Offer For Sale Meaning In Hindi

Offer For Sale Meaning In Hindi

offer for sale meaning in hindi

हेल्लो दोस्तों आज हम ‘Offer For Sale’ यानि OFS के बारेंमे समजने वालें हैं आमतौर पर स्टॉक मार्केट की यह वो प्रोसेस है जिसकें जरिये लिस्टेड (सूचीबद्ध) कंपनीयां अपनें फंड्स की आवश्यकता को पूरा करने के लिए करतीं हैं, वैसे यह प्रक्रिया को चार भागों में डिवाइड किया हुआ हैं एक तो Initial Public Offering यानि IPO, दूसरी Follow – on Public Offer यानि FPO, तीसरा Right Issue और चोथा यह OFS, इन सभी प्लेटफार्म के जरिये कंपनीयां अपनी फंड रिक्वायरमेंट्स को पूरा करती हैं मगर सभी की अलग- अलग प्रोसेस और आवश्यकताओ को ध्यान में रखते हुए किया जाता हैं तो फिलहाल हम इस टोपिक में OFS की पूर्ण विधि को विस्तारपूर्वक समजते हैं तो चलिए शुरू करते हैं (offer for sale meaning in hindi)

Offer For Sale क्या होता हैं :-

‘ऑफर फॉर सेल’ यह वो प्रक्रिया है जिसकें जरिये स्टॉक मार्केट में लिस्टेड कंपनी के प्रमोटर्स अपनीं हिस्सेदारी को बड़ी ही आसानी से बेच सकतें हैं जिसमें कई निवेशकों की मंडली शामिल है जैसे की; QIB यानि (Qualified Institutional Buyers), NII यानि (Non – Institutional Investors) और RII यानि (Retail Individual) जेसे कई निवेशक इसमें भाग ले सकतें हैं

‘ऑफर फॉर सेल’ की शुरुआत SEBI ने वर्ष 2012 में कंपनीयों के प्रमोटरों के शेयरहोल्डिंग को एक सरल प्रक्रिया में पूर्ण करवाने के लिए किया था, इस सुविधा को बादमें कई सूचीबद्ध कंपनीयों ने आजमायां और साथ ही सरकार ने भी PSU यानि ‘Public Sector Undertaking‘ में अपनी शेयरहोल्डिंग और पब्लिक की शेयरहोल्डिंग को प्रबंधित करने के लिए इस्तेमाल किया, OFS की सुविधा केवल मार्केट में लिस्टेड 200 कंपनीयों को ही दी गई हैं जो उसकी मार्केट कैपिटलाइजेशन के आधार पर हैं

ऑफर फॉर सेल की सामान्य बातें

अब इसमें एक बात जरुर नोट करें की OFS के जरिये जुटाई गई राशी उस कंपनी को नहीं बल्कि उस कंपनी के प्रमोटर को मिलती हैं क्योंकि इस कैश में प्रमोटर अपनी खुदकी शेयरहोल्डिंग (हिस्सेदारी) को कम करता हैं

इसका भी एक कारन है और वो ये की Stock Exchange के ‘Securities Contracts Rules’ यानि ‘प्रतिभूति अनुबंध नियम’ के अंतर्गत सभी कंपनीयों को एक दायरा दिया हुआ होता है यानि सेबी के रूल्स के मुताबिक स्टॉक मार्केट में लिस्टेड सभी कंपनीयों में पब्लिक शेयरहोल्डिंग कम से कम 25% होना जरुरी हैं

जिसकें अनुसार ही वह अपनीं शेयरहोल्डिंग को रख सकते है यानि उन कंपनीयों को मिनिमम और मैक्सिमम के बिच ही अपनी हिस्सेदारी को रखना होता हैं

यदि कंपनी की मार्केट शेयरहोल्डिंग बढ़ जाती है तो वो OFS के जरिये प्रमोटर्स की शेयरहोल्डिंग को कम करके इसे प्रबंधित कर सकते हैं इसके अलावा उपरोक्त दिए गए और तिन तरीको से भी इसे Manage कर सकते हैं

मगर यदि कंपनी की मार्केट शेयरहोल्डिंग कम है तो इसे पूरा करने के लिए कंपनी शेयरों को Buyback के जरिये भी प्राप्त कर सकते हैं

कंपनी जब OFS के जरिये प्रमोटरों के शेयरहोल्डिंग को बेचना हो तब उसको सेबी के रेग्यूलेशन के मुताबिक दो दिन पहले स्टॉक एक्सचेंज को इसकी ऑफिसियल नोटिस जारी करनी पड़ती हैं और साथ ही एक्सचेंजों की ऑफिसियल वेबसाइट पर भी इसकी नोटिस जारी करनी पड़ती हैं ताकि सामान्य जनता को इसके बारेंमे पता चल सकें

