Assets And Liabilities Meaning In Hindi

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Assets And Liabilities Meaning In Hindi

assets and liabilities meaning in hindi

Assets यानि (संपत्ति) और Liabilities यानि (देयताएं), इसे ओर कई नामो से जाना जाता हैं, परिसंपत्तियाँ और देनदारियाँ लेखांकन और वित्त में मौलिक अवधारणाएँ हैं जो व्यक्तियों, व्यवसायों और संगठनों के वित्तीय स्वास्थ्य और स्थिति का आकलन करने में केंद्रीय भूमिका निभाती हैं, वे एक बैलेंस शीट के निर्माण खंड हैं, जो किसी संस्था की वित्तीय स्थिति का मूल्यांकन करने के लिए उपयोग किए जाने वाले प्रमुख वित्तीय विवरणों में से एक है

परिसंपत्तियाँ वे हैं जो एक संस्था का स्वामित्व या नियंत्रण करती हैं, जो उन आर्थिक संसाधनों का प्रतिनिधित्व करती हैं जिनसे भविष्य में लाभ प्रदान करने की उम्मीद की जाती है दूसरी ओर, देनदारियाँ वे दायित्व या ऋण हैं जो एक संस्था पर बाहरी पक्षों का बकाया होता है

परिसंपत्तियों और देनदारियों के बीच के अंतर को समझना सूचित वित्तीय निर्णय लेने के लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह वित्तीय रणनीतियों, जोखिम प्रबंधन और निवेश विकल्पों को प्रभावित करता है इस लेख (assets and Liabilities meaning in hindi) में, हम परिसंपत्तियों और देनदारियों की परिभाषाओं और प्रकारों में तल्लीन होंगे, वित्त और लेखांकन की दुनिया में उनके महत्व की खोज करेंगे

संपत्तियां और देनदारियां क्या हैं ?

किसी भी कंपनी या व्यक्ति की वित्तीय स्थिति के दो आवश्यक तत्व होते है जिन्हें हम संपत्ति और देनदारियां कहते हैं वे किसी इकाई की वित्तीय भलाई और संसाधनों के कई पहलुओं के लिए खड़े होते हैं, चाहे वह कोई कंपनी हो, कोई व्यक्ति हो या सरकार हो, इस पुरे वाक्यांश का अर्थ डीप में इस प्रकार है:

बैलेंस शीट को दो श्रेणियों में विभाजित किया जाता है – संपत्ति और देनदारियां, संपत्ति वे संसाधन हैं जिन्हें मौद्रिक संदर्भ में मापा जा सकता है और भविष्य में लाभ उत्पन्न करने में मदद मिलती है उन्हें आगे दो प्रकारों में वर्गीकृत किया गया है: अचल संपत्ति और वर्तमान संपत्ति, अचल संपत्तियां दीर्घकालिक संपत्तियां हैं जो किसी संगठन या व्यवसाय को दीर्घकालिक लाभ प्रदान करती हैं और वर्तमान परिसंपत्तियाँ अल्पकालिक परिसंपत्तियाँ हैं जिन्हें एक वर्ष के भीतर नकदी में परिवर्तित किया जा सकता है

दूसरी ओर, देनदारियाँ किसी संगठन या व्यवसाय का अपने ऋणों का भुगतान करने का दायित्व है इन्हें भी दो प्रकारों में वर्गीकृत किया गया है: वर्तमान देनदारियाँ और दीर्घकालिक देनदारियाँ, वर्तमान देनदारियाँ अल्पकालिक ऋण हैं जिनका भुगतान एक वर्ष के भीतर किया जाना चाहिए, जबकि दीर्घकालिक देनदारियाँ वे ऋण हैं जिनका भुगतान एक वर्ष के भीतर किया जाना चाहिए

इन दोनों का रिश्ता किसी इकाई का वित्तीय स्वास्थ्य संपत्ति और देनदारियों के बीच परस्पर क्रिया से निर्धारित होता है, बैलेंस शीट एक वित्तीय विवरण है जो इस रिश्ते का एक स्नैपशॉट प्रदान करता है इसकी संरचना इस प्रकार है:

संपत्तियां दर्शाती हैं कि इकाई के पास क्या है और इसका उपयोग वह अपने दायित्वों को पूरा करने या धन उत्पन्न करने के लिए कर सकती है, देनदारियाँ दर्शाती हैं कि इकाई का दूसरों पर क्या बकाया है, इक्विटी देनदारियों में कटौती के बाद इकाई की संपत्ति में अवशिष्ट ब्याज है

संक्षेप में, संपत्ति वे संसाधन हैं जो एक इकाई को अपनी वित्तीय प्रतिबद्धताओं को पूरा करने और अपने वित्तीय लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए होती हैं जबकि देनदारियाँ उन परिसंपत्तियों के विरुद्ध वित्तीय दायित्वों या दावों का प्रतिनिधित्व करती हैं, तो चलिए दोस्तों इन दोनों मुद्दों को आगे विस्तार से समझते हैं

Assets क्या होते हैं ?

Asset को हिंदी में ‘संपत्ति’ के नाम से जाना जाता हैं, एसेट्स यानि कोई भी ऐसी चीज जिनसे भविष्य में आर्थिक लाभ हो या होने की संभावना हो उन सभी वस्तुओं यानि चीजों को Assets कहा जायेंगा, संपत्ति उन आर्थिक संसाधनों को संदर्भित करती है जो किसी व्यक्ति, कंपनी या सरकार के स्वामित्व में होती हैं जिनका मापन योग्य मूल्य होता है और भविष्य में आर्थिक लाभ प्रदान करने की उम्मीद होती है संपत्ति मूर्त हो सकती है, जैसे कि संपत्ति, उपकरण और इन्वेंट्री, या अमूर्त, जैसे पेटेंट, ट्रेडमार्क और सद्भावना

Asset को शेयर बाजार के नज़रीये से देखे तो, संपत्ति ऐसी वस्तुएं या संसाधन हैं जो एक कंपनी के पास होती हैं और इसका उपयोग राजस्व उत्पन्न करने के लिए किया जा सकता है, संपत्तियों में भौतिक संपत्ति जैसे भवन और उपकरण, वित्तीय संपत्ति जैसे स्टॉक और बॉन्ड, और अमूर्त संपत्ति जैसे पेटेंट और ट्रेडमार्क शामिल हो सकते हैं

