Meaning Of Equity Share In Hindi
‘Equity Share’ क्या यह सामान्य स्टॉक की तरह है जिसमें हम हाफ फिलहाल में ट्रेडिंग करतें हैं ? या स्टॉक का ही कोई दूसरा प्रकार है ?, इन जैसे कई सवाल हमारें मनमे उपस्थित होते हैं तो चलिए इनकें जवाब जाननेका वक्त आ चूका हैं (meaning of equity share in hindi)
Equity क्या होती हैं :-
Equity Share को विस्तार से समजने के पूर्व हमें ‘Equity’ को समजना पड़ेंगा, स्टॉक मार्केट में ‘इक्विटी’ का एक अलग ही महत्व है Equity का शब्द प्रयोग ज्यादातर आपने Balance Sheet या Statement के जरिये सुना होंगा
इसके अलावा इक्विटी के बारेंमे हमारे पास ज्यादा जानकारी नहीं होंगी तो आज हम इन्ही इक्विटी के बारेंमे विस्तार से जानेंगे की एक सामान्य कंपनी के व्यापार के अनुसार इक्विटी का क्या महत्व है और उन कंपनी के निवेशकों को क्या लाभ होता है
इक्विटी का मतलब कंपनी में रहे मालिक और निवेशकों की हिस्सेदारी होता है, इसे दुसरे अर्थ में समजे तो Equity को शेयर का ही एक प्रकार माना जाता है जिसे शेयर बाजार में हो रही किसी भी कंपनी के शेयर में खरीद – बिक्री के रूप में जाना जाता है “इक्विटी सामान्य रूप से कंपनी की स्वामित्व यानि कंपनी की हिस्सेदारी को दर्शाती हैं”
उदाहरण
Equity को एक उदाहरण के माध्यम से बेहतर समजते है – एक कंपनी है जिसकी मार्केट वैल्यूएशन (कैपिटलाइजेशन) Rs.100 करोड़ है कारोबार मंदा होने की वजह से कंपनी के मालिक को Rs.20 करोड़ का घाटा हुआ
जिसे संभालने के लिए उसने अपने एक दोस्त से Rs.20 करोड़ उधार लिए उसके दोस्त की सर्त के मुताबिक उसे कंपनी में 20% की हिस्सेदारी चाहिए जिनसे कंपनी के कुल वेल्यूएशन के मुताबिक कंपनी की इक्विटी की हिस्सेदारी अब से कंपनी के मालिक की 80% और उसके दोस्त की 20% की रहेंगी जिनसे कंपनी की 100% Equity को दोनों के बिच बाट दिया गया है
Equity दो चीजों से बनती है :-
इक्विटी के दो पार्ट है पहला है Share Capital और दूसरा है Reserves And Surplus इन दोनों चीजों को मिलाकर ही एक कंपनी की इक्विटी बनती हैं
Share Capital
Share Capital वह राशी होती है जो कंपनी की Face Value पर आधारित होती है जब कंपनी के शेयर को शेयर बाजार में लिस्टेड करवाया जाता है तब उसकी दो कीमतें नक्की की जाती है
- एक तो होती है Face Value जो 1 से 10 तक की होती है – जिसे कंपनी अपनें वैल्यूएशन के आधार पर रखती हैं
- दूसरी कीमत है प्रिमियम प्राइस जिसे ऑफर प्राइस भी कहा जाता है – यह वो प्राइस होती है जो शेयर मार्केट में शेयर की खरीद – बिक्री करते समय देखते है
Reserves And Surplus
Reserves And Surplus यह एक प्रकार की कंपनी की राशी होती है यानि कंपनी अपने कारोबार से जो भी मुनाफा कमाती है उन मुनाफे की रकम को Reserves And Surplus कहते हैं
सामान्य तोर पर यह वो फंड होता है जो कंपनी अपने सभी खर्चो को बाद करके उसके बाद जो कैपिटल (फंड) इकठा होता है उसे Reserves And Surplus में जमा किया जाता है
साथ ही इस फंड का प्रयोग कंपनी अपने शेयरधारकों को Dividend देने के लिए भी कर सकती हैं
कंपनी की Equity को कैसे जान सकते है :-
किसी भी कंपनी की इक्विटी को पता करने का एक आसान सा तरीका है उस कंपनी की Balance Sheets को देखना यह आपको कंपनी के द्वारा जारी होने वाली हर सालकी Annual Report पर मिलती है
कंपनी की इक्विटी को पता करने की एक और आसान ट्रिक है की कंपनी की Total Assets (संपत्ति) में से उस कंपनी की Liabilities (ऋण) को बाद करने से उस कंपनी की Total Equity को पता किया जा सकता है
उदाहरण
इसे एक उदाहरण से समजते है – एक कंपनी का नाम Roy है उसकी Annual Balance Sheet Report के मुताबिक Roy कंपनी की Rs.80 करोड़ की Assets है जिसके सामने उसकी Liabilities Rs.30 करोड़ है जिनसे Roy कंपनी की Rs.50 करोड़ की Total Equity होंगी
Equity Share क्या होते हैं :-
‘Equity Share’ को कॉमन स्टॉक या ऑर्डिनरी स्टॉक के रूप में भी जाना जाता हैं इक्विटी शेयर निवेश करने हेतु एक सिक्योरिटीज है जो आमतोर पर कंपनी सभी शेयर मार्केट निवेशकों के लिए जारी करती है
