शेयर मार्केट कैसे काम करता है

शेयर मार्केट कैसे काम करता है

शेयर मार्केट कैसे काम करता है

यह टोपिक शेयर बाजार के सूचकांक और स्टॉक की अहम हलचल होने का क्या कारण है इनसे सबंधित है इसमें हम जानेंगे की आखीर इंडेक्स में उतार – चढ़ाव किस प्रकार होता है और साथ ही स्टॉक मार्केट में लिस्टेड शेयरों के भावो में किस प्रकार के मूवमेंट देखने को मिलते है

हम सभी आये दिन शेयर बाजार की न्यूज़ में या अखबार में देखते और सुनते रहते है की आज Sensex में इतने अंको की गिरावट देखने को मिली है, Nifty में आज इतने पोइट का उछाल देखने को मिला है या Bank Nifty में उछाल के कारन बैंक निफ्टी के सभी 12 शेयरों में इतने प्रतिशत का प्राइस में उछाल आया है (शेयर मार्केट कैसे काम करता है)

स्टॉक मार्केट में शेयरों के प्राइस (भाव) कहीं कारणों से Up and Down होते है यानि मे शेयरों की नोर्मल मूवमेंट की बात नहीं कर रहा हु बल्कि उन उतार – चढ़ाव की बात कर रहा हु जो स्टॉक मार्केट के किसी अहम हलचल की वजह से होती है उन सभी कारणों को समजेंगे जिसकी वजह से शेयर बाजार में बड़े पैमाने पर उछाल और गिरावट देखने को मिलती है

यानि Sensex, Nifty और Bank Nifty में कभी रेकोर्ड स्तर से उछाला है या तो कभी रेकोर्ड स्तर से लुड़का है, इस तरह के शब्द प्रयोगों को हम हमारी देनिक जीवन में सुनते रहते है

शोर्ट में कहे तो शेयर बाजार के पुरे स्ट्रक्चर में जितना इम्पोर्टन्स कंपनीयों के शेयरों के मूवमेंट का है उतना ही महत्व इंडेक्स के मूवमेंट का है, इस आर्टिकल में इंडेक्स के उतार – चढ़ाव के रिलेटेड सभी छोटी – छोटी बातो को जानेंगे

वैसे स्टॉक मार्केट के मूवमेंट (Up and Down) को हमने दो भागों में विभाजित किया है, एक तो Market Index में होने वाली मूवमेंट्स और दूसरा Stocks में होने वाली मूवमेंट्स तो चलिए इस दोनों मुद्दों पर विस्तार से चर्चा करते हैं

स्टॉक मार्केट में Indices और Stocks की मूवमेंट्स

शेयर बाजार में Index और Stock दोनों ही आपसमे कही न कही सबंधित जरुर है यानि किसी एक के बिना दुसरे का कोई अस्तित्व नहीं है

इसे दुसरे शब्दों में समजे तो कंपनीयों के शेयरों के आधार पर ही इंडेक्स का अस्तित्व है और इंडेक्स के बिनाक पर ही शेयरों का मूवमेंट (उतार – चढ़ाव) होना मुमकिन है

इसके लिए आपको इस आर्टिकल के साथ – साथ शेयरों में उतार – चढ़ाव किस प्रकार होता है उस आर्टिकल को भी समजना अनिवार्य हो जाता है

इंडेक्स में किस – किस प्रकार की मूवमेंट होती है यह समजने के लिए हमें उदाहरण के माध्यम से समजना पड़ेंगा इसके लिए मे बाजार के मुख्य तिन इंडेक्स Sensex, Nifty और Bank Nifty को ध्यान में रखके इस टोपिक को आगे बढाऊंगा जिनसे हम यह जान सकेंगे की उन इंडेक्स के बढ़ने और गिरने से मार्केट को क्या असर होता है तो चलिए इस टोपिक में आगे बढ़ाते है