सार्वजनिक रूप से कारोबार करने वाली कंपनियों के लिए, उनकी संपत्ति उनकी बैलेंस शीट पर सूचीबद्ध होती है, जो एक वित्तीय विवरण है जो कंपनी की संपत्ति, देनदारियों और इक्विटी को दर्शाता है, शेयर बाजार इस जानकारी का उपयोग कंपनी के समग्र वित्तीय स्वास्थ्य और प्रदर्शन का मूल्यांकन करने और कंपनी के स्टॉक के मूल्य का निर्धारण करने के लिए करता है

कंपनी के स्टॉक में निवेश करना है या नहीं, यह तय करते समय निवेशक अक्सर कंपनी की संपत्ति को देखते हैं, क्योंकि मूल्यवान संपत्ति वाली कंपनी को आमतौर पर वित्तीय रूप से अधिक स्थिर और कम संपत्ति वाली कंपनी की तुलना में कम जोखिम भरा माना जाता है

हालांकि, संपत्ति के मूल्य में समय के साथ उतार-चढ़ाव हो सकता है, इसलिए निवेशकों के लिए यह महत्वपूर्ण है कि वे कंपनी की संपत्ति के मूल्य और उसके समग्र वित्तीय स्वास्थ्य को समझने के लिए कंपनी के वित्तीय वक्तव्यों पर कड़ी नजर रखें

संपत्ति को मुख्य दो श्रेणियों में वर्गीकृत किया गया है :- "वर्तमान संपत्ति और गैर-वर्तमान संपत्ति"
  • वर्तमान संपत्तियां वे हैं जो एक वर्ष के भीतर या किसी व्यवसाय के परिचालन चक्र, जो भी अधिक हो, के भीतर नकदी में परिवर्तित होने की उम्मीद की जा सकती है यानि जिन्हें एक वर्ष के भीतर आसानी से नकदी में परिवर्तित किया जा सकता है
  • गैर-वर्तमान संपत्ति जिसे अचल संपति भी कहा जाता हैं यह वे संपतियां है जिनसे एक वर्ष से अधिक समय तक आर्थिक लाभ प्रदान करने की उम्मीद की जाती है, जैसे की; भूमि, भवन और उपकरण, गैर-वर्तमान संपत्ति को नकदी में परिवर्तित होने में एक वर्ष से अधिक का समय लगेंगा

संपत्तियां वित्तीय विवरणों का एक महत्वपूर्ण घटक हैं और उनका मूल्य बैलेंस शीट पर दर्ज किया जाता है किसी संपत्ति का मूल्य उसकी मूल लागत के आधार पर निर्धारित किया जाता है, समय के साथ हुई किसी भी मूल्यह्रास या हानि को घटाकर किसी संपत्ति का मूल्य बाजार की स्थितियों, मांग में बदलाव और अन्य बाहरी कारकों से भी प्रभावित हो सकता है

परिसंपत्तियों के उदाहरण

  • नकदी शेष (Cash Balance)
  • आभूषण (Jewelry)
  • जमीन, मकान (Land, House) 
  • स्टॉक्स, म्युचुअल फंड्स, एसआईपी, कमोडिटीज़, करेंसी आदि जैसे स्टॉक मार्केट इन्वेस्टमेंट (Stock Market Investments Like Stocks, Mutual Funds, SIP, Commodities, Currency etc.)
  • बैंक राशि या फिक्स्ड डिपॉजिट (Bank Balance or Fixed Deposit)
  • फर्नीचर (Furniture)
  • प्लांट और मशीन (Plant and Machine)
  • प्राप्य बिल (Bills Receivable)
  • साख (Goodwill) 
  • सॉफ्टवेयर (Software) 
  • पेटेंट (Patent) 
  • कृषि भूमि (Agriculture Land) 

उपरोक्त दिखाई गई सभी एसेट्स में लाभ की संभावनाएं हो सकती है या नहीं भी हो सकती इसको एक उदाहरण से समजेते है, जमीन और मकान वैसे तो यह एक सामान्य जरुरत की चीजों में आता है मगर बिज़नेस की दृष्टि से देखे तो यह एक Real Estate यानि जमीन, मकान को खरीदना और बेचना या उसे रेंट (किराय) पर देना जिनसे बेहद अच्छा लाभ कमाया जा सकता हैं

संपत्ति का उपयोग कौन करता है ?

चलिए अब परिसंपत्तियों के दो पॉइंट ऑफ़ व्यू को डिस्कस करते हैं सबसे पहले सामान्य निवेशकों की दृष्टि में एसेट्स (संपतियां) क्या होती है यह समजते है तो ऐसी संपति या चीजें जिनके द्वारा या जिसके अनुरूप हमें कुछ भी लाभ हो जिनसे Revenue (राजस्व) प्राप्त कर सके उन सभी वस्तुओं को हमारी निजी संपति भी कह सकते हैं

कंपनी के पॉइंट ऑफ़ व्यू से संपति का मतलब समजते हैं तो आमतौर पर कंपनी का निर्माण ही प्रॉफिट के हेतु से किया गया हैं जिस वजह से इनसे जुड़ीं सभी चीजों को एसेट्स (संपतियां) माना जायेंगा, तो चलिए अब इसमें थोड़ा और डीप में उतरते है और इसको इनकें सभी प्रकारों के साथ विस्तारपूर्वक समजते हैं

संपत्ति के प्रकार (Types of Assets) –

तो अब जबकि हमनें एसेट (संपति) क्या होता है यह डिटेल्स में समज लिया है तो अब हम इनकें सभी प्रकारों को समजेंगे, इन प्रकारों को दो भागों में विभाजित किया गया है

एक तो संपति के द्वारा कितनी समय अवधि के अंतराल में लाभ प्राप्त किया जा सकता है जिस बेस पर एसेट्स के दो प्रकार निकल के आते है इसमें 1. Current Assets और 2. Non-Current Assets

साथ ही दूसरें भाग में संपति की स्थिति यानि भौतिक अस्तित्व के आधारित प्रकार निकल के आते हैं जिसमें 1. Tangible Assets और 2. Intangible Assets तो चलिए इन सभी प्रकारों को विस्तार से समजते हैं