इक्विटी शेयर के निवेशकों को कंपनी के शेयर्स पर इन्वेस्ट करने पर कंपनी की तरफ से कही लाभ भी मिलते है और साथ ही इसमेँ निवेश BSE (बोम्बे स्टॉक एक्सचेंज) और NSE (नेशनल स्टॉक एक्सचेंज) के जरिये किया जाता है
यदि आप में से किसीने हमारा यह आर्टिकल (difference between nse and bse in hindi) को जरुर पढ़े
इक्विटी डिलीवरी
इक्विटी शेयर में डिलीवरी ट्रेडिंग का मतलब है शेयर बाजार के किसी एक सेगमेंट (BSE या NSE) में किसी भी शेयर को खरीद ते है
अब जब उसको बेचने की बात आती है तब इक्विटी डिलीवरी ट्रेडिंग नियम के मुताबिक उस शेयर को केवल तभी बेच सकते है
जब उसकी डिलीवरी हमारे Demat Account में जमा हो जाये यानि शेयर का पे-आउट हो जाये और वो होती है खरीदी के तीसरे दिन यानि T+2 ट्रेडिंग नियम के मुताबिक उसके बाद कभी भी उसे बेचा जा सकता हैं साथ ही इसे किसी भी सेगमेंट (BSE या NSE) में बेचा जा सकता है
इक्विटी इंट्राडे
इक्विटी Intraday Trading में इक्विटी डिलीवरी से बिलकुल विपरीत है, इक्विटी शेयर में इंट्राडे ट्रेडिंग करने के लिए किसी भी सेगमेंट (BSE या NSE) में शेयर को ख़रीदा जाता है और उसी दिन बाजार ख़त्म होने से पहले उसे स्क्वेरअप (सुलटा) कर लिया जाता है
क्योंकि अब BSE और NSE का सेटलमेंट एक साथ होता है जिसकी वजह से हम किसी भी सेगमेंट (BSE या NSE) में उसे बेच सकते है इस प्रकार के ट्रेडिंग सिस्टम को इक्विटी इंट्राडे ट्रेडिंग कहा जाता हैं
इक्विटी फ्यूचर
इक्विटी Future Trading आमतोर पर दुसरे ट्रेडिंग सेशनों से अलग होती है और इसमें जोखिम का प्रमाण भी ज्यादा होता है
जबकि लाभ कमाने की तक दुसरे ट्रेडिंग सेशनो से अधिक होती है, इक्विटी फ्यूचर में आमतौर पर सिर्फ लोट साइज़ के मुताबिक ही शेयर्स में ट्रेडिंग होती है यानि इसमें सभी शेयरों में ट्रेडिंग नहीं होती सिर्फ उन्ही शेयरों और इंडेक्सिंस में ट्रेडिंग होती है जो फ्यूचर्स (F&O) में शामिल होते है
इक्विटी ऑप्शन
इक्विटी Option Trading आमतौर पर डेरीवेटिव्स ट्रेडिंग का ही एक रूप है जिसमे ट्रेडर्स को किसी विशिष्ट सिक्योरिटीज (शेयर्स) को खरीदने या बेचने की आवश्यकता नहीं होती है
इसमें Broker (डीलर्स) और Trader के बिच कोंट्राक्ट किया जाता है जिसके आधीन पूरा लेनदेन अंडरलाइंग एसेट्स पर होता है जिसकी एक्सपायरी डेट महीने का आखरी गुरुवार होता है
इक्विटी Vs शेयर
हालाकि, शेयर समग्र व्यापार इक्विटी से सबंधित है आमतौर पर इक्विटी का कोई सामान्य प्रकार नहीं होता, जबकि शेयर्स में हमें काफी ओप्संस मिलते है जैसे की; कॉमन स्टॉक, प्रेफरेंस (प्रेफर्ड) स्टॉक आदि जेसे विभिन्न प्रकार के स्टॉक्स होते हैं
इक्विटी वह राशि है जिसे ट्रेड में निवेश किया जाता है मगर शेयर में सबसे छोटी इकाई होती है जिसमें पूरी कंपनी की इक्विटी को विभाजित किया जाता है
इक्विटी शेयरधारकों की इक्विटी, रिज़र्व और सरप्लस का योग है जबकि शेयर्स सभी शेयरधारक की इक्विटी से ही प्राप्त होते है
शेयर्स के बारेंमे अधिक जानने और समजने के लिए आपको हमारा यह आर्टिकल “Share Meaning In Hindi” को Read करना ना भूले
इक्विटी फॉर्मूला
इक्विटी के फॉर्मूला को समजने के लिए आपको समीकरण के मापदंड को समजना अनिवार्य है, इक्विटी का फॉर्मूला है – [इक्विटी = एसेट्स – लायबिलिटीज]
इसी इक्विटी फॉर्मूला की मदद से किसी भी कंपनी के पुरे कारोबारीक स्ट्रक्चर को सरलता से समज सकते हैं अगर किसी कंपनी की एसेट्स उनकी लायबिलिटीज से ज्यादा है तो इसका मतलब उस कंपनी का कारोबार अच्छा चल रहा है
यदि किसी कंपनी की कुल संपत्ति यानि एसेट्स उनकी लायबिलिटीज से कम है तो इसका यह मतलब है की कंपनी किसी घाटे यानि कर्जे में डूबीं हुई है
इक्विटी के कैपिटलाईजेसन के मुताबिक उनके तिन प्रकार पड़ते है एक है लार्ज कैप इक्विटी फंड, दूसरा है मिड कैप इक्विटी फंड और तीसरा है स्माल कैप इक्विटी फंड यह तिनोही इक्विटी के अहम कैपिटल फंड्स हैं