स्टॉक मार्केट में शेयरों के प्राइस (भाव) कहीं कारणों से Up and Down होते है यानि मे शेयरों की नोर्मल मूवमेंट की बात नहीं कर रहा हु बल्कि उन उतार – चढ़ाव की बात कर रहा हु जो स्टॉक मार्केट के किसी अहम हलचल की वजह से होती है उन सभी कारणों को समजेंगे जिसकी वजह से शेयर बाजार में बड़े पैमाने पर उछाल और गिरावट देखने को मिलती है

शेयर बाजार के उतार-चढ़ाव में सूचकांक का महत्व

आमतौर पर देखे तो भारतीय स्टॉक मार्केट में शेयरों में होने वाली मूवमेंट से ज्यादा महत्वपूर्ण किसी इंडेक्स में होने वाले उतार – चढ़ाव को माना जाता हैं

इसका भी एक रिज़न है किसी भी कंपनी के स्टॉक में होने वाली मूवमेंट की असर उनसे जुड़े इंडेक्स यानि सेंसेक्स, निफ्टी 50 या बैंक निफ्टी पर पड़ती है जिनसे हम यह पता लगा सकते है की भारतीय स्टॉक मार्केट की हालकी स्थिति क्या है

हालके मुकाबले भूतपूर्व समय में मार्केट की क्या स्थिति थी और फ्यूचर में क्या स्थिति हो सकेंगी इसका तार्किक विशलेषण दिया जा सकता है 

साथ ही मार्केट के सेक्टर इंडेक्स की मदद से उनसे जुड़े शेयरों की हालकी क्या स्थिति है और अलग – अलग सेक्टरों की तुलनात्मक व्यूहरचना से हमें किन सेक्टर में इन्वेस्ट करने की आवस्यकता है यह पता लगाया जा सकता है

जिनसे हमारा शेयर बाजार का इन्वेस्टमेंट प्लान और भी मजबूत बनता है और हमें ज्यादा प्रोफिट कमाने का लाभ मिलता है

सिर्फ मार्केट इंडेक्स को देख लेने से हमें यह पता चल जाता है की हालमे भारतीय मार्केट किस तरफ मूव कर रहा है यानि बाजार अच्छा है या खराब है इस बात को सिर्फ इंडेक्स देख लेने से ही समजा जा सकता हैं

इसी तरह हम दुसरे देशों के स्टॉक मार्केट की स्थिति को भी सिर्फ उनके अहम इंडेक्स को देख लेने से पता लगाया जा सकता है की उस देश का मार्केट कैसा प्रदर्शन कर रहा है इसी वजह से इंडेक्स को पुरे देश के स्टॉक मार्केट का प्रतिनिधित्व दिया गया है

सूचकांक में उच्च अस्थिरता के कारण

Index में होने वाले उतार – चढ़ाव बहोत से कारणों पर आधारित होते हैं यानि इंडेक्स में होने वाले मूवमेंट के कारणों की यहा बात हो रही है

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उतार-चढ़ाव

इंडेक्स में होने वाले उतार – चढाव की असर सिर्फ उसके देश में होने वाली घटनाओं तक ही सीमीत नहीं बल्कि पुरे विश्व भर के देशों में होने वाली अहम हलचल के कारणों की वजह से भी इंडेक्स में बड़े पैमाने में उछाल या गिरावट देखने को मिल सकती है

इसके अलावा यदि किसी दो देशों के बिच में युद्ध जेसी परिस्थितियों के निर्माण मात्र से ही न केवल उन दो देशों के मार्केट इंडेक्स दिरेंगे बल्कि इसकी असर दुसरे कुछ देशों के स्टॉक मार्केट पर भी देखने को मिल सकती है जिनके कारण उनके इंडेक्स में भी गिरावट का माहोल देखने को मिलता है