Current Assets (शॉर्ट – टर्म एसेट्स)

इस प्रकार के संपतियों की प्रॉफिट क्षमता केवल 1 साल या उनसे कम के लिए ही होती हैं जिस समय अवधि में नकदी यानि कैश में परिवर्तित होने की संभावना होती हैं यानि यह संपतियों का इस्तेमाल केवल शोर्ट-टर्म प्रॉफिट को कमाने के लिए ही किया जाता है जिसे शॉर्ट – टर्म एसेट्स कहा जाता हैं साथ ही इस प्रकार की एसेट्स वर्तमान में आपके पास है जिसे बेच कर आप कभी भी उनसें कैश (नकद) हासिल कर सकते हैं इसके उदाहरणों में देखे तो –

  • नकद और तरल निवेश (Cash and Liquid Investments) – नकद राशी, बैंक बैलेंस, स्टॉक्स आदि
  • कम समय का निवेश (Short – Term Investment) – यानि ऐसे निवेश जो कंपनी 1 साल के भीतर नकद राशी में बदल देंगी
  • प्राप्य खाते (Accounts Receivable) – यानि वो सभी पेमेंट्स जो कंपनी को किसी और से लेने हैं     
  • भंडार (Inventory) – यानि वैसी चीजें जिसे कंपनी ने अबतक बेचा नहीं हो
  • अल्पावधि ऋण और अग्रिम (Short – Term Loans and Advances) – यानि कंपनी के द्वारा किये गए एडवांस पेमेंट्स
Non – Current Assets / Fixed Assets (लॉन्ग – टर्म एसेट्स)

इस प्रकार के संपतियों की प्रॉफिट क्षमता 1 साल से अधिक होती है यानि ऐसे एसेट्स को लम्बी अवधि के लिए इस्तेमाल किया जाता हैं जिसे लॉन्ग – टर्म एसेट्स कहा जाता हैं इसके उदाहरणों में देखे तो –

  • जमीन और इमारतें (Land and Buildings) – यह इन्वेस्ट कुछ सालो का नहीं बल्कि कई सालो का हो सकता है  
  • फर्नीचर और फिक्सचर (Furniture and Fixtures) – यह निवेश हाउस या कंपनी के लिए हो सकता है
  • वाहनों (Vehicles) – यह निवेश भी कंपनी को लम्बे समय तक लाभ प्रदान करता है साथ ही इनमें कुछ खर्च भी लगता है
  • उपकरण और औजार (Machinery and Equipment) – सभी कंपनीयों में मशीन यंत्र तो होते ही है जो कंपनी को कई सालो तक प्रोडक्ट्स बनाने में मदद करते है
  • शेयर बाजार निवेश (Stock Market Investment) – स्टॉक मार्केट में लम्बी अवधि के लिए किया हुआ इन्वेस्टमेंट जैसे की; स्टॉक्स, म्यूच्यूअल फंड्स, एसआईपी आदि   
  • लम्बे समय का निवेश (Long – Term Investment) – यह ऐसे इन्वेस्टमेंट होते है जिन्हें 1 साल के बाद ही नकद (कैश) में परिवर्तित किया जाता हैं

अब बात करते है इसके Physical Existence यानि भौतिक अस्तित्व वाले एसेट्स के प्रकारों के बारेंमे जोकि दो प्रकार के है एक तो मूर्त संपत्ति और दूसरा अमूर्त संपत्ति तो चलिए इन दोनों को समजते हैं

Tangible Assets (मूर्त संपत्ति)

मूर्त संपत्तियां भौतिक संपत्तियां होती हैं जिन्हें हमारे द्वारा छुआ, महसूस किया या देखा जा सकता है मूर्त संपत्ति के उदाहरणों में निम्नलिखित मुद्दों को शामिल किया गया हैं :-

  • संपत्ति (Property) – यह अचल संपत्ति और अन्य भौतिक संपत्तियों को संदर्भित करता है जो किसी व्यवसाय के संचालन में उपयोग की जाती हैं या निवेश उद्देश्यों के लिए आयोजित की जाती हैं उदाहरणों में कार्यालय भवन, गोदाम, कारखाने और किराये की संपत्तियां शामिल हैं
  • इन्वेंटरी (Inventory) – यह उन सामानों को संदर्भित करता है जो बिक्री के लिए रखे जाते हैं, या तो उनके कच्चा माल तैयार माल का उत्पादन करने के लिए उपयोग किए जाने वाले इनपुट हैं, जबकि कार्य-प्रगति उन उत्पादों को संदर्भित करता है जो निर्मित होने की प्रक्रिया में हैं तैयार माल वे उत्पाद हैं जो ग्राहकों को बेचे जाने के लिए तैयार हैं
  • वाहन (Vehicles) – ये मूर्त संपत्ति हैं जिनका उपयोग परिवहन उद्देश्यों के लिए किया जाता है, जैसे की; कार, ट्रक और डिलीवरी वैन, वाहनों का स्वामित्व या पट्टे पर लिया जा सकता है और आमतौर पर उनके उपयोगी जीवन पर मूल्यह्रास किया जाता है
  • मशीनरी (Machinery) – इसमें विनिर्माण उपकरण, उपकरण और अन्य प्रकार की मशीनरी शामिल हैं जिनका उपयोग वस्तुओं के उत्पादन या सेवाएं प्रदान करने के लिए किया जाता है मशीनरी को आमतौर पर एक गैर-वर्तमान संपत्ति के रूप में वर्गीकृत किया जाता है और इसके उपयोगी जीवन पर मूल्यह्रास किया जाता है

आमतौर पर Manufacturing Companies के पास इस प्रकार के एसेट्स ज्यादा मात्रा में होते हैं क्योंकि यह कंपनीयां कच्चे माल मेसे उपयोगी वस्तुए बनातें है जिनके लिए इसको Factory और Machinery की आवश्यकता होती हैं

Intangible Assets (अमूर्त संपत्ति)

अमूर्त संपत्तियां गैर-भौतिक संपत्तियां होती हैं जिनकी कोई भौतिक उपस्थिति नहीं होती है यानि इन्हें हम छु, महसूस या देख नहीं सकते हैं, अमूर्त संपत्ति के उदाहरणों निम्नलिखित मुद्दों को शामिल किया गया हैं :-

