ्री डिलीवरी ट्रेडिंग की पेशकश करता है जिसका मतलब है कि सभी CNC ऑर्डर पर ब्रोकरेज मुक्त है, स्टॉक मार्केट के सभी अलग – अलग प्लेटफार्म के स्टॉक्स में इंट्राडे ट्रेडिंग भी अलग – अलग सिस्टम से होती है

शेयर बाजार में लिस्टेड सभी कंपनीयों के शेयरों में केवल T Group के शेयरों में ही इंट्राडे ट्रेडिंग नहीं की जा सकती है इसके अलावा बाकि सभी Group के शेयरों में इंट्राडे ट्रेडिंग करना मुमकिन हैं

SEBI New Trading Rules :-

सच कहे तो इस न्यू मार्जिन रूल्स की वजह से इंट्राडे ट्रेडिंग में काफी गिरावट देखने को मिली है क्यूंकि शेयर के मार्जिन नियम बेहद ही कठोर है

यदि आपको SEBI के न्यू मार्जिन रूल्स के बारेंमे नहीं पता है तो में आपको एक लिंक देता हु जिसके जरिये आप हमारे उस आर्टिकल को आसानी से समज सकते है – “SEBI New Margin Rules In Hindi” इस नियम का पालन ना करते ही सीधी पेनल्टी लग जाती है और वो भी ब्रोकर और क्लाइंट दोनों को जिनसे अगर शेयर बाजार में निवेश करना है तो इस नियम का पालन करना अनिवार्य है

अगर इस मार्जिन नियम से पहले की बात करे तो किसी भी शेयर में इंट्राडे बड़ी आसानी से हो जाता था साथ ही कंपनीयों के शेयरों में भी काफी कारोबार (वॉल्यूम) होता दिखता था जिनसे शेयरों में काफी मूवमेंट देखने को मिलती थी

अब शेयरों में उतना वॉल्यूम नहीं देखने को मिलता है मगर शेयरों की मूवमेंट अभी भी उतनी ही है तो अभी इंट्राडे ट्रेडिंग को समजना उतना ही जरुरी है जितना की पिछले दो साल पहले था

निष्कर्ष :-

तो दोस्तों हमनें इस आर्टिकल (difference between intraday and delivery) में स्टॉक मार्केट के दो अहम ट्रेडिंग Types – Intraday और Delivery Trading के बारेंमे जाना जिसमें यह दोनों क्या हैं और इनकें द्वारा स्टॉक मार्केट में किस प्रकार ट्रेडिंग होती है यह जाना साथ ही सेबी के नए मार्जिन नियमों को ध्यान में रखते हुए इन दोनोँ में किस प्रकार ट्रेडिंग की जा सकती हैं उन दोनों के पॉजिटिव और नेगेटिव पॉइंट्स को देखा, यहीं पर हमारा यह टोपिक समाप्त होता हैं  

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Hello friends, currently I am working in the stock market operating as well as blogging through this wonderful website.

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