इसी मुद्दे पर हम एक उदाहारण को देखे तो हालमे चल रहे रूस और यूक्रेन युद्ध के दौरान दुनियाभर के देशों के स्टॉक मार्केट पर बेहद गहरा इफेक्ट पड़ा हैं (रूस यूक्रेन युद्ध का शेयर बाजार पर असर) इस रूस यूक्रेन संकट के कारन न केवल उनकें स्टॉक मार्केट में भारी गिरावट देखने को मिली बल्कि अमेरिका जेसे पावरफुल देश के स्टॉक मार्केट इंडेक्स में भी भारी गिरावट हुई थी

राष्ट्रीय स्तर पर उतार-चढ़ाव

स्टॉक मार्केट यह खुदमे पुरे देश की अर्थव्यवस्था को समाये हुए है फिर चाहे वो देश के पोलिटिक्स यानि देश के चुनावी मामले हो या देश की आर्थिक स्थिति के बारेंमे हो या देश के धंधा – उद्योग में रहे अलग – अलग सेक्टरों के बारेंमे हो आदि इन जैसे सभी प्रकार के मूवमेंट्स को देश के अंदरुनी हालातों मेसे उपस्थित होनेवाले कारणों में गिना जा सकता हैं 

जिनमे कुछ सेक्टरों में तो पुरे साल चलने वाले उद्योग होते है जैसे की; बैंकिंग क्षेत्र, पॉवर क्षेत्र, फार्म क्षेत्र आदि का समाविष्ट होता है

मगर कुछ सेक्टर्स ऐसे भी होते है जो केवल किसी मौसम के आधार पर अपना बिज़नस चला रहे हो जैसे की; फर्टिलाइजर क्षेत्र, सुगर क्षेत्र में केवल मोंसून के मौसम में ही व्यापर होता है और साथ ही इसी प्रकार देश के राजनेतिक फैसले, RBI पॉलिसी, देश का बजेट, कुदरती आफते आदि जैसे कारणों की  वजह से इंडेक्स में कभी गिरावट तो कभी उछाल की स्थिति देखने को मिलती है

कुदरती आफतो के साथ – साथ मानवीय आफते भी इंडेक्स में भारी गिरावट का अहम कारण बन सकती है इसके लिए हालही का एक ताजा उदाहरण है Covid – 19 जिसने पुरे विश्वभर के देशों को हिलाकर रख दिया है और इसका असर हमने स्टॉक मार्केट में देखा ही है सभी देशों के स्टॉक मार्केट के इंडेक्स में एकी साथ भारी गिरावट देखने को मिली थी

यदि किसी पर्टिकुलर स्टॉक्स में उछाल आता है तो उसकी असर सिर्फ उसके इंडेक्स पर ही दिखेंगी और अगर किसी पर्टिकुलर सेक्टर में तेजी आती है जैसे की सुगर के शेयरों में उछाल आने से सुगर सेक्टर के इंडेक्स में भी तेजी देखने को मिल सकती है

शेयरों में हलचल (मूवमेंट)

वैसे तो शेयरों के प्राइस (भाव) में कही प्रकारों से बड़े – बड़े ‘उछाल’ या ‘गिरावट’ देखने को मिलती है, उन्ही मेसे एक कारन बेहद अहम है, (हम किसी पर्टिकुलर कंपनी के स्टॉक के बारेंमे बात नहीं कर रहे हैं)

स्टॉक्स में उछाल

जब भी कभी किसी कंपनी के स्टॉक में खरीदारी (Buying) ज्यादा होने लगती है जिसका कारन उनके खरीदार (Buyer) ज्यादा एक्टिव स्थिति में हो यानि आमतौर से देखे तो उस कंपनी के स्टॉक की मांग में बढ़ोतरी होने लगती है, ऐसी स्थिति होने में बहोत से ऐसे Factors होते है जिनकीं वजह से किसी स्टॉक में अचानक से उछाल आने लगता है, शेयर के प्राइस (भाव) में उछाल यानि बढ़ोतरी होने के पीछे बहोत सारे कारन शामिल है