  • बौद्धिक संपदा (Intellectual Property) – यह गैर-भौतिक संपत्तियों को संदर्भित करता है जो पेटेंट, ट्रेडमार्क और कॉपीराइट जैसे बौद्धिक प्रयासों के माध्यम से बनाए जाते हैं इन संपत्तियों का उपयोग किसी कंपनी के उत्पादों और सेवाओं की सुरक्षा के लिए किया जा सकता है और उन्हें लाइसेंस दिया जा सकता है या लाभ के लिए अन्य कंपनियों को बेचा जा सकता है
  • सद्भावना (Goodwill) – यह कंपनी की प्रतिष्ठा, ब्रांड नाम और ग्राहक वफादारी का मूल्य प्रस्तुत करता है, सद्भावना आमतौर पर उच्च गुणवत्ता वाले उत्पादों और सेवाओं के वितरण के माध्यम से उत्पन्न होती है और यह एक मूल्यवान संपत्ति हो सकती है जो किसी कंपनी को अपने प्रतिद्वंद्वियों से अलग करने में मदद करती है
  • वित्तीय संपत्तियां (Financial Assets) – ये वह अमूर्त संपत्तियां हैं जो किसी अन्य संस्था, जैसे की; स्टॉक, बॉन्ड, कॉपीराइट, ट्रेडमार्क और अन्य प्रकार की प्रतिभूतियों पर वित्तीय दावे का प्रतिनिधित्व करती हैं इन संपत्तियों को निवेश उद्देश्यों के लिए रखा जा सकता है और वे निवेशकों के लिए आय का स्रोत प्रदान कर सकते हैं
  • डिजिटल संपत्तियां (Digital Assets) – यह उन अमूर्त संपत्तियों को संदर्भित करता है जो डिजिटल रूपों में बनाई और संग्रहीत की जाती हैं, जैसे कि डोमेन नाम, वेबसाइट सामग्री, सॉफ्टवेयर और सोशल मीडिया खाते, ये संपत्तियां उन कंपनियों के लिए मूल्यवान हो सकती हैं जो ऑनलाइन संचालन करती हैं और उनका उपयोग ब्रांड जागरूकता बनाने और कंपनी की वेबसाइट पर ट्रैफ़िक लाने के लिए किया जा सकता है

उसी प्रकार Service-Based Companies (सेवा आधारित कंपनीयों) के पास इस प्रकार की संपति अधिक मात्रा में होती है क्योंकि ऐसी कंपनीयां ज्यादातर कुछ उत्पादन नहीं बल्कि सेवाएँ प्रदान करती हैं इसके एक सामान्य उदाहरण को देखे तो गेमिंग कंपनी अपने सॉफ्टवेयर के जरिये गेम्स बनाती है

तो अब जबकि हमने एसेट्स और उनके सभी प्रकारों को विस्तार से समज लिया है तो चलिए अब Liabilities क्या होती है और उनके प्रकारों के बारेंमे जानते हैं

Liabilities क्या होती हैं ?

Liability को हिंदी में ‘देयता’ कहा जाता हैं Liabilities उन राशी या फंड्स को कहा जाता है जिसको किसी अन्य से उधार यानि लोन पर ले रखा हैं जिसको किसी निश्चित समय पर वापिस लोटाना पड़ता है जिस वजह से यह एक कर्ज के साथ – साथ ज़िम्मेदारी भी कहलाती हैं

शेयर बाजार की दृष्टि में, देनदारियां ऋण या वित्तीय दायित्व हैं जो एक कंपनी का दूसरों पर बकाया है देनदारियां कंपनी के वित्तीय स्वास्थ्य का एक महत्वपूर्ण पहलू हैं, क्योंकि वे कंपनी की भविष्य की वित्तीय प्रतिबद्धताओं और इसके नकदी प्रवाह और लाभप्रदता पर संभावित प्रभाव का प्रतिनिधित्व करती हैं

दुसरे अर्थ में, देनदारियां दायित्व या ऋण हैं जो किसी व्यक्ति, कंपनी या सरकार द्वारा किसी अन्य संस्था के लिए बकाया हैं और भविष्य में आर्थिक संसाधनों को स्थानांतरित करके या सेवाएं प्रदान करके तय किए जाने की उम्मीद है देयताएं वर्तमान और दीर्घकालिक दोनों हो सकती हैं

  • वर्तमान देनदारियां वे हैं जो एक वर्ष के भीतर या किसी व्यवसाय के परिचालन चक्र, जो भी अधिक हो, के भीतर तय होने की उम्मीद है वर्तमान देनदारियों के उदाहरणों में देय खाते, देय वेतन और अल्पकालिक ऋण शामिल हैं, वर्तमान देनदारियां वे हैं जो एक वर्ष के भीतर देय हैं
  • गैर-वर्तमान देनदारियां वे हैं जिनका एक वर्ष के भीतर निपटान होने की उम्मीद नहीं है, जैसे कि दीर्घावधि ऋण, देय बॉन्ड और पेंशन दायित्व शामिल हैं, गैर-वर्तमान देनदारियां वे हैं जो अब से एक वर्ष से अधिक समय तक देय हैं

देनदारियां भी वित्तीय विवरणों का एक महत्वपूर्ण घटक हैं और उनका मूल्य बैलेंस शीट पर दर्ज किया जाता है देयता का मूल्य बकाया राशि के साथ-साथ समय के साथ अर्जित किसी भी ब्याज या शुल्क के आधार पर निर्धारित किया जाता है संपत्तियों की तरह, देनदारियों का मूल्य भी बाजार की स्थितियों, ब्याज दरों में बदलाव और अन्य बाहरी कारकों से प्रभावित हो सकता है

देनदारियों के कुछ सामान्य उदाहरणों में निम्नलिखित मुद्दें शामिल हैं :-
  1. देय खाते – वह पैसा जो एक कंपनी अपने आपूर्तिकर्ताओं या विक्रेताओं को क्रेडिट पर खरीदी गई वस्तुओं या सेवाओं के लिए देती है
  2. ऋण और अन्य ऋण – कोई भी पैसा जो कंपनी उधारदाताओं से उधार लेती है, जैसे की; बैंक या बांडधारक
  3. देय कर – कोई भी कर जो किसी कंपनी पर सरकार को देना होता है, जैसे की; आयकर या बिक्री कर
  4. उपार्जित व्यय – व्यय जो किए गए हैं लेकिन अभी तक भुगतान नहीं किए गए हैं, जैसे की; वेतन, किराया या उपयोगिताओं आदि

