Stop Loss Kaise Lagaye

Stop Loss Kaise Lagaye

stop loss kaise lagaye

हेल्लो दोस्तों आज हम इस टोपिक में Stop-Loss Trading Strategy को समजने वाले हैं वैसे यदि आपको Stop-Loss क्या होता हैं यह नहीं पता तो उसको हमारें दुसरे आर्टिकल की मदद से समज सकते हैं फिलहाल स्टॉक मार्केट में इंट्राडे बेस ट्रेडिंग में स्टॉप-लोस ट्रेडिंग रणनीति से नुकसान को कैसे कम किया जा सकता हैं साथ ही बढ़ते प्रॉफिट को और कैसे बढ़ा सकते हैं, इस ट्रेडिंग रणनीति को डिलीवरी बेस ट्रेडिंग में कैसे इस्तेमाल कर सकते हैं इन सभी मुद्दों को इसके उदाहरण के साथ समजेंगे और साथ ही स्टॉप-लोस ट्रेडिंग की कितनी रणनीतियां होती हैं उन सभी को विस्तारपूर्वक समजेंगे तो चलिए शुरू करते हैं (stop loss kaise lagaye)

Stop – Loss Trading क्या हैं :-

स्टॉप-लोस ट्रेडिंग की रणनीतियों को समजने से पहले हमें स्टॉप-लोस ट्रेडिंग को समजना पड़ेंगा तो पहले तो यह कोई ट्रेडिंग प्लेटफार्म नहीं बल्कि ट्रेडिंग सिस्टम हैं जिसकें जरिये हम हमारें ट्रेडिंग को और बेहतर तरीके से कर सकते है

स्टॉप-लोस ट्रेडिंग का मतलब वह ट्रेडिंग सिस्टम हैं जिसकी मदद से हम हमारें ट्रेडिंग में होनेवाली नुकसानी को कम कर सकते है जिसका इस्तेमाल केवल इंट्राडे बेस ट्रेडिंग पर ही नहीं बल्कि डिलीवरी बेस ट्रेडिंग में भी किया जाता है

साथ ही स्टॉप-लोस न केवल हमारें लोस को कन्ट्रोल करता है बल्कि प्रॉफिट में लम्बे समय के लिए खड़े रहने के लिए भी बेहद उपयोगी माना जाता हैं जिस ट्रेडिंग रणनीति को स्टॉप-लोस ट्रेडिंग के नाम से जाना जाता हैं

Stop – Loss Trading की रणनीतियां :-

आमतौर पर BSE/NSE Cash Market में दो प्रकारों से ट्रेडिंग की जाती हैं एक इंट्राडे बेस ट्रेडिंग और दूसरी डिलीवरी बेस ट्रेडिंग, इन दोनों में स्टॉप-लोस की मदद से ट्रेडिंग कैसे की जाती हैं यह समजते हैं

वैसे तो स्टॉप-लोस ट्रेडिंग का ज्यादा इस्तेमाल इंट्राडे बेस ट्रेडिंग में ही किया जाता हैं मगर कई ट्रेडर्स को यह पता ही नहीं होता की वह अपने Demat Account में पड़े शेयरों को भी स्टॉप-लोस की मदद से बेच सकते हैं जिसका डिलीवरी बेस ट्रेडिंग का वही मतलब होता है तो चलिए इन दोनों प्रकारों को उदाहरण के साथ समजते हैं

इंट्राडे बेस स्टॉप-लोस ट्रेडिंग

यह ट्रेडिंग स्ट्रेटेजि कोई नई नहीं है कई सारे ट्रेडर्स अपने रोजाना इंट्राडे ट्रेडिंग में इसका इस्तेमाल करते हैं तो चलिए पहले इसकी स्ट्रेटेजि को समज लेते है की आखिरकार यह ट्रेडिंग कैसे की जाती हैं

इंट्राडे बेस ट्रेडिंग करने के भी तरीके होते हैं एक तो नॉर्मल तरीका पहले स्टॉक ख़रीदा और मार्केट क्लोजिंग से पहले बेच दिया और दूसरा तरीका इनसे उल्टा है पहले स्टॉक बेचा जाता है और फिर मार्केट खत्म होने से पहले वापिस खरीद लिया जाता हैं