स्टॉक्स में गिरावट

‘गिरावट’ जब किसी कंपनी के स्टॉक में बिकवाली (Selling) ज्यादा होने लगती है जिसका कारन उस स्टॉक में बढ़ने वाले विक्रेता (Seller) ज्यादा एक्टिव स्थिति में हो यानि आमतौर पर देखे तो उस कंपनी के स्टॉक की आपूर्ति (सप्लाई) कम होने लगती है, अब ऐसी स्थिति उपस्थित होने में भी बहोत से ऐसे Factors होते है जिन कारणों से किसी स्टॉक में अचानक से गिरावट का माहोल बंनने लगता है

दुनियाभर के देशों में हुए कारोबार की वजह से हुई मूवमेंट्स

यदि भारत देश किसी और देश के साथ या किसी और देशों के साथ किसी प्रकार का कोई व्यापारिक (कारोबारिक) या आर्थिक समजोता करते है, तो इनसे दो बाते होती है एक तो यह फैसलों के कारन उन दो देशों के बिच हो रहे कारोबारिक समजोते और आर्थिक रणनीति बेहतर होने की उम्मीद से इनसे जुड़े सेक्टर्स में उछाल आना लाजमी है, क्योकि इन समजोतो से न केवल उन दो देशो की अर्थव्यवस्था में सुधार आयेंगा बल्कि उनसे जुड़े कारोबार को भी वेग मिलता है और साथ ही स्टॉक मार्केट इन्वेस्टर्स को ज्यादा से ज्यादा निवेश करने को प्रोस्ताहित करता है

अब यह तो ज़ाहिर सी बात है की किसी स्टॉक में Demand (मांग) में बढ़ोतरी होने से उसकी Supply (आपूर्ति) को भी असर करती है (Demand and Supply), जिनसे एक समय पर उसमे Upper Circuit (Circuit In Stocks and Indexes) लगना नोर्मल है और साथ ही Stock Market Index – Sensex and Nifty 50 में भी अच्छी खासी ग्रौथ देखने को मिलती है

अब यह तो हुए इसके Positive Thoughts अब यह जरुरी तो नहीं की दो देशों के बिच हो रहे करार (समजोते) सिर्फ इंडस्ट्रियल कारोबार के फेवर में ही होंगे, कुछ फैसले इनके खिलाफ भी हो सकते है

जिनके स्वरूप इनसे जुड़े सेक्टर्स में इनकी Negative असर देखने को मिल सकती है, जिनसे यह होता है की इन कंपनीयों के शेयरों के कुछ निवेशक इन बातोँ को कुछ ज्यादा ही सिर्यस्ली ले लेते है और इन स्टॉक्स मेसे अपने निवेश को निकालने लगते है

अब इसमें भी वही रूल्स लागु होंगे यानि Supply जितनी बढ़ेगी उसकी Demand उतनी ही कम होती जाएँगी, तब तो ज़ाहिर सी बात है की उन स्टॉक्स में भारी गिरावट होने लगती है और एक समय पर उसमे Lower Circuit लग जाती है (Upper Circuit and Lower Circuit In Stock Market

मानसून के कारण हलचल (मूवमेंट)

भारत एक कृषिप्रधान देश है जिसके चलते देश में बहोत सारी ऐसी कंपनीयां है जो पूर्णरूप से मानसून और कृषी पर आधारित होती है, इसमें भी हमें दो बातोँ को ध्यान में रखना पड़ता है एक तो अच्छा मानसून और दूसरा खराब मानसून

अच्छा मानसून

अगर मानसून विभाग आनेवाले मानसून में अच्छीखासी बारिश होने का अनुमान प्रसारित करते है तो इनके जरिये निवेशक भी अपनी आगे की रणनीति को तैयार कर पाते है, इनसे जुड़े सभी प्रकार के तर्क और तथ्यों पर होनेवाली अच्छी बारिश के मुताबिक अपने स्टॉक्स पर रिसर्च करके उन्हें अपने Portfolio में शामिल करना चाहिए या नहीं, इन विषय पर अपनी संभावना शीट्स तैयार करते है