वित्तीय विश्लेषण में, देनदारियों का उपयोग वित्तीय अनुपात जैसे ऋण-से-इक्विटी अनुपात की गणना के लिए किया जाता है, जो कंपनी के वित्तीय स्वास्थ्य और उत्तोलन का आकलन करने में मदद करता है

इसको किसी कंपनी या संस्था के संदर्भ में देखे तो जिस प्रकार Money Market के जरिये बड़ी – बड़ी कंपनीयां और बैंकिंग संस्थाए अपनें लिए किसी अन्य कंपनी, बैंक या RBI से लोन के तौरपर फंड्स एकत्रित करतीं है उन फंड्स को कंपनी की देनदारियां या ऋण के स्वरूप देखा जाता हैं

सामान्य तौर पर, उच्च स्तर की देनदारियों वाली कंपनी को निवेशकों द्वारा कम वित्तीय रूप से स्थिर या जोखिम भरा माना जा सकता है, क्योंकि इसके पास विकास के अवसरों में निवेश करने या शेयरधारकों को लाभांश का भुगतान करने के लिए कम नकदी उपलब्ध हो सकती है इसलिए, निवेश निर्णय लेते समय निवेशकों के लिए कंपनी की देनदारियों पर विचार करना महत्वपूर्ण होता हैं

देनदारियों के प्रकार (types of liabilities) –

वित्तीय स्थिरता बनाए रखने और जोखिम को कम करने के लिए कंपनियों के लिए अपनी देनदारियों को प्रभावी ढंग से प्रबंधित करना महत्वपूर्ण है इसमें आपूर्तिकर्ताओं के साथ अनुकूल भुगतान शर्तों पर बातचीत करना, उधार और ऋण का सावधानीपूर्वक प्रबंधन करना और आकस्मिक देनदारियों के प्रभाव को कम करने के लिए कदम उठाना शामिल हो सकता है

Liabilities के प्रकारों की बात करे तो आमतौर पर यह दो प्रकार के होते हैं 1. Current / Short-Term Liabilities और 2. Non–Current / Long-Term Liabilities तो चलिए इनको विस्तार से समजते हैं

Current / Short-Term Liabilities

इस प्रकार की Liabilities को 1 साल के अंदर चुकाना होता हैं जिस वजह से इन्हें शोर्ट – टर्म देनदारियां कहा जाता हैं, इनकें कुछ उदाहरणों को देखे तो –

  • देय खाते (Accounts Payable) – देय खाते उस राशि का प्रतिनिधित्व करते हैं जो कंपनी अपने आपूर्तिकर्ताओं को प्राप्त वस्तुओं या सेवाओं के लिए देती है यह आमतौर पर एक अल्पकालिक देयता के रूप में दर्ज किया जाता है, क्योंकि यह एक वर्ष के भीतर भुगतान किए जाने की उम्मीद है, कंपनियां अपने नकदी प्रवाह को प्रबंधित करने और अच्छे संबंध बनाए रखने के लिए अपने आपूर्तिकर्ताओं के साथ भुगतान शर्तों पर बातचीत कर सकती हैं
  • उपार्जित व्यय (Accrued Expenses) – उपार्जित व्यय उन खर्चों का प्रतिनिधित्व करते हैं जो किसी कंपनी द्वारा किए गए हैं लेकिन अभी तक भुगतान नहीं किए गए हैं उनमें मजदूरी और वेतन, किराया, उपयोगिताओं और अन्य खर्च शामिल हो सकते हैं इन्हें आमतौर पर अल्पकालिक देनदारियों के रूप में दर्ज किया जाता है और एक वर्ष के भीतर भुगतान किए जाने की उम्मीद है
  • अल्पकालिक ऋण (Short-term Loans) – अल्पकालिक ऋण आमतौर पर एक वर्ष के भीतर देय होते हैं और इसमें क्रेडिट लाइन, क्रेडिट कार्ड ऋण और उधार के अन्य रूप शामिल हो सकते हैं इस प्रकार के ऋण एक कंपनी को नकदी प्रवाह का प्रबंधन करने और विकास के अवसरों में निवेश करने के लिए आवश्यक पूंजी प्रदान कर सकते हैं
  • देय कर (Taxes Payable) – देय करों में वे सभी कर शामिल होते हैं जो एक कंपनी पर सरकार को देय होते हैं, जैसे की; आय कर और बिक्री कर, ये आमतौर पर अल्पकालिक देनदारियों के रूप में दर्ज किए जाते हैं और एक वर्ष के भीतर होते हैं
Non–Current / Long-Term Liabilities

यह ऐसी Liabilities होती है जिन्हें 1 साल के अंदर चुकाना नहीं होता हैं जिस वजह से इन्हें लॉन्ग – टर्म देनदारियां कहा जाता हैं, इनकें कुछ उदाहरणों को देखे तो –