अब इस टोपिक में हम ज्यादा डीप में नहीं जाएंगें हम केवल इन दोनों तरीको से स्टॉप-लोस ट्रेडिंग कैसे की जाती है इसको उदाहरण के साथ समजते हैं

स्टॉप-लोस ट्रेडिंग के पहले तरीके का उदाहरण

इंट्राडे बेस स्टॉप-लोस ट्रेडिंग करने का पहला तरीका जिसे उदाहरण से समजते है मानलीजिये AWL (Adani Wilmar Limited) जिस स्टॉक में हाल काफी मूवमेंट देखने को मिलती है जिनसे आगे के सभी उदाहरणों को इसी स्टॉक के Example से समजेंगे ताकि आपको समजने में आसानी हों

इस स्टॉक का फायदा इंट्राडे ट्रेडिंग करनेवाले ट्रेडर्स तो लेंगे ही जिसका एक कारन इसका T – Group में ना होना भी है तभी हम इसके 100 शेयर Rs.550 में खरीद लेते है

अब इसकी Circuit ब्रेकर्स देखे तो Rs.520 To Rs.580 पर हैं अब यहाँ पर हम जानेंगे की स्टॉप-लोस कैसे और किस स्ट्रेटेजि से लगाया जाता है

तो अब हमारी खरीद कीमत से दोनों सर्किटे Rs.30 के फासले पर है जिनसे हम इसको सर्किट ब्रेकर आनेके उदाहरण से ही समजेंगे

तो हमने स्टॉक की खरीदारी की है जिनसे हमें स्टॉक को बेचने का स्टॉप-लोस लगाना पड़ेंगा जिसकी प्राइसिंग को हमारी खरीद कीमत से पीछें की ओर से Lower Circuit तक की रख सकते हैं (Upper and Lower Circuit

अब इसकी कीमतों को पसंद करने में हमें एक सामान्य स्ट्रेटेजि का इस्तेमाल करना पड़ेंगा और वो ये की हमें खुदसे सवाल करना पड़ेंगा की इस ट्रेड में मैं कहा तक की नुकसानी कर सकता हु यानि Rs.500 या Rs.1,000 या Rs.1,500 जिसके मुताबिक हम हमारी स्टॉप-लोस प्राइस को निर्धारित कर सकते हैं

जिसके लिए हम हमारी स्टॉप-लोस की प्राइस को Rs.545 या Rs.540 या Rs.535 तक सेट कर सकते हैं यदि मार्केट क्लोजिंग तक वह प्राइस आती हैं तो हमारा स्टॉप-लोस ट्रिगर हो जायेंगा

यानि हमारी स्टॉप-लोस की लिमिट पास हो जाएँगी जिनसे यदि उस स्टॉक में और गिरावट आती भी है तो हमें उनसे ज्यादा लोस नहीं होंगा तो यह इंट्राडे बेस स्टॉप-लोस ट्रेडिंग की हमारी पहली तकनीक हैं तो चलिए इसके दुसरे तरीके को भी उदाहरण से समजते हैं 

स्टॉप-लोस ट्रेडिंग के दूसरें तरीके का उदाहरण

इंट्राडे बेस स्टॉप-लोस ट्रेडिंग करने का यह दूसरा तरीका है जिसे उदाहरण के साथ समजते है मानलीजिये AWL स्टॉक को Short Selling के जरिये 100 शेयर Rs.550 में बेच देते है

अब इसकी सर्किट उपरोक्त उदाहरण के मुताबिक ही हैं तो अब हमने स्टॉक की बिकवाली की है जिनसे हमें स्टॉक को खरीदने का स्टॉप-लोस लगाना पड़ेंगा

जिसके लिए इसकी प्राइसिंग को हमारी बिक्री कीमत से आगें की ओर से Upper Circuit तक की रख सकते हैं जिसको ऊपर दी गई सर्किट ब्रेकर्स की रेंज मेसे पसंद कर सकते हैं   

इस सिचुएशन में स्टॉप-लोस क्यों जरुरी हैं 

अब इस सिचुएशन में स्टॉप-लोस लगाना बेहद जरूरी हो जायेंगा इसको ऊपर दिए गए तरीके से तुलना करके समजते हैं तो उसमें हमनें तो नॉर्मल इंट्राडे ट्रेडिंग किया है जिनसे यदि हम स्टॉप-लोस ना लगाए तो भी इतना फर्क नहीं पड़ता है क्योंकि वह हमारी खरीदारी है जिनसे यदि Lower Circuit लग जाती है तो उस स्टॉक की डिलीवरी उतार सकते है