वैसे अच्छे मानसून का तो सिर्फ एक ही मतलब होता है की अच्छाखासा कृषि उत्पादन जिनके कारन केवल कृषि उत्पादनों में ही नहीं बल्कि उनसे जुड़े वाहनों की कंपनीयों में भी अच्छीखासी ग्रौथ देखने को मिलती है जैसे की; ट्रेक्टर और उनसे जुडी मशीनरी, रसायन, खाध्य, बिज, कीटनाशक दवाए एवं FMCG की कंपनीयां शामिल है

अच्छे मानसून से इनसे जुडी कंपनीयों में प्रॉफिट की मात्रा बढ़ेगी और साथ ही कंपनीयां स्टॉक्स में अच्छी ग्रौथ के साथ – साथ कुछ और सेवाएँ भी प्रदान करती है जैसे की; Dividend, Right Issue, Bonus, Stock Buyback आदि, अब इन सभी कारणों के चलते निवेशक इन सभी शेयरों में भारी मात्रा में निवेश करना शुरू कर देते है, अब इसमें भी वही रूल्स एप्लाइड होंगे यानि सभी Agricultural Industries के स्टॉक्स में Demand बढेंगी जिनसे उसकी Supply  में भी कमी आएँगी, जिनसे एक समय पर उन स्टॉक्स में Upper Circuit लगना शुरू हो जाता है

खराब मानसून

अब बात करते है खराब मानसून की तो इसमें उनसे बिल्कुल विरुद्ध होता हिया यानि सिर्फ मानसून विभाग आनेवाले मानसून को नकारात्मक स्थिति में दिखाने से ही इनसे जुडी कंपनीयों के शेयरों में हलकीसी गिरावट देखने को मिल जाती है और यदि हकीकत में यह संभावना सच हो जाये फिरतो इन स्टॉक्स में भारी गिरावट का माहोल बनने लगता है और एक समय पर इनमे Lower Circuit लगने में देर नहीं लगती है 

RBI Policy के कारण बैंकिंग शेयरों में उतार-चढ़ाव

स्टॉक मार्केट में बैंकिंग सेक्टर के शेयरों में रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया (RBI) की Policy का एक अलग ही महत्त्व होता है, RBI Policy में GDP (Gross Domestic Product) के ब्याजदरो में बढ़ोतरी होंगी और मौद्रिक निति की घोषणा में ब्याजदरो में कमी करने की वजह से कर्ज की दरें सस्ती होंगी और साथ ही बैंको के ब्याजदरों में बढ़ोतरी होंगी

इन सभी कारणों के चलते बैंकिंग सेक्टर को दो तरह से लाभ होंगा, एक तो सेविंग खातो में ब्याजदर बढ़ने से बैंक को ज्यादा फंड्स मिलेंगे और बैंक से लोन लेने का प्रमाण बढेंगा, इनसे एक बात तो क्लियर है की बैंकिंग सेक्टर के बैंको में प्रॉफिट बढेंगा, इनसे निवेशकों के प्रति बैंको की तरफ आकर्षण बढेंगा जिनसे निवेशक NBFC (Non-Banking Financial Company) और PSU Banks में अपने निवेश को प्रस्थापित करेंगे

अब बैंको में निवेश होंगा तो उनके स्टॉक्स में उछाल आना नोर्मल बात है और साथ ही Bank Nifty में भी अच्छाखासा उछाल देखने को मिल सकता है, अब बात करते है बैंकिंग सेक्टर स्टॉक के गिरावट के कारणों के बारेंमे तो उपरोक्त जानकारी के मुताबिक यदि RBI Policy नहीं आई तो बैंको में गिरावट देखने को मिल सकती है