  • लंबी अवधि के ऋण (Long-term Loans) – लंबी अवधि के ऋण आमतौर पर एक वर्ष से अधिक की अवधि के लिए देय होते हैं और इसमें बंधक, बांड और उधार के अन्य रूप शामिल हो सकते हैं इस प्रकार के ऋण लंबी अवधि के विकास के अवसरों में निवेश करने के लिए एक कंपनी को बड़ी मात्रा में पूंजी तक पहुंच प्रदान कर सकते हैं
  • लीज दायित्व (Lease Obligations) – लीज दायित्वों में वह राशि शामिल होती है जो उपकरण, रियल एस्टेट और अन्य परिसंपत्तियों के लिए लीज समझौतों के तहत भुगतान करने के लिए एक कंपनी के लिए बाध्य होती है, कंपनियां नकद बचाने और अपनी बैलेंस शीट को प्रबंधित करने के लिए उन्हें एकमुश्त खरीदने के बजाय पट्टे पर देने का विकल्प चुन सकती हैं
  • पेंशन दायित्व (Pension Obligations) – पेंशन दायित्व उस राशि का प्रतिनिधित्व करते हैं जो एक कंपनी अपने कर्मचारियों को अपनी पेंशन योजना के हिस्से के रूप में भुगतान करने के लिए बाध्य होती है ये आमतौर पर दीर्घकालिक देनदारियां हैं, क्योंकि वे उन दायित्वों का प्रतिनिधित्व करते हैं जिनका भुगतान कई वर्षों में किया जाएगा
  • आस्थगित कर देनदारी (Deferred Tax Liability) – आस्थगित कर देनदारियां उन करों का प्रतिनिधित्व करती हैं जो एक कंपनी को भविष्य में भुगतान करने की आवश्यकता होगी, जैसे की; आय पर कर जो अभी तक अर्जित नहीं किए गए हैं, कंपनियां अपने नकदी प्रवाह को प्रबंधित करने और विकास के अवसरों में निवेश करने के लिए करों को स्थगित करना चुन सकती हैं
Contingent Liabilities
  • मुकदमे और दावे (Lawsuits and Claims) – आकस्मिक देनदारियां कानूनी दावों या मुकदमों का प्रतिनिधित्व करती हैं जो एक कंपनी का सामना कर रही हैं, लेकिन परिणाम अनिश्चित है इनका किसी कंपनी के वित्तीय स्वास्थ्य पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ सकता है, क्योंकि इनके परिणामस्वरूप बड़ी बस्तियाँ या निर्णय हो सकते हैं
  • उत्पाद वारंटी (Product Warranties) – उत्पाद वारंटी के अंतर्गत आने वाले उत्पादों को बदलने या मरम्मत करने की लागत का प्रतिनिधित्व करती है, ग्राहक आश्वासन प्रदान करने और बिक्री को बढ़ावा देने के लिए कंपनियां वारंटी देने का विकल्प चुन सकती हैं, लेकिन उन्हें संबंधित देनदारियों का प्रबंधन भी करना होगा
  • पर्यावरणीय देनदारियां (Environmental Liabilities) – पर्यावरणीय देनदारियां कंपनी के संचालन के कारण होने वाली पर्यावरणीय क्षति को साफ करने की लागत का प्रतिनिधित्व करती हैं, कंपनियों को उनके संचालन के कारण होने वाली पर्यावरणीय क्षति के लिए उत्तरदायी ठहराया जा सकता है और वित्तीय स्थिरता बनाए रखने के लिए संबंधित लागतों का प्रबंधन करना चाहिए

संपत्ति और देनदारियों के बीच अंतर

Assets और Liabilities दो महत्वपूर्ण श्रेणियां हैं जो किसी कंपनी की बैलेंस शीट पर पाई जाती हैं, जो कि एक वित्तीय विवरण है जो एक निश्चित समय पर कंपनी की वित्तीय स्थिति का सारांश देता है

परिसंपत्तियों और देनदारियों के बीच के अंतर को इक्विटी के रूप में जाना जाता है, जो इकाई में स्वामित्व हित का प्रतिनिधित्व करता है, किसी इकाई की वित्तीय स्थिरता का आकलन करने और सूचित वित्तीय निर्णय लेने के लिए इस परस्पर क्रिया को समझना महत्वपूर्ण है