मगर ऐसा करना नहीं चाहिए इंट्राडे करने के लिए किये गए सौदे को हमेशा निपटा देना चाहिए क्योंकि इंट्राडे ट्रेडिंग के शेयरों पर हम कभी एनालिसिस नहीं करते क्युकी इसके लिए हमें केवल मूवमेंट चाहिए

मगर यदि हमने शोर्ट सेल्लिंग की है तो स्टॉक को मार्केट क्लोजिंग से पहले खरीदना अनिवार्य हो जाता हैं जिस सिक्योरिटी को ध्यान में रखते हुए इस कैश में हमें स्टॉप-लोस लगाना बेहद जरुरी हो जाता हैं

डिलीवरी बेस स्टॉप-लोस ट्रेडिंग

इस स्टॉप-लोस ट्रेडिंग स्ट्रेटेजि को ज्यादा ट्रेडर्स उपयोग में नहीं लेते है क्योंकि उनकी विचार श्रेणी के मुताबिक वे स्टॉप-लोस लगाने के बजाय लिमिट लगाना ज्यादा पसंद करते हैं

डिलीवरी बेस ट्रेडिंग का पॉइंट

पहले डिलीवरी बेस ट्रेडिंग के मुद्दे को समज लेते है इस सिचुएशन को हमारे डिमेट खाते में पड़े पुराने शेयरों को स्टॉप-लोस ट्रेडिंग स्ट्रेटेजि से कैसे बेच सकते हैं

तो इसपर कई लोगों के मन में यह सवाल आया होंगा की डिलीवरी वाले शेयरों को बेचने के लिए स्टॉप-लोस लगाने के बजाय CMP से Upper Circuit तक किसी भी प्राइस पर बिकवाली की लिमिट सेट कर सकते हैं फिर इस डिलीवरी बेस बिकवाली ट्रेडिंग के लिए स्टॉप-लोस क्यों लगाया जाता हैं ? इसका एक सिम्पल सा जवाब है प्रॉफिट को बढ़ाने के लिए या लोस को कम करने के लिए

इस सिचुएशन में प्रॉफिट और लोस 

अब इस सिचुएशन में भी हमारे सामने दो बातें आएँगी एक तो उस स्टॉक में प्रॉफिट हो रहा हैं या दूसरा वह स्टॉक पहले से ही लोस में हैं तो चलिए इन दोनों के सिम्पल उदाहरणों को समजते हैं

स्टॉक के प्रॉफिट में स्टॉप-लोस 

प्रॉफिट में होने से भी हम यदि चाहेंगे की प्राइस और ऊपर जाए जिसके लिए हम स्टॉक बेचने का स्टॉप-लोस लगाएंगे अब आप कहेंगे की बिकवाली का स्टॉप-लोस तो Lower Circuit की ओर लगाया जाता हैं यानि CMP से कम कीमत पर जिसमे कीमतें और कम होंगी मगर इस सिचुएशन में मार्केट क्लोजिंग के Spending Time तक उस स्टॉक के Up मूवमेंट का इंतज़ार कर सकते हैं

स्टॉक के लोस में स्टॉप-लोस

अब स्टॉक लोस में है फिर तो स्टॉप-लोस लगाना जाहिर सी बात हैं जिनसे हम हमारें उस स्टॉक की नुकसानी को और कम कर सकें और शायद क्या पता लोस मेसे प्रॉफिट में भी आ सकते हैं                   

निष्कर्ष :-

तो दोस्तों स्टॉप-लोस ट्रेडिंग की रणनीतियों वाले इस टोपिक (stop loss kaise lagaye) में आपने क्या – क्या सिखा तो सबसे पहले स्टॉप-लोस ट्रेडिंग की सामान्य बातोँ को जाना उसके बाद स्टॉप-लोस ट्रेडिंग की रणनीतियों को उनके उदाहरणों के साथ समजा जिसमें स्टॉप-लोस ट्रेडिंग के प्रकारों को भी उनकें उदाहरणों से समजा तो यह हमारा टोपिक यही समाप्त होता हैं, धन्यवाद

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Hello friends, currently I am working in the stock market operating as well as blogging through this wonderful website.

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