अब इस बात की सूचना देने की आवश्यकता तो नहीं है की ‘ऑफर फॉर सेल’ में हिस्सा लेने के लिए आपका Demat and Trading Accounts होना अनिवार्य हैं और साथ ही निवेशकों को OFS की प्रक्रिया में भाग लेने के लिए अपने पंजीकृत Stock Brokers का सहारा लेना पड़ता हैं जिसके जरिये स्टॉक एक्सचेंज एक ऑनलाइन पोर्टल की सेवा प्रोवाइड कराती हैं

Offer For Sale में आवेदन कैसे करें ? :-

  • तो सबसे पहले OFS में आवेदन करने के लिए आपको अपने ब्रोकर को सूचित करना पड़ेंगा की आपको कितने शेयरों के लिए किस बिडिंग प्राइस में अपनी बोली को सबमिट करवाना है जिसके लिए आपको अपने ब्रोकर के पास अपने ट्रेडिंग खाते में OFS की पूर्ण राशी को एडवांस में जमा रखना पड़ता हैं, यहाँ पर बिडिंग प्राइस एक से ज्यादा यानि दो की तुलना में भी हो सकती है यानि उदाहरण के तौर पर आपको इस प्राइस से लेकर इस प्राइस तक ही इस ‘ऑफर फॉर सेल’ के निवेश में भाग लेना हैं अन्यथा नहीं
  • OFS में आवेदन करने के बाद निवेशकों को इसके शेयर्स जारी (इश्यु) होंगे या नहीं यह इस पर डिपेंड करता हैं की इनसे पहलेवाले OFS में कंपनी ने क्या प्राइस भारी थी और हालके इस OFS में कंपनी को कितने शेयरों की रिक्वेस्ट प्राप्त हुए है जिसके बेस पर कंपनी को जितने शेयरों की OFS जारी करनी है वह पहलेसे ही डिसाइड होती हैं तो उसके आधार पर कंपनी निवेशकों को शेयर्स जारी करती हैं
  • OFS की प्राइस बिडिंग पूर्ण हो जाने के बाद कंपनी इसकी अलोटमेंट प्राइस जारी करती है इसके दायरे में आने वाली प्राइस को प्रथम अहमियत दी जाती है जिसके बाद सभी निवेशकों को उनके डिमेट खाते में शेयर्स को जमा कर दिया जाता हैं उसके बाद से निवेशक उन शेयरों को मार्केट प्राइस में कभी भी बेच सकता हैं

ऑफर फॉर सेल की बिडिंग प्रोसेस

OFS की प्रोसेस में कंपनी ने पहलेसे ही एक बिड प्राइस नक्की की हुए होती है जिसे ‘फ्लोर प्राइस’ कहा जाता हैं इसका यह मतलब होता है की निवेशकों को इसमें भाग लेने के लिए कीमतों की बोलियां लगानी पड़ती है

अब OFS में एक टर्म यह होता है की निवेशक ‘फ्लोर प्राइस’ से ज्यादा की ही बोलियां लगा सकते है इनसे कम कीमतों की बिडिंग अस्वीकार होती हैं और साथ ही इसमें निवेश करने के लिए रिटेल निवेशकों को 2 लाख तक की प्राइस लिमिट दी जाती हैं

इसीके साथ OFS की बिडिंग समाप्त होने के बाद कंपनी एक Cut Off Price जारी करती है यह वो प्राइस होती है जो निवेशक अपनी ‘फ्लोर प्राइस’ से ऊपर की बिड प्राइस देते है इसमें सभी निवेशकों की बिडिंग प्राइस अलग – अलग होती है जिसके आधार पर कंपनी उन सभी प्राइस की एक एवरेज प्राइस डिक्लेयर करती है जिसे Cut Off Price कहा जाता हैं

निष्कर्ष :-

तो दोस्ती आपको इस ‘ऑफर फॉर सेल’ की जानकारी कैसी लगी कमेन्ट में जरुर कहे, हमने इस आर्टिकल (offer for sale meaning in hindi) के माध्यम से OFS की पूर्ण जानकारी को साजा किया हैं जिसमे हमने जाना की ‘ऑफर फॉर सेल’ क्या होता है, एक कंपनी के प्रमोटर्स के नज़रिए से OFS के क्या मायने है साथ ही गवर्नमेंट में भी अपने PSU सेक्टर्स को मैनेज करने के लिए इस सेवा का इस्तेमाल करते हैं, OFS में किन – किन प्रकारों के निवेशक भाग ले सकते हैं, OFS की बिडिंग प्रोसेस कैसे की जाती है यह समझा और आखिर में OFS में आवेदन कैसे किया जाता हैं यह जाना इसीके साथ हमारा यह टोपिक यही समाप्त होता है आप सभी का धन्यवाद

Categories IPO
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