SubjectAssetsLiabilities
परिभाषासंपत्ति मूल्य की चीजों का प्रतिनिधित्व करती है जो एक कंपनी का मालिक है यानि संपत्तियां अंतर्निहित मूल्य वाले वित्तीय संसाधन हैं जिनका उपयोग पैसा बनाने या उस इकाई को लाभ पहुंचाने के लिए किया जा सकता है जिसके पास उनका स्वामित्व है वे मूल्यवान संपत्तियां हैं जो एक इकाई के पास होती हैंदेनदारियां उन दायित्वों का प्रतिनिधित्व करती हैं जो एक कंपनी का बकाया है यानि देनदारियां किसी इकाई की संपत्ति पर दावा हैं और तीसरे पक्ष पर बकाया दायित्व या ऋण हैं देनदारियां दर्शाती हैं कि एक इकाई का दूसरों पर कितना बकाया है और अक्सर भुगतान या दायित्व पूर्ति की मांग करती है
स्वामित्वसंपत्ति वे चीजें हैं जो एक इकाई के पास होती हैं और नियंत्रित होती हैं इन संसाधनों का उपयोग इकाई द्वारा धन विकसित करने और अपनी वित्तीय जरूरतों को पूरा करने के लिए किया जा सकता हैदेनदारियां किसी इकाई द्वारा लेनदारों, उधारदाताओं या आपूर्तिकर्ताओं पर बकाया राशि को उसकी देनदारियों द्वारा दर्शाया जाता है उनमें ऋण, देय खाते, बकाया कर और अन्य ऋण शामिल हो सकते हैं ये बाहरी पार्टियाँ इकाई की संपत्ति के खिलाफ दावे कर रही हैं
उदाहरणसंपत्ति के उदाहरणों में नकदी, प्राप्य खाते, इन्वेंट्री, रियल एस्टेट, वाहन, उपकरण, स्टॉक, बांड और पेटेंट एवंम कॉपीराइट जैसी अमूर्त संपत्ति शामिल हैंदेनदारियों के उदाहरणों में बैंक ऋण, देय खाते, देय वेतन, दीर्घकालिक बांड और आस्थगित कर देनदारियां में शामिल हैं
प्रकृतिसंपत्ति वे चीज़ें हैं जिनका उपयोग पैसा कमाने या भविष्य में लाभ प्रदान करने के लिए किया जा सकता है इनमें पैसा, संपत्ति, निवेश, स्टॉक और अन्य क़ीमती सामान शामिल हो सकते हैंदेनदारियां ऋण चुकाने या वादे निभाने की ज़िम्मेदारी हैं ऋण, देय खाते (आपूर्तिकर्ताओं को देय धन), देय वेतन और अन्य अवैतनिक ऋण इसके कुछ उदाहरण हैं
उद्देश्यसंपत्ति कई कारणों से बरकरार रखी जाती है, जैसे की; आय सृजन (किराये की संपत्ति, निवेश), व्यवसाय संचालन सुविधा (उपकरण, सूची), या भविष्य के लाभ (विकास के लिए भूमि)परिसंपत्तियों की खरीद या व्यवसाय संचालन के लिए धन की आवश्यकता के परिणामस्वरूप अक्सर देनदारियां होती हैं वे उन ऋणों के लिए खड़े हैं जिनका भुगतान किया जाना चाहिए और जिनका उपयोग संपत्ति खरीदने या वाणिज्यिक उद्यमों के वित्तपोषण के लिए पूंजी के रूप में किया जा सकता है
बैलेंस शीट की व्यवस्थावर्तमान संपत्ति और गैर-वर्तमान संपत्ति आमतौर पर बैलेंस शीट के बाईं ओर सूचीबद्ध होती हैं और गैर-वर्तमान परिसंपत्तियों को वर्तमान परिसंपत्तियों के बाद सूचीबद्ध किया जाता हैबैलेंस शीट पर, देनदारियां आमतौर पर दाईं ओर दिखाई देते हैं और अल्पकालिक और दीर्घकालिक दायित्वों में विभाजित होती हैं और वर्तमान देनदारियों के बाद दीर्घकालिक दायित्वों को शामिल किया जाता है
इक्विटी पर प्रभावइकाई अपनी संपत्ति से मूल्य और धन प्राप्त करती है, किसी व्यवसाय की इक्विटी उसकी संपत्ति के मूल्य से प्रभावित होती हैदेनदारियां कंपनी की संपत्ति के खिलाफ के दावे हैं जबकि प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से संपत्ति जोड़ने से इक्विटी बढ़ती है, देनदारियां घटने से इक्विटी बढ़ती है
मूल्यांकनसंपत्तियां आमतौर पर बैलेंस शीट पर उनकी ऐतिहासिक लागत (खरीदी जाने पर भुगतान की गई कीमत) पर सूचीबद्ध होती हैं हालाँकि, यदि लेखांकन आवश्यकताओं के लिए आवश्यक हो, तो कुछ परिसंपत्तियों का उचित बाजार मूल्य पर पुनर्मूल्यांकन किया जा सकता हैदेनदारियां बकाया ऋण की राशि पर रिपोर्ट की जाती हैं, जो अक्सर ऋण का अंकित मूल्य होता है बदलते बाज़ारों के परिणामस्वरूप समय के साथ उनका मूल्य कम नहीं होता है
निर्धारित समय – सीमासंपत्ति को तत्काल और भविष्य दोनों जरूरतों के लिए रखा जा सकता है वे आसानी से उपलब्ध तरल संपत्ति जैसे नकदी या लंबी अवधि के निवेश के साथ लंबी अवधि के निवेश हो सकते हैंदेय होने के समय के आधार पर, देनदारियों को वर्तमान या दीर्घकालिक के रूप में वर्गीकृत किया जा सकता है वे समय सीमा के साथ प्रतिबद्धताएं हैं
वित्तीय विवरणों पर प्रभावसंपत्ति जोड़ने या प्राप्त करने से आमतौर पर किसी व्यवसाय की बैलेंस शीट पर अनुकूल प्रभाव पड़ता है और इक्विटी बढ़ सकती हैअधिक देनदारियां जोड़ने से कंपनी के वित्त को अधिक लाभ मिल सकता है और ऋण-से-इक्विटी अनुपात बदल सकता है उच्च स्तर पर देनदारियां किसी कंपनी की साख को प्रभावित कर सकती हैं
जोखिम और लाभसंपत्ति में जोखिम और रिटर्न की संभावनाओं के विभिन्न स्तर होते हैं उदाहरण के लिए, सरकारी बॉन्ड में रिटर्न कम होता है लेकिन जोखिम कम होता है, इक्विटी में बड़े मुनाफे की संभावना होती है लेकिन जोखिम भी बढ़ जाता हैदेनदारियों को वित्त के एक रूप के रूप में देखा जा सकता है, और देयता संरचना (जैसे विभिन्न ब्याज दरों वाले ऋण) का विकल्प किसी इकाई की पूंजी की लागत और वित्तीय जोखिम पर प्रभाव डाल सकता है
स्वामित्व में रुचिसंपत्ति का कब्ज़ा उस मूल्य को दर्शाता है जो इकाई के पास है किसी व्यवसाय की निवल संपत्ति या इक्विटी उसकी संपत्ति से प्रभावित होती हैकिसी इकाई की संपत्ति पर बाहरी माँगों को देनदारियों द्वारा दर्शाया जाता है जब निपटान किया जाता है, तो वे वास्तव में किसी इकाई की इक्विटी को बढ़ाने के बजाय कम कर देते हैं
परिपक्वता और निपटानसंपत्ति को हमेशा तब तक अपने पास रखना नहीं पड़ता जब तक कि वह अपनी पूरी क्षमता तक न पहुंच जाए उदाहरण के लिए, भूमि का स्वामित्व निर्धारित परिपक्वता तिथि के बिना संभव हैदेनदारियों की कुछ परिपक्वता तिथियाँ होती हैं जिनके द्वारा उनका निपटान या भुगतान किया जाना चाहिए और तुरंत भुगतान से लेकर लंबी अवधि में भुगतान किया जा सकता है
वित्तीय विश्लेषण का लक्ष्यसंपत्तियों की अक्सर उनकी तरलता, कमाई की क्षमता और मूल्य-जोड़ने की क्षमता के लिए जांच की जाती है वे वित्तीय प्रदर्शन और वित्तीय स्थिति के विश्लेषण में आवश्यक तत्व हैंकिसी कंपनी के वित्तीय दायित्वों और उन्हें पूरा करने की क्षमता निर्धारित करने के लिए देनदारियों की जांच की जाती है उच्च या अनुचित तरीके से प्रबंधित देनदारियों के कारण वित्तीय जोखिम बढ़ सकता है

किसी व्यवसाय की वित्तीय स्थिति संपत्ति और देनदारियों इन दोनों पर निर्भर होती है, देनदारियां बाहरी पक्षों के प्रति प्रतिबद्धताएं और ऋण हैं जो व्यवसाय की वित्तीय स्थिरता और जोखिम प्रोफाइल को प्रभावित करते हैं जबकि संपत्ति मूल्यवान संसाधन हैं जो इकाई के पास हैं या नियंत्रण करते हैं और इसके मूल्य में वृद्धि करते हैं, प्रभावी वित्तीय प्रबंधन और विश्लेषण संपत्ति और देनदारियों की विशेषताओं और निहितार्थों की ठोस समझ पर निर्भर करता है