हम सभी जानते है की कही सारी बैंको को दूसरी बैंक के साथ मर्ज कर दिया गया है और अभी इसकी लाइन में और भी बैंक शामिल है, इनके पीछें का कारन लोन कलेक्सन है, बड़ी – बड़ी अमाउंट के लोन को बिना किसी सिक्योरिटीज के दे दिया जाता है जिसके बाद उन लोन की भरपाई ना होने के कारन उन बैंको को किसी दूसरी बैंक के साथ मर्ज कर दिया जाता है, इन सभी कारणों के चलते बैंकिंग स्टॉक्स के निवेश करने का प्रमाण बेहद कम हो गया है, जिनके कारन बैंकिंग शेयरों में भारी मात्रा में गिरावट देखने को मिलती हैं 

Federal Reserve Bank के ब्याज दरों के कारण उतार-चढ़ाव

अमेरिका की केन्द्रीय बैंक ‘Federal Reserve Bank’ के द्वारा जारी होने वाले ब्याजदर के बदलाव पर सभी देशो के निवेशकों की नजर रहती है, यदि अमेरिका के ‘फेडेरल रिज़र्व बैंक’ के द्वारा ब्याजदरो में बढ़ोतरी हुई तो NRI (विदेशी) निवेशक इंडियन स्टॉक मार्केट में किये गए अपने इन्वेस्ट को निकाल कर वहा इन्वेस्ट करेंगे जहा पर उन्हें ज्यादा लाभ होने की संभावना हो, जिन वजह से भारतीय शेयर बाजार में भारी बिकवाली का माहोल बनने लगता है, जिनसे न केवल मार्केट इंडेक्स में गिरावट आएँगी बल्कि उन सभी शेयरों में भी भारी गिरावट देखने को मिलेंगी 

बजट को लेकर उतार-चढ़ाव

भारत में होनेवाले लोक संसद के बजट पेश होने के दौरान भी स्टॉक मार्केट में एक हलकी सी मूवमेंट रहती है, सरकार (वित्तमंत्री) के द्वारा पेश हो रहे बजट में तमाम क्षेत्रो की घोषणाओ में कुछ Positive Announcement होते है तो कुछ Negative Announcement (आम जनता के खिलाफ) होते है

जैसे अगले लोक संसद में पेश होने वाले Farm Bills (कृषि बिल्स) की वजह से काफी इंडस्ट्रियल कंपनीयों को फायदा हो रहा था वही किसानों को इन बिल्स के जरिये अपना कोई लाभ नहीं दिखा, इन कारणों की वजह से भी कुछ शेयरों के भावो में उतार – चढ़ाव देखने को मिल सकता है

निष्कर्ष

तो दोस्तों हमने इस आर्टिकल (शेयर मार्केट कैसे काम करता है) की मदद से क्या – क्या सिखा, शेयर बाजार न केवल एक इन्वेस्टमेंट प्लैटफ़ॉर्म है बल्कि यह एक देश की पूर्ण अर्थव्यवस्था है जिसको न केवल उस देश तक बल्कि विश्वव्यापी स्तर पर आधारित होती है जिसमे हमें मुख्य रूप से दो बड़े हलचल आधारित इन्स्रुमेंट दीखते है एक तो उस स्टॉक मार्केट के सभी सूचकांक (Index) और दूसरा उनमे लिस्टेड कंपनीयों के शेयर्स (Stocks), इन दोनों में ही कई परिस्थितियों के आधार पर हमें एक अहम उतार-चढ़ाव देखने को मिलता हैं तो वह हलचल कैसी, किन सिचुएशन वाली और किस प्रकार की होती है उसको हमने इस टोपिक में समझाया हैं, धन्यवाद

लेख से संबंधित महत्वपूर्ण प्रश्नों के उत्तर

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Hello friends, currently I am working in the stock market operating as well as blogging through this wonderful website.

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