निष्कर्ष

अंत में, संपत्ति और देनदारियां लेखांकन और वित्त में मूलभूत अवधारणाएं हैं जो किसी व्यवसाय या व्यक्ति के वित्तीय स्वास्थ्य को समझने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं संपत्ति उन संसाधनों का प्रतिनिधित्व करती है जो एक कंपनी या व्यक्ति का स्वामित्व है और राजस्व उत्पन्न करने के लिए उपयोग कर सकते हैं, जबकि देनदारियां उन ऋणों और दायित्वों का प्रतिनिधित्व करती हैं जिनका भुगतान किया जाना चाहिए

संपत्ति और देनदारियों को सावधानीपूर्वक प्रबंधित करके, व्यवसाय और व्यक्ति यह सुनिश्चित कर सकते हैं कि उनके पास अपने वित्तीय दायित्वों को पूरा करने और अपने दीर्घकालिक लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए आवश्यक संसाधन हैं हालांकि इन महत्वपूर्ण वित्तीय मेट्रिक्स के स्पष्ट और सटीक रिकॉर्ड को बनाए रखते हुए संपत्ति और देनदारियों को प्रभावी ढंग से संतुलित करना चुनौतीपूर्ण हो सकता है, लेकिन व्यक्ति और व्यवसाय सूचित निर्णय ले सकते हैं जो उन्हें वित्त की प्रतिस्पर्धी और गतिशील दुनिया में सफल होने में मदद करते हैं

लेख से संबंधित महत्वपूर्ण प्रश्नों के उत्तर

संपत्ति और देनदारियां कैसे भिन्न होते हैं ?

संपत्तियां मूल्यवान आर्थिक संसाधन हैं जिनका स्वामित्व किसी व्यक्ति या संगठन के पास होता है और जिसका उपयोग वे भविष्य में लाभ प्राप्त करने के लिए कर सकते हैं किसी इकाई की देनदारियां वे ऋण या जिम्मेदारियां हैं जो उसे भविष्य में अन्य पक्षों को देनी होती हैं, जो आमतौर पर खोए हुए वित्तीय लाभ के रूप में होती हैं

परिसंपत्तियों और देनदारियों के वित्तीय निहितार्थ क्या हैं ?

क्योंकि उनका उपयोग किसी इकाई के वित्तीय स्वास्थ्य का मूल्यांकन करने, निवेश निर्णय लेने और व्यक्तिगत या व्यावसायिक संसाधनों को कुशलतापूर्वक प्रबंधित करने के लिए किया जाता है, संपत्ति और देनदारियां वित्त में महत्वपूर्ण अवधारणाएं हैं

संपत्तियों के कौन-कौन से विशिष्ट उदाहरण मौजूद हो सकते हैं ?

नकदी, रियल एस्टेट, स्टॉक, बॉन्ड, ऑटोमोबाइल, मशीनरी, इन्वेंटरी और प्राप्य खाते सामान्य प्रकार की संपत्ति हैं, पेटेंट और ट्रेडमार्क अमूर्त संपत्ति के उदाहरण हैं जिन्हें संपत्ति माना जाता है

Assets का मतलब क्या होता है ?

Asset को हिंदी में ‘संपत्ति’ के नाम से जाना जाता हैं, एसेट्स यानि कोई भी ऐसी चीज जिनसे भविष्य में आर्थिक लाभ हो या होने की संभावना हो उन सभी वस्तुओं यानि चीजों को Assets कहा जायेंगा

Liabilities का मतलब क्या होता है ?

Liability को हिंदी में ‘देयता’ कहा जाता हैं Liabilities उन राशी या फंड्स को कहा जाता है जिसको किसी अन्य से उधार यानि लोन पर ले रखा हैं जिसको किसी निश्चित समय पर वापिस लोटाना पड़ता है जिस वजह से यह एक कर्ज के साथ – साथ ज़िम्मेदारी भी कहलाती हैं

एसेट और लायबिलिटी में क्या अंतर है ?

आमतौर पर किसी भी कंपनी की बैलेंस शीट को दो भागो में वर्गीकृत किया जाता है जिसे Assets और Liabilities कहा जाता हैं

परिसंपत्तियों और देनदारियों को इक्विटी से क्या अलग करता है ?

देनदारियाँ दर्शाती हैं कि किसी इकाई पर क्या बकाया है, जबकि संपत्तियाँ दर्शाती हैं कि उसके पास क्या है, इक्विटी किसी इकाई की देनदारियों के भुगतान के बाद उसकी संपत्ति में शेष हिस्सेदारी है मालिक की इक्विटी, शेयरधारक की इक्विटी और शुद्ध संपत्ति इक्विटी के लिए आगे की शर्तें हैं

लोग अपनी संपत्ति को बड़ा और देनदारियों को छोटा कैसे बना सकते हैं ?

बचत करना, निवेश करना और आय प्रदान करने वाली संपत्ति प्राप्त करना लोगों के लिए अपनी संपत्ति बढ़ाने के तरीके हैं, कर्ज़ चुकाकर, समय पर भुगतान करके और अनावश्यक कर्ज़ से बचकर, वे अपनी ज़िम्मेदारियाँ कम कर सकते हैं

संपत्ति और देनदारियों का संतुलन बनाए रखना क्यों महत्वपूर्ण है ?

वित्तीय स्थिरता संपत्ति और देनदारियों के बीच संतुलन बनाए रखने पर निर्भर करती है, परिसंपत्तियों की तुलना में बहुत अधिक देनदारियां होने से दिवालियापन हो सकता है दूसरी ओर, परिसंपत्तियों की प्रचुरता कम निवेश और कम उपयोग का संकेत हो सकती है

वित्तीय लेखांकन और रिपोर्टिंग में परिसंपत्तियों और देनदारियों का मूल्यांकन करने के लिए कौन से मानदंड का उपयोग किया जाता है ?

एक कंपनी की बैलेंस शीट, एक महत्वपूर्ण वित्तीय दस्तावेज जो एक विशिष्ट समय पर किसी कंपनी की वित्तीय स्थिति का स्नैपशॉट प्रदान करता है, संपत्ति और देनदारियों को सूचीबद्ध करता है आमतौर पर, उन्हें लेखांकन आवश्यकताओं के अनुसार वर्गीकृत और प्रकट किया जाता है

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